UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 13 Photosynthesis in Higher Plants (उच्च पादपों में प्रकाश-संश्लेषण)

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UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 13 Photosynthesis in Higher Plants (उच्च पादपों में प्रकाश-संश्लेषण)

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अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
एक पौधे को बाहर से देखकर क्या आप बता सकते हैं कि वह C4ई है अथवा C3? कैसे और क्यों?
उत्तर :
पौधे जो शुष्क ट्रॉपिकल क्षेत्रों के लिए अनुकूलित होते हैं उनमें C4पथ पाया जाता है अन्यथा C3तथा C4पौधों में बाह्य आकारिकी लगभग समान होती है।

प्रश्न 2.
एक पौधे की आन्तरिक संरचना को देखकर क्या आप बता सकते हैं कि वह C3है अथवा C4? वर्णन कीजिए।
उत्तर :
पत्तियों की आन्तरिक संरचना (vertical section) को देखकर C3तथा C4पौधों को पहचाना जा सकता है। C4पौधों की पत्तियों की शारीरिकी (anatomy) क्रान्ज प्रकार (Kranz type) की होती है। जर्मन भाषा में क्रान्ज शब्द का तात्पर्य माला (wreath) या छल्ला (ring) है। पत्तियों के पर्णमध्योतक (mesophyll) में खम्भ ऊतक (palisade tissue) नहीं होता। संवहन बण्डल के चारों ओर गोल मृदूतक कोशिकाएँ पर्यों के रूप में व्यवस्थित होती हैं। पत्तियों के संवहन बण्डल के चारों ओर पूलाच्छद (bundle sheath) होता है। ये कोशिकाएँ बड़ी होती हैं। पुलाच्छद की कोशिकाओं में हरितलवक बड़े होते हैं तथा उनमें ग्रैना कम विकसित होते हैं अथवा अनुपस्थित होते हैं, जबकि पर्ण मध्योतक कोशिकाओं में हरितलवक छोटे होते हैं। इनमें ग्रेना विकसित होते हैं। अत: C4 पौधों की पत्तियों में द्विरूपी हरितलवक (dirmorphic chloroplast) पाए जाते हैं। प्रकाश संश्लेषण प्रक्रम में वर्णक तन्त्र II का अभाव होता है।UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 13 Photosynthesis in Higher Plants 1C3 पौधों की पत्तियों की शारीरिकी (anatomy) क्रान्ज प्रकार की नहीं होती। इसकी पत्तियों में पर्णमध्योतक में खम्भ ऊतक पाया जाता है। सभी कोशिकाओं में एक ही प्रकार के हरितलवक पाए। जाते हैं। प्रकाश संश्लेषण तन्त्र में दोनों वर्णक तन्त्र पाए जाते हैं।

प्रश्न 3.
हालांकि C4 पौधों में बहुत कम कोशिकाएँ जैव संश्लेषण-केल्विन पथ को वहन करती हैं फिर भी वे उच्च उत्पादकता वाले होते हैं। क्या इस पर चर्चा कर सकते हो कि ऐसा क्यों है?
उत्तर :
C4 पौधों में दो प्रकार के क्लोरोप्लास्ट मिलते हैं। मीसोफिल का क्लोरोप्लास्ट COवातावरण से लेता है। यह बहुत क CO2  सान्द्रता को भी आसानी से अवशोषित कर सकता है। यहाँ तक कि जब रन्ध्र लगभग बन्द होते हैं तब भी CO2 का अवशोषण कर सकता है। अतः CO2 की आवश्यकता निरन्तर बनी रहती है, अतः इसलिए इनकी उत्पादकता उच्च होती है।

प्रश्न 4.
रुबिस्को (RUBISCO) एक एन्जाइम है जो कार्बोक्सिलेस और ऑक्सीजनेस के रूप में काम करता है। आप ऐसा क्यों मानते हैं कि C4 पौधों में रुबिस्को अधिक मात्रा में कार्बोक्सिलेशन करता है?
उत्तर :
कैल्विन चक्र (Calvin Cycle) में CO2 ग्राही RuBP से क्रिया करके 3-फॉस्फोग्लिसरिक अम्ल (PGA) के 2 अणु बनाता है। यह क्रिया रुबिस्को (RUBISCO) के द्वारा उत्प्रेरित होती है

RuBP + CO2 + H2O → 2 (3 PGA)

रुबिस्को संसार में सबसे अधिक मात्रा में पाया जाने वाला प्रोटीन (एन्जाइम) है। यह O2 तथा CO2 दोनों से बन्धित हो सकता है। रुबिस्को में O2 की अपेक्षा CO2 के लिए अधिक बन्धुता होती है, लेकिन आबन्धता O2 तथा CO2 की सापेक्ष सान्द्रता पर निर्भर करती है। C3पौधों में कुछ O2 रुबिस्को से बन्धित हो जाने के कारण CO2 का यौगिकीकरण कम हो जाता है; क्योंकि रुबिस्को O2 से बन्धित होकर फॉस्फो ग्लाइकोलेट अणु बनाता है। इस प्रक्रम को प्रकाश श्वसन (photorespiration) कहते हैं। प्रकाश श्वसन के कारण शर्करा नहीं बनती और न ही ऊर्जा ATP के रूप में संचित होती है।  C4 पौधों में प्रकाश श्वसन नहीं होता। C4 पौधों में पर्णमध्योतक का मैलिक अम्ल पूलाच्छद में टूटकर पाइरुविक अम्ल तथा CO2 बनाता है। इसके फलस्वरूपे  CO2 की सान्द्रता बढ़ जाती है और रुबिस्को एक कार्बोक्सिलेस (carboxylase) के रूप में ही कार्य करता है। इसके फलस्वरूप उत्पादकता बढ़ जाती है। यहाँ रुबिस्को ऑक्सीजिनेस (oxygenase) का कार्य नहीं करता।

प्रश्न 5.
मान लीजिए यहाँ पर क्लोरोफिल ‘बी’ की उच्च सान्द्रता युक्त, मगर क्लोरोफिल ‘ए’ की कमी वाले पेड़ थे। क्या ये प्रकाश संश्लेषण करते होंगे? तब पौधों में क्लोरोफिल ‘बी’ क्यों होता है और फिर दूसरे गौण वर्णकों की क्या जरूरत है?
उत्तर :
क्लोरोफिल ‘बी’, जैन्थोफिल तथा कैरोटिन सहायक वर्णक (accessory pigments) होते हैं। ये प्रकाश को अवशोषित करके, ऊर्जा को क्लोरोफिल ‘ए’ को स्थानान्तरित कर देते हैं। वास्तव में ये वर्णक प्रकाश संश्लेषण को प्रेरित करने वाली उपयोगी तरंगदैर्घ्य के क्षेत्र को बढ़ाने का कार्य करते हैं और क्लोरोफिल ‘ए’ को फोटो ऑक्सीडेशन (photo oxidation) से बचाते हैं। क्लोरोफिल ‘ए’ प्रकाश संश्लेषण में प्रयुक्त होने वाला मुख्य वर्णक है। अतः क्लोरोफिल ‘ए’ की कमी वाले पौधों में प्रकाश संश्लेषण प्रभावित होगा।

प्रश्न 6.
यदि पत्ती को अँधेरे में रख दिया गया हो तो उसका रंग क्रमशः पीला एवं हरा-पीला हो जाता है? कौन-से वर्णक आपकी सोच में अधिक स्थायी हैं?
उत्तर :
पौधे के हरे भागों में हरितलवक पाया जाता है। हरितलवक की उपस्थिति में पौधे प्रकाश संश्लेषण द्वारा भोजन का संश्लेषण करते हैं। पौधे के अप्रकाशिक भागों में अवर्णीलवक पाया जाता है। प्रकाश की उपस्थिति में अवर्णीलवक हरितलवक में बदल जाता है। हरितलवक की ग्रैना पटलिकाओं में पर्णहरित, कैरोटिनॉयड्स (carotenoids) पाए जाते हैं। कैरोटिनॉयड्स दो प्रकार के होते हैं जैन्थोफिल (xanthophyll) तथा कैरोटिन (carotene)। ये क्रमश: पीले एवं नारंगी वर्णक होते हैं। पर्णहरित निर्माण के लिए प्रकाश की उपस्थिति आवश्यक होती है। प्रकाश का अवशोषण या प्रकाश ऊर्जा को ग्रहण करने का कार्य मुख्य रूप से पर्णहरित करता है। पौधे को अन्धकार में रख देने पर प्रकाश संश्लेषण क्रिया अवरुद्ध हो जाती है। पौधे में संचित भोज्य पदार्थ समाप्त हो जाते हैं तो इसके फलस्वरूप पत्तियों में पाए जाने वाले पर्णहरित का विघटन प्रारम्भ हो जाता है। इसके फलस्वरूप पत्तियाँ कैसेटिनॉयड्स के कारण पीली या हरी-पीली दिखाई देने लगती हैं। कैरोटिनॉयड्स पर्णहरित की तुलना में अधिक स्थायी होते हैं।

प्रश्न 7.
एक ही पौधे की पत्ती का छाया वाला (उल्टा) भाग देखें और उसके चमक वाले (सीधे) भाग से तुलना करें अथवा गमले में लगे धूप में रखे हुए तथा छाया में रखे हुए पौधों के बीच तुलना करें। कौन-सा गहरे रंग का होता है और क्यों?
उत्तर :
जब हम पत्ती की पृष्ठ सतह को देखते हैं तो यह अधर तल की अपेक्षा अधिक गहरे रंग की और चमकीली दिखाई देती है। इसी प्रकार धूप में रखे हुए गमले की पत्तियाँ छाया में रखे हुए गमले की पत्तियों की अपेक्षा अधिक गहरे रंग की और चमकीली प्रतीत होती हैं। इसका कारण यह है कि पृष्ठ तल पर अधिचर्म (epidermis) के नीचे खम्भ ऊतक (palisade tissue) पाया जाता है। खम्भ ऊतक में हरितलवक अधिक मात्रा में पाया जाता है। खम्भ ऊतक प्रकाश संश्लेषण के लिए विशिष्टीकृत कोशिकाएँ होती हैं। धूप में रखे गमले की पत्तियाँ छाया में रखे गमले की अपेक्षा अधिक गहरे रंग की प्रतीत होती हैं। पत्तियों के अधिक गहरे रंग का होने का मुख्य कारण कोशिकाओं में पर्णहरित की मात्रा अधिक होती है क्योंकि पर्णहरित निर्माण के लिए प्रकाश एक महत्त्वपूर्ण कारक होता है। इसके अतिरिक्त प्रकाश संश्लेषण के कारण पृष्ठ सतह की कोशिकाओं में अधिक स्टार्च का निर्माण होता है।

प्रश्न 8.
प्रकाश संश्लेषण की दर पर प्रकाश का प्रभाव पड़ता है। ग्राफ के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(अ) वक्र के किस बिन्दु अथवा बिन्दुओं पर (क, ख अथवा ग) प्रकाश एक नियामक कारक है?
(ब) ‘क’ बिन्दु पर नियामक कारक कौन-से हैं?
(स) वक्र में ‘ग’ और ‘घ’ क्या निरूपित करता है?
उत्तर :
(अ)
प्रकाश की गुणवत्ता, प्रकाश की तीव्रता प्रकाश संश्लेषण को प्रभावित करती है। उच्च प्रकाश तीव्रता प्रकाश नियामक कारक नहीं होता; क्योंकि अन्य कारक सीमित हो जाते हैं। कम प्रकाश तीव्रता पर प्रकाश एक नियामक कारक “क” बिन्दु पर होता है।

(ब)
प्रकाश।

(स)
वक्र में ‘ग’ बिन्दु प्रकाश संतृप्तता को प्रदर्शित करता है। इस बिन्दु पर प्रकाश तीव्रता बढ़ने पर भी प्रकाश संश्लेषण की दर नहीं बढ़ती। ‘घ’ बिन्दु यह निरूपित करता है कि प्रकाश तीव्रता
इस बिन्दु पर सीमाकारक हो सकता है।
UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 13 Photosynthesis in Higher Plants 2प्रश्न 9.
निम्नलिखित में तुलना कीजिए

(अ) C3 एवं Cपथ
(ब) चक्रीय एवं अचक्रीय फोटोफॉस्फोरिलेशन
(स) C3 एवं C4 पादपों की पत्ती की शारीरिकी।
उत्तर :

(अ)
C3 तथा C4 पथ में अन्तर

UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 13 Photosynthesis in Higher Plants 3(ब)
चक्रीय तथा अचक्रीय फोटोफॉस्फोरिलेशन में अन्तर

UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 13 Photosynthesis in Higher Plants 4(स)
C3 तथा  C4पादपों की पत्ती की शारीरिकी में अन्तर
UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 13 Photosynthesis in Higher Plants 5

परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रकाश-संश्लेषण के लिए आवश्यक शर्त हैं
(क) प्रकाश एवं उचित तापक्रम
(ख) पर्णहरित एवं जल
(ग) कार्बन डाइऑक्साइड
(घ) ये सभी
उत्तर :
(घ) ये सभी

प्रश्न 2.
चक्रीय प्रकाश-फॉस्फोरिलीकरण में उपयोग होता है
(क) PSI
(ख) PSII
(ग) PSI और PSII
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(क) PSI

प्रश्न 3.
अचक्रीय प्रकाश-फॉस्फोरिलीकरण में किसका उपयोग होता है?
(क) PSI
(ख) PSII
(ग) PSI और PSII
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ग) PSI और PSII

प्रश्न 4.
निम्न में किसकी CO2 सन्तुलन-प्रकाश तीव्रता उच्चतम होती है?
(क) C2 पौधों की
(ख) C3 पौधों की
(ग) C4 पौधों की
(घ) एल्पाइन पौधों की
उत्तर :
(ख) C3 पौधों की

प्रश्न 5.
कैल्विन-बेन्सन चक्र का प्रारम्भिक विकर है
(क) फॉस्फोट्रायोज आइसोमेरेज
(ख) राइबुलोज-1, 5-डाइफॉस्फेट कार्बोक्सीलेज
(ग) ट्रायोज फॉस्फेट डीहाइड्रोजीनेज
(घ) इनमें से सभी
उत्तर :
(ख) राइबुलोज-1, 5-डाइफॉस्फेट कार्बोक्सीलेज

प्रश्न 6.
C4 चक्र में प्रथम CO2 ग्रहणकर्ता है
(क) RUBP
(ख) PGA
(ग) OAA
(घ) PEP
उत्तर :
(घ) PEP

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रकाश-संश्लेषण की परिभाषा लिखिए। प्रकाश-संश्लेषण की प्रक्रिया को प्रभावित करने वाले एक बाह्य कारक तथा एक आन्तरिक कारक का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
वह अभिक्रिया जिसमें हरे पेड़-पौधे सूर्य के प्रकाश, CO2, जल तथा पर्णहरिम की उपस्थिति में कार्बोहाइड्रेट्स का निर्माण करते हैं, प्रकाश-संश्लेषण कहलाती है। प्रकाश-संश्लेषण की प्रक्रिया को प्रभावित करने वाला एक प्रमुख बाह्य कारक प्रकाश तथा आन्तरिक कारक पर्णहरिम है।

प्रश्न 2.
पर्णहरित के पाइरोल चक्र से सम्बन्धित तत्त्व का नाम बताइए।
उत्तर :
पाइरोल वलय (चक्र) (pyrole ring) के मध्य में एक मैग्नीशियम (Mg) परमाणु होता है।

प्रश्न 3.
पर्णहरिम (chlorophyll) के अणु कहाँ पाये जाते हैं?
उत्तर :
हरित लवक के ग्रेना में पाये जाते हैं।

प्रश्न 4.
प्रकाश संश्लेषण में निकलने वाली ऑक्सीजन किस पदार्थ के अणुओं से प्राप्त होती है?
उत्तर :
जल (H2O) से।

प्रश्न 5.
जल के दो अणु के प्रकाश-अपघटन में कितने फोटॉन की आवश्यकता होती है?
उत्तर :
जल के दो अणु के प्रकाश-अपघटन में चार फोटॉन की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 6.
C4 पौधे क्या हैं? इसके दो उदाहरण लिखिए।
उत्तर :
जिन हैच और स्लैम चक्र वाले पौधों में कार्बन डाइऑक्साइड स्थिरीकरण का प्रथम उत्पाद 4 कार्बन वाला पदार्थ ऑक्सेलोऐसीटिक अम्ल होता है, C4 पौधे कहलाते हैं। उदाहरणार्थ-गन्ना, मक्का इत्यादि।

प्रश्न 7.
क्रान्ज शारीरिकी किन पौधों में पायी जाती है?
उत्तर :
C4 पौधों में।

प्रश्न 8.
एक पौधे का नाम बताइए जिसमें प्रकाश-संश्लेषण में दो कार्बन डाइऑक्साइड ग्राही होते
उत्तर :
गन्ना (C4 पौधा)।

प्रश्न 9.
प्रकाश-संश्लेषण प्रदर्शित करने वाले उपकरण के जल में कोल्ड ड्रिंक मिलाने पर अधिक बुलबुले निकलते हैं। कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
प्रकाश-संश्लेषण प्रदर्शित करने वाले उपकरण के जल में कोल्ड ड्रिंक मिलाने पर अधिक बुलबुले निकलते हैं; क्योंकि कोल्ड ड्रिंक में CO2 गैस होती है जिसके कारण उपकरण के जल में CO2 की सान्द्रता बढ़ जाती है और प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया तीव्र हो जाती है जिससे अधिक मात्रा में O2 गैस निकलती है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रकाश-संश्लेषण की प्रकाशिक तथा अप्रकाशिक प्रक्रियाओं में अन्तर बताइए।
उत्तर :
प्रकाश-संश्लेषण की प्रकाशिक तथा अप्रकाशिक प्रक्रियाओं में अन्तर
UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 13 Photosynthesis in Higher Plants 6प्रश्न 2.
हिल अभिक्रिया से आप क्या समझते हैं?

उत्तर :
वैज्ञानिक हिल (Hill) ने प्रकाश संश्लेषण (photosynthesis) की क्रिया के अध्ययन के समय यह बताया कि जल के अणुओं के टूटने पर H2 का निर्माण होता है तथा इससे उप उत्पाद के रूप में ऑक्सीजन गैस उत्पन्न होती है। बाद में H2 को वातावरण से प्राप्त की गई CO2 के साथ स्थिर करके विभिन्न प्रकार के कार्बोहाइड्रेट्स का निर्माण किया जाता है। हिल अभिक्रिया प्रकाश की उपस्थिति में ही सम्पन्न होती है, इसलिये इस क्रिया को प्रकाश अभिक्रिया (light reaction) भी कहते हैं।
UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 13 Photosynthesis in Higher Plants 7प्रश्न 3.
प्रकाशीय श्वसन से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर :
प्रकाशीय श्वसन (photorespiration) को समझने के लिए, हमें कैल्विन पथ के प्रथम चरण अर्थात्  CO2 स्थिरीकरण के विषय में कुछ अधिक जानकारी प्राप्त करनी होगी। यह वह अभिक्रिया है जहाँ RuBP कार्बन डाइऑक्साइड से संयोजित होकर 3PGA के 2 अणुओं का गठन करता है और एक एन्जाइम रिबुलोज बिसफॉस्फेट कार्बोक्सिलेज ऑक्सीजिनेज
(RuBisCO) के द्वारा उत्प्रेरित होता है।
UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 13 Photosynthesis in Higher Plants 8RuBisCO एन्जाइम विश्व में सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाता है क्योंकि यह CO2 एवं O2 दोनों से बन्धित हो सकता है, इसलिए इसे रुबिस्को कहते हैं। रुबिस्को में O2 की अपेक्षा CO2 के लिए अधिक बन्धुता है। कल्पना कीजिए कि यदि ऐसा नहीं होता तो क्या होता? यह बन्धुता प्रतियोगितात्मक है। O2 अथवा  CO2 इनमें से कौन आबन्ध होगा, यह उनकी सापेक्ष सान्द्रता पर निर्भर करता है।

C2 पौधों में कुछ O2 RuBisCO से बन्धित होती है अत: CO2 का यौगिकीकरण कम हो जाता है। यहाँ पर RUBP, 3-PGA के अणुओं में परिवर्तित होने की बजाय ऑक्सीजन से संयोजित होकर चक्र में एक फॉस्फोग्लिसरेट अणु बनाता है जिसे प्रकाशीय श्वसन कहते हैं। प्रकाश श्वसन पथ में शर्करा और ATP को संश्लेषण नहीं होता; बल्कि इसमें ATP के उपयोग के साथ CO2 भी निकलती है। प्रकाशीय श्वसन पथ में ATP अथवा NADPH का संश्लेषण नहीं होता; अत: प्रकाश श्वसन एक निरर्थक प्रक्रिया है।

C4 पौधों में प्रकाशीय श्वसन नहीं होता है। इसका कारण यह है कि इनमें एक ऐसी प्रणाली होती है जो एन्जाइम स्थल पर CO2 की सान्द्रता बढ़ा देती है। ऐसा तब होता है जब पर्णमध्योतक का C4 अम्ल पूलाच्छद में टूटकर CO2 को मुक्त करता है, जिसके परिणामस्वरूप CO2 की अन्तराकोशिकीय सान्द्रता बढ़ जाती है। इससे यह सुनिश्चित हो जाता है कि रुबिस्को कार्बोक्सिलेज के रूप में कार्य करता है, जिससे इसकी ऑक्सीजनेज के रूप में कार्य करने की क्षमता कम हो जाती है।

प्रश्न 4.
C3 तथा CAM पौधों में अन्तर बताइए।
उत्तर :
कुछ पौधों; विशेषकर अत्यधिक ताप में उगने वाले सरस मरुद्भिदों; जैसे–नागफनी (Opuntia), केतकी (Agave) आदि में दिन के समय रन्ध्र बन्द रहने से ऊतकों को कार्बन डाइऑक्साइड नहीं मिल पाती है। यह रात्रि को रन्ध्रों के खुलने पर उपलब्ध होती है। अत: इन पौधों की पत्तियों की मध्योतक कोशिकाओं (mesophyll cells) में कार्बन डाइऑक्साइड का स्थिरीकरण C4 पौधों के समान ही होता है। रात्रि के समय ये पत्तियाँ PEP (phosphoenol pyruvic acid) के साथ मिलकर CO2 ऑक्सेलोऐसीटिक अम्ल (oxaloacetic acid) तथा बाद में मैलिक अम्ल (malic acid) बना लेती है। दिन के समय मैलिक अम्ल विघटित होकर CO2 निष्कासित करता है जो कैल्विन चक्र में प्रवेश करती है। ध्यान रहे, यहाँ पर्णमध्योतक कोशिकाओं में ही दोनों बार स्थिरीकरण होता है, C4 पौधों की तरह दो भिन्न कोशिकाओं में नहीं। ऐसे पौधों को कैम पादप (CAM plant) कहा गया है।

प्रश्न 5.
C4 व C3 पौधों में अन्तर कीजिए।
उत्तर :
C4 व C3 पौधों में अन्तर
UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 13 Photosynthesis in Higher Plants 9UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 13 Photosynthesis in Higher Plants 10प्रश्न 6.
प्रकाश-संश्लेषण को प्रभावित करने वाले बाह्य कारकों का वर्णन कीजिए।

उत्तर :
प्रकाश-संश्लेषण को प्रभावित करने वाले बाह्य कारकों का वर्णन निम्नवत् है
1. प्रकाश
जब हम प्रकाश को प्रकाश – संश्लेषण को प्रभावित करने वाले कारक के रूप में लेते हैं तो हमें प्रकाश की गुणवत्ता, प्रकाश की तीव्रता तथा दीप्तिकाल के बीच अन्तर करने की आवश्यकता होती है। यहाँ कम प्रकाश तीव्रता पर आपतित प्रकाश तथा CO2  के यौगिकीकरण की दर के बीच एक रेखीय सम्बन्ध है। उच्च प्रकाश तीव्रता होने पर, इस दर में कोई वृद्धि नहीं होती है, अन्य कारक सीमित हो जाते हैं। इसमें ध्यान देने वाली रोचक बात यह है कि प्रकाश संतृप्ति पूर्ण प्रकाश के 10 प्रतिशत पर होती है। छाया अथवा सघन जंगलों में उगने वाले पौधों को छोड़कर प्रकाश शायद ही प्रकृति में सीमाकारी कारक हो। एक सीमा के बाद आपतित प्रकाश क्लोरोफिल के विघटन का कारण होता है, जिससे प्रकाश-संश्लेषण की दर कम हो जाती है।

2. कार्बन डाइऑक्साइड की सान्द्रता
प्रकाश संश्लेषण में कार्बन डाइऑक्साइड एक प्रमुख सीमाकारी कारक है। वायुमण्डल में CO2 की सान्द्रती बहुत ही कम है (0.03 और 0.04 प्रतिशत के बीच)। CO2 की सान्द्रता में 0.05 प्रतिशत तक वृद्धि के कारण CO2 की यौगिकीकरण दर में वृद्धि हो सकती है, लेकिन इससे अधिक की मात्रा लम्बे समय तक के लिए क्षतिकारक बन सकती है। C3 एवं C4 पौधे CO2की भिन्न-भिन्न सान्द्रताओं में भिन्न अनुक्रिया करते हैं। निम्न प्रकाश स्थितियों में दोनों में से कोई भी समूह उच्च CO2 सान्द्रता के प्रति अनुक्रिया नहीं करते हैं। उच्च प्रकाश तीव्रता में C3 तथा C4 दोनों ही तरह के पादपों में प्रकाश-संश्लेषण की बढ़ी दर अधिक हो जाती है। यहाँ पर यह ध्यान देना महत्त्वपूर्ण है कि C4 पौधे लगभग 360 μ1L-1 पर संतृप्त हो जाते हैं जबकि Cबढ़ी हुई CO2 सान्द्रता पर अनुक्रिया करते हैं तथा संतृप्तता केवल 450 μ1L-1 के बाद ही दिखाते हैं। अत: उपलब्ध CO2 का स्तर C3पादपों के लिए सीमाकारी है।

सच तो यह है कि C3 पौधे उच्चतरे CO2 सान्द्रता में अनुक्रिया करते हैं और इससे प्रकाश-संश्लेषण की दर में वृद्धि होती है, जिसके फलस्वरूप उत्पादन अधिक होता है और इस सिद्धान्त का उपयोग ग्रीन हाउस फसलों; जैसे-टमाटर एवं बेल मिर्च में किया गया है। इन्हें कार्बन-डाइऑक्साइड से भरपूर वातावरण में बढ़ने का अवसर दिया जाता है ताकि उच्च पैदावार प्राप्त हो।

3. ताप
प्रकाश संश्लेषण की अप्रकाशीय अभिक्रिया एन्जाइमों पर निर्भर करती है इसलिए यह ताप द्वारा नियन्त्रित होती है। यद्यपि प्रकाश अभिक्रिया भी ताप संवेदी होती है, लेकिन उस पर ताप का काफी कम प्रभाव होता है। C4 पौधे उच्च ताप पर अनुक्रिया करते हैं तथा उनमें प्रकाश-संश्लेषण की दर भी ऊँची होती है, जबकि C3 पौधों के लिए इष्टतम ताप कम होता है। विभिन्न पौधों के प्रकाश-संश्लेषण के लिए इष्टतम ताप उनके अनुकूलित आवास पर निर्भर करता है। उष्णकटिबन्धी पौधों के लिए इष्टतम ताप उच्च होता है। समशीतोष्ण जलवायु में उगने वाले पौधों के लिए अपेक्षाकृत कम ताप की आवश्यकता होती है।

4. जल
यद्यपि प्रकाश अभिक्रिया में जल एक महत्त्वपूर्ण प्रतिक्रिया अभिकारक है, तथापि, कारक के रूप में जल का प्रभाव पूरे पादप पर पड़ता है, न कि सीधे प्रकाश-संश्लेषण पर। जल तनाव रन्ध्र को बन्द कर देता है; अतः CO2 की उपलब्धता घट जाती है। इसके साथ ही, जल अभाव से पत्तियाँ मुरझा जाती हैं, जिससे पत्तियों का क्षेत्रफल कम हो जाता है और इसके साथ-ही-साथ उपापचयी क्रियाएँ भी कम हो जाती हैं।

प्रश्न 7.
पौधों के जीवन में प्रकाश का क्या महत्त्व है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
पौधों के जीवन में प्रकाश का बहुत महत्त्व है क्योंकि प्रकाश के बिना पौधों का जीवन संभव नहीं है। पौधों को प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा अपना भोजन निर्माण करने के लिए प्रकाश की आवश्यकता होती है और यदि प्रकाश ही नहीं होगा तो वे प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया नहीं कर पाएँगे। और भोजन के अभाव में मर जायेंगे। इसके अतिरिक्त पौधों को अनेक कार्यों; जैसे-फलने-फूलने, वृद्धि, प्रजनन, बीजों के अंकुरण आदि के लिए भी प्रकाश की आवश्यकता होती है। अतः हम कह सकते हैं कि पौधों के जीवन में प्रकाश का बहुत महत्त्व है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कैल्विन चक्र का विस्तार से वर्णन कीजिए। या प्रकाश-संश्लेषण क्रिया-विधि का संक्षेप में वर्णन कीजिए। या प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया-विधि के सम्बन्ध में आधुनिक विचार बताइए एवं विस्तार से समझाइए। या प्रकाश-संश्लेषण के कैल्विन चक्र का वर्णन कीजिए। था प्रकाश-संश्लेषण के C3 चक्र का विवरण दीजिए। या प्रकाश-संश्लेषण किसे कहते हैं? इसके चक्रीय एवं अचक्रीय प्रकाश-फॉस्फोरिलीकरण का वर्णन कीजिए। या प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया में पर्णहरित का क्या कार्य है? इसकी प्रकाशिक क्रिया समझाइए। या प्रकाश-संश्लेषण के अन्तर्गत प्रकाश एवं अन्धकार प्रक्रिया में भेद कीजिए। या प्रकाशहीन प्रक्रिया क्या है? कैल्विन चक्र का सचित्र वर्णन कीजिए। या कैल्विन-बेन्सन चक्र का वर्णन कीजिए। यह क्रिया हरितलवक के किस भाग में होती है? या प्रकाश कर्म I तथा प्रकाश कर्म II में अन्तर बताइए। या प्रकाश संश्लेषण से आप क्या समझते हैं? प्रकाश-संश्लेषण में होने वाली प्रकाशहीन अभिक्रिया का सविस्तार वर्णन कीजिए।
उत्तर :

प्रकाश-संश्लेषण

वह अभिक्रिया जिसमें हरे पेड़-पौधे सूर्य के प्रकाश, CO2, जल तथा पर्णहरित (Chlorophyll) की उपस्थिति में कार्बोहाइड्रेट्स का निर्माण करते हैं, प्रकाश संश्लेषण (photosynthesis) कहलाती है। इसे निम्न समीकरण द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है
UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 13 Photosynthesis in Higher Plants 11प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया-विधि
उपर्युक्त समीकरण से, यह स्पष्ट है कि 6O2  निकलने के लिए 12H2O, की आवश्यकता पड़ेगी। वास्तव में, जल (H2O)को प्रकाश में क्लोरोफिल की उपस्थिति में हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन के लिए अपघटित (decompose) किया जाता है। वैज्ञानिक हिल (Hill) ने प्रकाशीय क्रियाओं को अलग से पहचाना तथा यह भी निश्चित किया कि प्रकाश की ऊर्जा का उपयोग जल के अणुओं को तोड़कर उससे कच्चे माल की तरह H2 को निष्कासित किया जाता है इसी से उप-उत्पाद के रूप में O2 भी प्राप्त होती है। बाद में, हाइड्रोजन को वातावरण से प्राप्त की गयी कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के साथ स्थिर (fix) करके कार्बोहाइड्रेट्स का निर्माण किया जाता है। यह क्रिया अत्यन्त जटिल होती है तथा अनेक पद और तन्त्रों में होकर सम्पन्न होती है। इस प्रकार प्रारम्भिक क्रियाओं के लिए प्रकाश की आवश्यकता होती है अतः ये क्रियाएँ प्रकाशीय क्रियाएँ या हिलअभिक्रियाएँ (light reactions or Hill reactions) कहलाती हैं। बाद की क्रियाओं के लिए प्रकाश की आवश्यकता नहीं होती है और ये अप्रकाशीय क्रियाएँ (dark reactions) कहलाती हैं। प्रकाश-संश्लेषण के सम्बन्ध में अब यह पूर्णतः निश्चित हो चुका है कि क्लोरोप्लास्ट के अन्दर प्रकाशीय क्रियाएँ गैना (grana) पर तथा अन्य क्रियाएँ पीठिका (stroma) में होती हैं। सभी प्रकार के एन्जाइम्स (enzymes) इत्यादि का निर्माण तथा उपयोग जो प्रकाश संश्लेषण में आवश्यक होते हैं, क्लोरोप्लास्ट के अन्दर ही होता है। इसलिए इस सम्पूर्ण क्रिया को दो भागों में बाँटते हैं

1. प्रकाशीय प्रक्रियाएँ : हिल अभिक्रियाएँ
समस्त प्रकाशीय अभिक्रियाएँ हरितलवक के ग्रैना (grana) पर होती हैं। प्रकाश के अवशोषण से लेकर प्रकाशीय ऊर्जा को प्रयोग करने वाले तक, सभी सम्बन्धित वर्णक, दो प्रकार के वर्णक तन्त्रों में बँटे रहते हैं। इनको वर्णक तन्त्र-I और वर्णक तन्त्र-II कहते हैं। इन्हीं वर्णक तन्त्रों में क्रमशः प्रकाश कर्म-1 तथा प्रकाश कर्म-II होते हैं। दोनों प्रकाश कर्मों में होने वाली विभिन्न अभिक्रियाओं के मुख्य परिणाम इस प्रकार हैं

  1.  सूर्य के प्रकाश की विकिरण ऊर्जा के कारण क्लोरोफिल के अणु सक्रिय हो जाते हैं और उत्तेजित इलेक्ट्रॉन्स (active electrons) का निष्कासन करते हैं।
  2. इलेक्ट्रॉन्स निष्कासित करने के बाद बने सक्रिय क्लोरोफिल की उपस्थिति में आवश्यक ऊर्जा प्राप्त कर जल के अणुओं का विच्छेदन होता है, जिससे हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन प्राप्त होती है
    UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 13 Photosynthesis in Higher Plants 12
  3. उत्तेजित इलेक्ट्रॉन्स इलेक्ट्रॉन स्थानान्तरण तन्त्र के द्वारा अपने स्तर को शनैः-शनैः कम करते हैं। मुक्त हुई इस ऊर्जा को ADP के अणुओं में एक फॉस्फेट गुट्ट जोड़कर, ATP अणु बनाकर संचित कर लिया जाता है।
  4. जल विच्छेदन से प्राप्त हाइड्रोजन NADP नामक हाइड्रोजन ग्राही के द्वारा एकत्र कर ली जाती है।
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  5. प्राप्त ऑक्सीजन पौधे से बाहर निकल जाती है। उपर्युक्त सम्पूर्ण प्रकाशीय अभिक्रियाओं में से प्रकाश कर्म-I में सूर्य के प्रकाश की ऊर्जा को इलेक्ट्रॉन स्थानान्तरण तन्त्र के माध्यम से चक्रीय प्रकाशीय फॉस्फोरिलेशन के द्वारा ATP में अनुबन्धित कर लिया जाता है। प्रकाश कर्म-II में जल के प्रकाशीय विच्छेदन की क्रिया होती है, यहाँ ATP निर्माण की क्रिया अचक्रिक प्रकाशीय फॉस्फोरिलेशन होती है।

चक्रीय फोटोफॉस्फोरिलेशन : प्रकाश कर्म-।
इस क्रिया में हरितलवक में स्थित वर्णक तन्त्र-I (pigment system-I) में क्लोरोफिल के अणु प्रकाशीय ऊर्जा अवशोषित कर ऊर्जित हो जाते हैं। इसके फलस्वरूप इनके प्रत्येक अणु से उच्च ऊर्जा स्तर वाला इलेक्ट्रॉन निकलता है। यह इलेक्ट्रॉन ग्राही पदार्थ अथवा फेरेडॉक्सिन द्वारा ग्रहण कर लिया जाता है। फेरेडॉक्सिन से इलेक्ट्रॉन विभिन्न साइटोक्रोम (cyt b6, cyt f) और प्लास्टोसायनिन से बनी हुई इलेक्ट्रॉन स्थानान्तरण श्रृंखला (electron transport chain) के द्वारा वापस क्लोरोफिल तक पहुँच जाता है। इस क्रमिक क्रिया में इलेक्ट्रॉन्स की कुछ ऊर्जा ए०डी०पी० (ADP) को ए०टी०पी० (ATP) में परिवर्तित करने के काम में आती है; क्योंकि इस क्रिया में ए०डी०पी० में फॉस्फेट का एक मूलक जुड़ता है और यह क्रिया प्रकाश में होती है। अतः इस क्रिया को फोटोफॉस्फोरिलेशन (photophosphorylation) कहते हैं। साथ ही इस क्रिया में क्लोरोफिल से निकला हुआ इलेक्ट्रॉन वापस क्लोरोफिल में ही आ जाता है। अतः इस प्रकार के फोटोफॉस्फोरिलेशन को चक्रीय फोटोफॉस्फोरिलेशन (cyclic photophosphorylation) कहते हैं।
UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 13 Photosynthesis in Higher Plants 14जल का प्रकाशिक अपघटन : प्रकाश कर्म-II
वर्णक तन्त्र-II (pigment system-II) में होने वाला प्रकाश कर्म-II (photo act-II) अचक्रीय फोटोफॉस्फोरिलेशन (non-cyclic photo- phosphorylation) है अर्थात् इस क्रिया में सक्रिय क्लोरोफिल से उत्सर्जित उत्तेजित इलेक्ट्रॉन वापस क्लोरोफिल में नहीं आता है, परन्तु NADP के माध्यम से इलेक्ट्रॉन स्थानान्तरण तन्त्र में जाकर कार्बन डाइऑक्साइड को शर्करा में अपचयित करता है। ऐसी परिस्थिति में क्लोरोफिल में किसी बाह्य इलेक्ट्रॉन दाता से इलेक्ट्रॉन प्राप्त होने चाहिए। हरित पादपों में यह इलेक्ट्रॉन OH आयनों से प्राप्त होते हैं जो साधारणतया जलीय वातावरण में उपस्थित रहते हैं। सामान्य अचक्रीय फॉस्फोरिलेशन में NADP इलेक्ट्रॉन ग्राही (electron acceptor) है। NADP का प्रत्येक अणु दो इलेक्ट्रॉन को ग्रहण करके NADP.H2  बनाता है जो बाद में कार्बन डाइऑक्साइड से शर्करा को उत्पन्न करने के काम आता है। NADP.H2  के निर्माण में दो प्रोटॉन्स की भी आवश्यकता होती है जो जल के टूटने से प्राप्त होते हैं। जल के अपघटन में हाइड्रॉक्सिल आयन व इलेक्ट्रॉन भी प्राप्त होते हैं। ये हाइड्रॉक्सिल आयन आपस में क्रिया करके ऑक्सीजन व जल बनाते हैं। और क्लोरोफिल में इलेक्ट्रॉन्स का प्रतिस्थापन साइटोक्रोम श्रृंखला से होकर जल से निकले हुए इलेक्ट्रॉन्स के द्वारा होता है, इस क्रिया में ए०डी०पी० से ए०टी०पी० का संश्लेषण होता है।
UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 13 Photosynthesis in Higher Plants 15NADP व ADP से क्रमशः NADP.H, व ATP का निर्माण व ऑक्सीजन का निकलना जल के प्रकाशिक अपघटन के अन्तिम उत्पाद हैं। ऑक्सीजन उप-उत्पाद के रूप में ही बनती है। चक्रीय फोटोफॉस्फोरिलेशन में केवल ATP का उत्पादन होता है। इस प्रकार उत्पन्न ATP को स्वांगीकारी शक्ति (assimilatory power) तथा (NADP.H) को अपचयन शक्ति (reducing power) कहते हैं। प्रकाश संश्लेषणात्मक भाग (अप्रकाशीय अभिक्रिया) में यही शक्तियाँ अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हैं अर्थात् ये वास्तविक संश्लेषण का महत्त्वपूर्ण आधार हैं।

2. अप्रकाशीय (अन्धकार) क्रियाएँ : कैल्विन का योगदान
प्रकाश संश्लेषण के लिए ये संश्लेषणात्मक अभिक्रियाएँ हैं जिनके लिए प्रकाश की कोई आवश्यकता नहीं होती तथा ये क्लोरोप्लास्ट के मैट्रिक्स या पीठिका (matrix or stroma) में होती हैं। इन क्रियाओं में कार्बोहाइड्रेट्स (carbohydrates) का निर्माण होता है। ये अत्यन्त जटिल क्रियाएँ हैं। इस सम्बन्ध में वर्तमान जानकारी प्रमुख रूप से मैल्विन कैल्विन (Malvin Calvin) व बेन्सन (Benson), बैशम (Bassham), गैफरॉन (Gaffron), फैगर (Fager) आदि के द्वारा दी गयी है। कार्बन डाइऑक्साइड (CO2 ) किस तरह, किस-किस प्रकार के यौगिक, किस कोशिका और उसके किस भाग में बनाती है तथा किस प्रकार से कार्बोहाइड्रेट्स का निर्माण होता है? इसका क्रम कार्बन का प्रकाश-संश्लेषण में मार्ग (path of carbon in photosynthesis) कहलाता है। कार्बन का यह पथ प्रमुख रूप से कैल्विन (Calvin) ने अपने साथियों के साथ रेडियो-सक्रिय कार्बन (radioactive carbon =C14) का प्रयोग करके खोजा। कार्बन डाइऑक्साइड, C14O2  प्रकार की प्रयोग में लायी गयी तथा बनने वाले यौगिकों का उनकी रेडियोसक्रियता (radioactivity) के आधार पर पता किया गया कि कार्बन का संयोग किस-किस रूप में होता है। इस आधार पर एक निश्चित चक्र तैयार किया गया। इसको कैल्विन  चक्र (Calvin cycle) कहते हैं।

कार्बोहाइड्रेट्स के संश्लेषण का कार्य, वास्तव में बिना प्रकाश के ही हो जाता है, किन्तु CO2; के अपचयन के लिए H+, जो NADP .H2 के रूप में प्राप्त होते हैं, प्रकाशीय अभिक्रियाओं से ही मिलते हैं। चूँकि अप्रकाशीय अभिक्रियाएँ अथवा कार्बन पथ की क्रियाएँ एक चक्र के रूप में होती हैं, जिसकी खोज कैल्विन वैज्ञानिक ने की। इस कारण इनके नाम पर ही इस चक्र को कैल्विन चक्र (Calvin cycle) कहते हैं। इन अभिक्रियाओं में CO2 के स्थिरीकरण का प्रथम स्थायी उत्पाद 3 कार्बन (C3) यौगिक, फॉस्फोग्लिसरिक अम्ल (3-phosphoglyceric acid = 3 PGA) होता है। इस आधार पर इसे C3-चक्र (C3-cycle) भी कहते हैं

कैल्विन चक्र या कार्बन पथ

1. प्रथम फॉस्फोरिलीकरण (First phosphorylation) :
कार्बन डाइऑक्साइड के अपचयन का आरम्भ 5-कार्बन वाली शर्करा रिबुलोज 5-फॉस्फेट (ribulose 5-phosphate) के ए०टी०पी० (ATP) से एक फॉस्फेट समूह प्राप्त करने के बाद होता है। इस प्रकार, इस शर्करा के 6 अणु ATP के 6 अणुओं (प्रकाशीय अभिक्रियाओं से प्राप्त) से संयुक्त होकर रिबुलोज 1, 5-बाइफॉस्फेट के 6 अणुओं का निर्माण करते हैं
UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 13 Photosynthesis in Higher Plants 162. कार्बोक्सिलीकरण (Carboxylation) :
उपर्युक्त के अनुसार कार्बन डाइऑक्साइड का अपचयन सबसे पहले 5 कार्बन वाले यौगिक, रिबुलोज 1, 5-बाइफॉस्फेट के साथ होता है। ऐसा समझा जाता है कि इस क्रिया में एक 6 कार्बन वाले अस्थायी कीटो अम्ल का निर्माण होता है और यह शीघ्र ही टूटकर दो, 3-फॉस्फोग्लिसरिक अम्ल (3-PGA) के अणु बनाता है। इस क्रिया में कार्बन डाइऑक्साइड के 6 अणुओं का उपयोग होता है
UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 13 Photosynthesis in Higher Plants 173. द्वितीय फॉस्फोरिलीकरण (Second phosphorylation) :
3-PGA के 12 अणु जो समीकरण (ii) से प्राप्त हो रहे हैं, एन्जाइम ट्राइओज फॉस्फेट डीहाइड्रोजिनेज तथा फॉस्फोग्लिसरिक ऐसिड काइनेज की उपस्थिति में दो प्रकार की क्रियाएँ करते हैं। पहले 1, 3-डाइफॉस्फोग्लिसरिक अम्ल (1, 3-diphosphoglyceric acid = 1, 3-PGA) बना है। इसमें 12 ATP अणुओं का उपयोग होता है
UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 13 Photosynthesis in Higher Plants 184. अपचयन (Reduction) :
1, 3-डाइफॉस्फोग्लिसरिक अम्ल बाद में 3-फॉस्फोग्लिसरेल्डिहाइड (3-phospho-glyceraldehyde = PGAL) में बदल जाता है। इस क्रिया में प्रकाश कर्म-II से प्राप्त NADP. H2 से हाइड्रोजन प्राप्त की जाती है तथा फॉस्फोरिक अम्ल (H3PO4) बनता है
UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 13 Photosynthesis in Higher Plants 195. फॉस्फोग्लिसरेल्डिहाइड  :
(PGAL) एक खाद्य पदार्थ है और कई प्रकार से क्रिया करता है। इनमें अभिक्रियाओं को अग्रलिखित दो भागों में बाँटा जा सकता है
UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 13 Photosynthesis in Higher Plants 201. खण्ड A (section A) :
12 PGAL अणुओं में से दो अणु विभिन्न पदों में होकर पहले हेक्सोज शर्करा का एक अणु तथा बाद में अन्य अणुओं के साथ मिलकर मण्ड (starch) आदि का निर्माण करते हैं।

2. खण्ड B (section B) :
12 PGAIL में से शेष 10 अणुओं से चक्रीय क्रियाओं द्वारा 6 अणु रिबुलोज मॉनोफॉस्फेट (ribulose monophosphate) के बनाते हैं।

खण्ड A

(i) PGAL का एक अणु फॉस्फोटाइओज आइसोमिरेज (एन्जाइम) की उपस्थिति में अपने
समावयवी (isomer), डाइहाइड्रॉक्सीऐसीटोन फॉस्फेट (dihydroxyacetone phosphate) में परिवर्तित हो जाता है
UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 13 Photosynthesis in Higher Plants 21(ii) एक अणु उपर्युक्त क्रिया में बने 3-डाइहाइड्रॉक्सी ऐसीटोन फॉस्फेट के साथ मिलकर फ्रक्टोज 1, 6-डाइफॉस्फेट (fructose 1, 6-diphosphate) का निर्माण करते हैं। यह दो ट्राइओसेज (CG) से मिलकर हेक्सोज (CG) बनने की क्रिया है। इस क्रिया में एल्डोंलेज (एन्जाइम) आवश्यक है।
UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 13 Photosynthesis in Higher Plants 22(iii) बाद में, फ्रक्टोज 1, 6-डाइफॉस्फेट [समीकरण (vi)] एक फॉस्फेट समूह का निष्कासन, फॉस्फेटेज (phosphatase) एन्जाइम की उपस्थिति में करते हैं
UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 13 Photosynthesis in Higher Plants 23फ्रक्टोज 6-फॉस्फेट (fructose 6-phosphate) एन्जाइम की उपस्थिति में अन्य हेक्सोज फॉस्फेट का, आन्तरिक परिवर्तन के द्वारा निर्माण कर सकते हैं। इसी प्रकार ग्लूकोज फॉस्फेट का भी निर्माण कर सकते हैं। ग्लूकोज या फ्रक्टोज फॉस्फेट अपना एकमात्र फॉस्फेट समूह फॉस्फेटेज (phosphatase) एन्जाइम की उपस्थिति में निष्कासित कर लेते हैं। इस प्रकार ग्लूकोज (glucose) का एक अणु उत्पादित होता है।

खण्ड B

इन विभिन्न क्रियाओं में रिलूलोज 5-फॉस्फेट (ribulose 5-phosphate) फिर से उत्पन्न होता है, पुनरुत्पादन (regeneration)। फॉस्फोग्लिसरेल्डिहाइड (PGAL) डाइहाइड्रॉक्सीऐसीटोन फॉस्फेट, ट्राइओज, 4-कार्बन (tetrose), 5-कार्बन (pentose), 7-कार्बन (heptose) आदि शर्करा फॉस्फेट बनाने के लिये भी प्रारम्भिक पदार्थ हैं। इस कार्य में हेक्सोज शर्कराओं को भी काम में लाया जाता है। निम्नलिखित क्रियाएँ इसको स्पष्ट करती हैं
UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 13 Photosynthesis in Higher Plants 24समीकरण (xii) तथा (xiii) के परिवर्तनों से रिबुलोज 5-फॉस्फेट (ribulose 5-phosphate) के 2+4 = 6 अणु प्राप्त हो जाते हैं,
जो समीकरण (i) के अनुसार 6 ATP से फॉस्फेट समूह प्राप्त करके रिबुलोज बाइफॉस्फेट (ribulose biphosphate = RuBP) में परिवर्तित होते हैं, जो नये कार्बन डाइऑक्साइड अणुओं के अपचयन के लिये तैयार होते हैं। इस प्रकार ये क्रियाएँ चक्रीय (cyclic) होती हैं। उपर्युक्त सम्पूर्ण क्रियाओं में 18 ATP तथा 12 NADP.H2 काम में आ जाते हैं और केवल एक अणु ग्लूकोज प्राप्त होता हैUP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 13 Photosynthesis in Higher Plants 25प्रकाशीय तथा अप्रकाशीय सम्पूर्ण क्रियाओं को जोड़कर निम्न अभिक्रिया प्राप्त होती है
UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 13 Photosynthesis in Higher Plants 26प्रश्न 2.
C4पथ का वर्णन कीजिए। C3 एवं C4 पौधों की पत्तियों की शारीरिकी की तुलना कीजिए। या हैच-स्लैक चक्र का वर्णन कीजिए। यह किन पौधों में पाया जाता है? इन पौधों की पत्तियों के शरीर की क्या विशेषता हैं?

उत्तर :
वे पौधे जो उच्च ताप वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं उनमें C4 पथ पाया जाता है। इन पौधों में CO2 के यौगिकीकरण का पहला उत्पाद यद्यपि एक 4C पदार्थ ऑक्सैलोऐसीटिक अम्ल (Oxaloacetic acid) होता है फिर भी इनके मुख्य जैव संश्लेषण पथ में C3 पथ अथवा कैल्विन चक्र ही होता है। C4 पौधे विशिष्ट होते हैं। इनकी पत्तियों में एक विशेष प्रकार की शारीरिकी पायी जाती है। ये पौधे उच्च ताप को भी सह सकते हैं। ये उच्च प्रकाश तीव्रता के प्रति अनुक्रिया करते हैं। इनमें प्रकाश श्वसन प्रक्रिया नहीं होती और जैव भार अधिक उत्पन्न होता है।
C4 पथ पौधों के संवहन बण्डल (vascular bundle) के चारों ओर स्थित बृहद् कोशिकाएँ पूलाच्छद (bundle sheath) कोशिकाएँ कहलाती हैं और पत्तियाँ जिनमें ऐसा शरीर होता है, उन्हें क्रैन्ज शरीर (Kranz anatomy) वाली पत्तियाँ कहते हैं। यहाँ कैंज का अर्थ है छल्ला अथवा घेरा, चूँकि कोशिकाओं की व्यवस्था एक छल्ले के रूप में होती है। संवहन बण्डल के आस-पास पूलाच्छद कोशिकाओं की अनेक परतें (several layers) होती हैं। इनमें बहुत अधिक संख्या में क्लोरोप्लास्ट होते हैं। इसकी मोटी भित्तियाँ
गैस से अप्रवेश्य होती हैं और इनमें अन्तरकोशीय स्थान नहीं होता। सर्वप्रथम सन् 1957 में कोर्शचॉक (Kortschak) एवं सहयोगियों ने बताया कि गन्ने के पौधों (sugarcane plants) में अप्रकाशीय अभिक्रिया के दौरान प्रथम स्थाई यौगिक (first stable product) के रूप में 4C वाला यौगिक बनता है। इसी प्रकार की व्याख्या कार्पिलो (Karpilov, 1960) ने मक्का की पत्तियों (maize leaves) में की। बाद में सन् 1966 में एम०डी० हैच और सी०आर० स्लैक (M.D. Hatch and C.R. Slack) ने इसकी विस्तृत व्याख्या की
जिसे हैच एवं स्लैक पथ (Hatch and Slack path) कहते हैं। यह एक चक्रीय प्रक्रिया है। यह मुख्य रूप से एकबीजपत्री पौधों; जैसे-sugarcane, maize, cyperus (घास);  Sorghum, Atriplex आदि में पाया जाता है। यह कुछ द्विबीजपत्री पौधों (जैसे Amaranthus) में भी पाया जाता है। हैच एवं स्लैक पथ के निम्नलिखित चरण होते हैं

CO2 का प्राथमिक ग्राही एक 3 कार्बन अणु फॉस्फोइनोल पाइरुवेट (PEP) है और वह पर्णमध्योतक कोशिका में स्थित होता है। इस यौगिकीकरण को PEP कार्बोक्सीलेज (PEP carboxylase) नामक एन्जाइम सम्पन्न करता है। पर्णमध्योतक कोशिकाओं में रुबिस्को एन्जाइम नहीं होता है। C4 अम्ल, ऑक्सैलोऐसीटिक अम्ल (OAA) पर्णमध्योतक कोशिका में निर्मित होता है। इसके बाद पर्णमध्योतक कोशिका में अन्य 4-कार्बन वाले अम्ल; जैसे–मैलिक अम्ल (malic acid) और एस्पार्टिक अम्ल (aspartic acid) बनते हैं, जोकि पूलाच्छद कोशिका (bundle sheath cells) में चले जाते हैं। पूलाच्छद कोशिका में यह C4 अम्ल विघटित हो जाता है जिससे COतथा एक 3-कार्बन अणु पाइरुविक अम्ल मुक्त होते हैं।
UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 13 Photosynthesis in Higher Plants 273-कार्बन अणु पुनः पर्णमध्योतक में वापस आ जाता है, जहाँ यह पुनः PEP में बदल जाता है और इस तरह से यह चक्र पूरा होता है। पूलाच्छद कोशिका से निकली COकैल्विन पथ अथवा C3 चक्र में प्रवेश करती है। कैल्विन एक ऐसा पथ है जो सभी पौधों में समान रूप से होता है। पूलाच्छद कोशिका रुबिस्को से भरपूर होती है, परन्तु इनमें PEP कार्बोक्सीलेज का अभाव होता है। अतः मैलिक पथ एवं कैल्विन पथ जिसके परिणामस्वरूप शर्करा बनती है, वह Cएवं C4 पौधों में सामान्य रूप से होता है। ध्यान रहे कि कैल्विन पथ सभी C3 पौधों की पर्णमध्योतक कोशिकाओं में पाया जाता है। C4 पौधों में पर्णमध्योतक कोशिकाओं में यह सम्पन्न नहीं होता है, किन्तु केवल पूलाच्छद कोशिकाओं में कारगर होता है।

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