UP Board Solutions for Class 9 Social Science Geography Chapter 3 अपवाह
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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
दिए गए चार विकल्पों में से सही विकल्प चुनिए।
(i) निम्नलिखित में से कौन-सा वृक्ष की शाखाओं के समान अपवाह प्रतिरूप प्रणाली को दर्शाता है?
(क) अरीय
(ख) केंद्राभिमुख
(ग) द्वमाकृतिक
(घ) जालीनुमा
(ii) वूलर झील निम्नलिखित में से किस राज्य में स्थित है?
(क) राजस्थान
(ख) पंजाब
(ग) उत्तर प्रदेश
(घ) जम्मू-कश्मीर
(iii) नर्मदा नदी का उद्गम कहाँ से है?
(क) सतपुड़ा
(ख) अमरकंटक
(ग) ब्रह्मगिरी
(घ) पश्चिमी घाट के ढाल
(iv) निम्नलिखित में से कौन-सी लवणीय जलवाली झील है?
(क) सांभर
(ख) वूलर
(ग) डल
(घ) गोबिंद सागर
(v) निम्नलिखित में से कौन-सी नदी प्रायद्वीपीय भारत की सबसे बड़ी नदी है?
(क) नर्मदा
(ख) गोदावरी
(ग) कृष्णा
(घ) महानदी
(vi) निम्नलिखित नदियों में से कौन-सी नदी भ्रंश घाटी से होकर बहती है?
(क) दामोदर
(ख) कृष्णा
(ग) तुंगभद्रा
(घ) तापी
उत्तर:
(i) (ग) द्रुमाकृतिक
(ii) (घ) जम्मू-कश्मीर
(iii) (ख) अमरकंटक
(iv) (क) सांभर
(v) (ख) गोदावरी
(vi) (घ) तापी
प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए –
- जल-विभाजक को क्या कार्य है? एक उदाहरण दीजिए।
- भारत में सबसे विशाल नदी द्रोणी कौन-सी है?
- सिंधु एवं गंगा नदियाँ कहाँ से निकलती हैं?
- गंगा की दो मुख्य धाराओं के नाम लिखिए। ये कहाँ पर एक-दूसरे से मिलकर गंगा नदी का निर्माण करती हैं?
- लंबी धारा होने के बावजूद तिब्बत के क्षेत्रों में ब्रह्मपुत्र में कम गाद (सिल्ट) क्यों है?
- कौन-सी दो प्रायद्वीपीय नदियाँ गर्त से होकर बहती हैं? समुद्र में प्रवेश करने के पहले वे किस प्रकार की आकृतियों का निर्माण करती हैं?
- नदियों तथा झीलों के कुछ आर्थिक महत्त्व को बताएँ।
उत्तर:
- कोई उच्चभूमि जैसे पर्वत जो दो पड़ोसी अपवाह द्रोणियों को अलग करता है, उसे जल-विभाजक कहते हैं। हिमालय एक महत्त्वपूर्ण जल-विभाजक है।
- भारत की सबसे विशाल नदी द्रोणी गंगा नदी की द्रोणी है। गंगा नदी की लंबाई 2,500 किमी है।
- सिंधु नदी तिब्बत में मानसरोवर झील के पास से निकलती है। गंगा नदी गंगोत्री नामक हिमानी से निकलती है जो हिमालय के दक्षिणी ढलान पर स्थित है।
- गंगा नदी की दो प्रमुख धाराएँ भागीरथी और अलकनंदा हैं। ये उत्तराखण्ड के देवप्रयाग नामक स्थान पर एक-दूसरे से मिलकर गंगा नदी का निर्माण करती हैं।
- तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी का मार्ग बहुत लंबा है, परन्तु इस मार्ग में इसे वर्षा अथवा अन्य साधनों से कम जल की प्राप्ति होती है। कम जल के कारण इसकी अपरदन शक्ति कम होती है। इसी कारण इसमें गोद (सिल्ट) की मात्रा कम होती है।
- नर्मदा एवं तापी भारत की दो ऐसी नदियाँ हैं जो गर्त से होकर बहती हैं तथा ज्वारनदमुख को निर्माण करती हैं।
- नदियाँ एवं झीलें नदी के बहाव को नियंत्रित करती हैं। ये अति-वृष्टि के समय बाढ़ को रोकती हैं। अनावृष्टि के समय ये पानी के बहाव को बनाए रखती हैं। इनका उपयोग जल-विद्युत उत्पादन के लिए किया जाता है। ये आसपास की जलवायु को मृदु बनाती हैं तथा जलीय परितंत्र का संतुलन बनाए रखती हैं। ये प्राकृतिक सौंदर्य में वृद्धि करती हैं तथा पर्यटन का विकास करने में सहायता प्रदान करती हैं और मनोरंजन करती हैं।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 3.
नीचे भारत की कुछ झीलों के नाम दिए गए हैं। इन्हें प्राकृतिक एवं मानवनिर्मित वर्गों में बाँटिए-
- वूलर
- डल
- नैनीताल
- भीमताल
- गोबिन्द सागर
- लोकताक
- बारापानी
- चिल्का
- सांभर
- राणाप्रताप सागर
- निजाम सागर
- पुलिकट
- नागार्जुन सागर
- हीराकुण्ड
उत्तर:
प्राकृतिक झील | मानवनिर्मित झील |
वूलर | गोविन्द सागर |
डल | राणा प्रताप सागर |
नैनीताल | निजाम सागर |
भीमताल | नागार्जुन सागर |
लोकताक | हीराकुण्ड |
बारापानी | |
चिल्का | |
सांभर | |
पुलिकट |
प्रश्न 4.
हिमालय तथा प्रायद्वीपीय नदियों के मुख्य अंतरों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
हिमालय तथा प्रायद्वीपीय नदियों में निम्नलिखित अंतर है-
हिमालय से निकलने वाली नदियाँ | प्रायद्वीपीय भारत की नदियाँ |
1. इन नदियों से नहरें निकालना आसान और अधिक उपयोगी है। इनके जल का उपयोग सिंचाई और जल विद्युत दोनों में खूब किया जाता है। | 1. इन नदियों से नहरें निकालना कठिन है। अतः सीमित क्षेत्रों में ही सिंचाई हो पाती है। |
2. इन नदियों ने देश के विस्तृत उपजाऊ मैदान का निर्माण कर, देश को कृषिप्रधान बनाया है। | 2. ये नदियाँ तेज ढाल वाले क्षेत्रों तथा पथरीले भागों में बहती हैं। अतः जल विद्युत केन्द्रों की स्थापना कर, जल विद्युत के निर्माण के लिए अधिक उपयोगी हैं। |
3. देश का कुल संभावित जल विद्युत क्षमता को 60 प्रतिशत प्रतिशत भाग हिमालय की नदियों में है। | 3. इन नदियों में देश की संभावित जलशक्ति का 40 भाग पाया जाता है। |
4. समतल भू-भाग से होकर बहने के कारण से नाव्य नदियाँ हैं। | 4. ये नदियाँ मार्ग में प्रपात बनाती चलती हैं। अतः नाव्य नहीं हैं। तटीय मैदानों में ही ये नाव्य हैं। |
5. हिमालय पर्वत से निकलने वाली अधिकांश नदियाँ हिमानियों से जन्मी हैं। | 5. प्रायद्वीपीय भारत की नदियाँ वर्षा के जल अथवा भूमिगत जल पर निर्भर हैं। यहाँ कोई हिमानी नहीं है। |
6. इन नदियों में जल वर्ष भर पर्याप्त मात्रा में मिलता है। | 6. शुष्क मौसम में यहाँ की अधिकांश नदियाँ सूख जाती हैं, शेष की जलधारा बहुत पतली हो जाती है। अतः ये नदियाँ सदानीरा होती हैं। |
प्रश्न 5.
प्रायद्वीपीय पठार के पूर्व एवं पश्चिम की ओर बहने वाली नदियों की तुलना कीजिए।
उत्तर:
पूर्व एवं पश्चिम की ओर बहने वाली नदियों में प्रमुख अंतर इस प्रकार है-
पूर्व की ओर बहने वाली नदियाँ | पश्चिम की ओर बहने वाली नदियाँ |
1. कृष्णा, कावेरी, गोदावरी, महानदी पूर्व की ओर बहने वाली नदियाँ हैं। | 1. नर्मदा एवं तापी पश्चिम की ओर बहने वाली नदियाँ हैं। |
2. पूर्व की ओर बहने वाली नदियाँ बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं। | 2. ये नदियाँ अरब सागर में गिरती हैं। |
3. इन नदियों का अपवाह तंत्र विकसित तथा आकार में बड़ा है। | 3. इन नदियों का अपवाह तंत्र विकसित नहीं है। उनकी सहायक नदियाँ आकार में छोटी होती हैं। |
4. ये नदियाँ बहुत गहराई में नहीं बहती हैं। | 4. ये नदियाँ गर्त से होकर बहती हैं। |
5. ये नदियाँ पूर्वी तट पर बड़े डेल्टा का निर्माण करती हैं। | 5. ये नदियाँ डेल्टा की बजाय ज्वारनद का निर्माण करती हैं। |
6. मुहाने के निकट इन नदियों की गति बहुत मंद हो जाती है। | 6. मुहाने के निकट इन नदियों की गति बहुत तेज होती है। |
7. इन नदियों की लंबाई अधिक होती है। | 7. इन नदियों की लंबाई कम होती है। |
प्रश्न 6.
किसी देश की अर्थव्यवस्था के लिए नदियाँ महत्त्वपूर्ण क्यों हैं?
उत्तर:
नदियों का किसी देश की अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण योगदान निम्न बिन्दुओं से स्पष्ट हो जाता है-
- ये जल के बहाव को नियंत्रित करने में सहायता करती हैं।
- ये भारी वर्षा के समय बाढ़ को रोकती हैं।
- ये शुष्क मौसम के दौरान पानी का एकसमान बहाव बनाए रखती हैं।
- इनकी सहायता से जल-विद्युत पैदा की जाती है।
- ये आस-पास के वातावरण को मृदु बना देती हैं।
- ये जलीय परितंत्र को बनाए रखती हैं।
- ये प्राकृतिक सौन्दर्य में वृद्धि रखती हैं।
- ये पर्यटन का विकास करने में सहायता प्रदान करती हैं और मनोरंजन करती हैं।
- नदियों से हमें प्राकृतिक ताजा मीठा पानी मिलता है जो मनुष्य सहित अधिकतर जीव-जंतुओं के जीवन के लिए आवश्यक है।
- ये नई मृदा बिछाकर उसे खेती-योग्य बनाती हैं जिससे बिना अधिक मेहनत के इस पर खेती की जा सके।
- नदियों के तटों ने प्राचीनकाल से ही आदिवासियों को आकर्षित किया है। ये बस्तियाँ कालांतर में बड़े शहर बन गए।
- नदियाँ अपने प्रवाह क्षेत्र में जल निकासी का कार्य करती हैं।
- नदियाँ अवसादी निक्षेपों का निर्माण करती हैं। इन निक्षेपों में वनस्पति तथा प्राणी अवशेष पाए जाते हैं जो कालांतर में सड़-गलकर कोयले एवं पेट्रोलियम में रूपांतरित हो जाते हैं।
मानचित्र कौशल
(i) भारत के रेखा मानचित्र पर निम्नलिखित नदियों को चिन्हित कीजिए तथा उनके नाम लिखिए-
- गंगा,
- सतलुज,
- दामोदर,
- कृष्णा,
- नर्मदा,
- तापी,
- महानदी,
- दिहांग।
(ii) भारत के रेखा मानचित्र पर निम्नलिखित झीलों को चिन्हित कीजिए तथा उनके नाम लिखिए-
- चिल्का,
- सांभर,
- वूलर,
- पुलिकट तथा कोलेरू
उत्तर:
क्रियाकलाप
नीचे दी गई वर्ग पहेली को हल करें –
बाएँ से दाएँ-
- नागार्जुन सागर नदी परियोजना किस नदी पर है?
- भारत की सबसे लंबी नदी।
- ब्यास कुण्ड से उत्पन्न होने वाली नदी।
- मध्य प्रदेश के बेतुल जिले से उत्पन्न होकर पश्चिम की ओर बहने वाली नदी।
- पश्चिम बंगाल का ‘शोक’ के नाम से जानी जाने वाली नदी।
- किस नदी से इन्दिरा गांधी नहर निकाली गई है?
- रोहतांग दरें के पास किस नदी का स्रोत है?
- प्रायद्वीपीय भारत की सबसे लंबी नदी।
ऊपर से नीचे : - सिंधु की सहायक नदी जिसका उद्गम स्थल हिमाचल प्रदेश में है।
- भ्रंश अपवाह से होकर अरब सागर में मिलने वाली नदी।
- दक्षिण भारतीय नदी, जो ग्रीष्म तथा सर्द दोनों ऋतुओं में वर्षा का जल प्राप्त करती है।
- लद्दाख, गिलगित तथा पाकिस्तान से बहने वाली नदी।
- भारतीय मरुस्थल की एक महत्त्वपूर्ण नदी।
- पाकिस्तान में चेनाब से मिलने वाली नदी।
- यमुनोत्री हिमानी से निकलने वाली नदी।
उत्तर:
बाएं से दाएँ :
- कृष्णा KRISHNA)
- गंगा (GANGA)
- ब्यास (BEAS)
- तापी (TAPI)
- दामोदर (DAMODAR)
- सतलुज (SATLUJ)
- रावी (RAVI)
- गोदावरी (GODAVARI)
ऊपर से नीचे : - चेनाब (CHENAB)
- नर्मदा (NARMADA)
- कावेरी (KAVERI)
- सिंधु (INDUS)
- लूनी (LUNI)
- झेलम (JHELUM)
- यमुना (YAMUNA)
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
भारत के किन राज्यों में सिंधु नदी तंत्र के जल से सिंचाई होती है?
उत्तर:
इस नदी तंत्र से भारत के पंजाब, हरियाणा तथा राजस्थान के पश्चिमी भागों में सिंचाई होती है।
प्रश्न 2.
सिंधु जल संधि के अनुसार भारत सिंधु नदी क्षेत्र के कितने प्रतिशत जल का उपयोग कर सकता है?
उत्तर:
इस संधि के अनुसार भारत इस नदी क्षेत्र के 20 प्रतिशत जल का उपयोग कर सकता है।
प्रश्न 3.
भारत में नदियों को प्रदूषण से बचाने के लिए कौन-सी योजना बनायी गयी है?
उत्तर:
भारत में नदियों को प्रदूषित होने से बचाने के लिए राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना कार्यरत है।
प्रश्न 4.
‘राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना’ का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
गंगा कार्य योजना के क्रियाकलापों का पहला चरण 1985 से आरंभ किया गया एवं इसे 31 मार्च, 2000 ई0 को बंद किया गया था। राष्ट्रीय नदी संरक्षण प्राधिकरण की कार्यकारी समिति ने गंगा कार्य योजना के प्रथम चरण की प्रगति की समीक्षा की तथा गंगा कार्य योजना के प्रथम चरण से प्राप्त अनुभवों के आधार पर आवश्यक सुझाव दिए। इस कार्य योजना को देश की प्रमुख प्रदूषित नदियों से राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना के अन्तर्गत लागू किया गया है।
प्रश्न 5.
पृथ्वी पर स्वच्छ जल की उपलब्ध मात्रा बताइए।
उत्तर:
पृथ्वी के धरातल का लगभग 71 प्रतिशत भाग जल से ढका हुआ है लेकिन इसका 97 प्रतिशत जल लवणीय है। मात्र 3 प्रतिशत ही जल स्वच्छ रूप में उपलब्ध है। साथ ही स्वच्छ जल का तीन चौथाई भाग हिमानी के रूप में उपलब्ध है।
प्रश्न 6.
राजस्थान में स्थित खारे पानी की प्रसिद्ध झील का नाम और महत्त्व बताइए।
उत्तर:
राजस्थान में खारे पानी की प्रसिद्ध झील ‘सांभर’ है। इसके नाम से खाने वाला नमक बनाया जाता है।
प्रश्न 7.
भारत के पूर्वी तट पर खारे पानी की दो झीलों के नाम बताइए।
उत्तर:
ओडिशा की चिल्का झील तथा तमिलनाडु की पुलिकट झील।
प्रश्न 8.
भारत की मीठे पानी की सबसे बड़ी झील कहाँ स्थित है?
उत्तर:
भारत में जम्मू-कश्मीर में स्थित वूलर झील मीठे पानी की सबसे बड़ी झील है।
प्रश्न 9.
‘मेघना’ क्या है?
उत्तर:
बांग्लादेश के दक्षिणी भाग में जब ब्रह्मपुत्र और गंगा आपस में मिलती हैं तो इसकी संयुक्त धारा को ‘मेघना’ कहते हैं।
प्रश्न 10.
गंगा नदी तंत्र का अपवाह किन-किन राज्यों में है?
उत्तर:
गंगा नदी तंत्र उत्तराखण्ड, हरियाणा, दक्षिण-पूर्वी राजस्थान, उत्तरी मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार तथा पश्चिम बंगाल राज्यों में जल का अपवाह करता है।
प्रश्न 11.
शिवसमुद्रम जलप्रपात के लाभ बताइए।
उत्तर:
शिवसमुद्रम जलप्रपात कावेरी नदी पर स्थित है। यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा जलप्रपात है। यह प्रपात, मैसूर, बंगलुरु तथा कोलार स्वर्ण क्षेत्र को विद्युत प्रदान करता है।
प्रश्न 12.
सिंधु जल समझौता संधि का विवेचन कीजिए।
उत्तर:
सिंधु जल समझौता संधि 1960 ई0 में भारत और पाकिस्तान के बीच किया गया था। सिंधु जल समझौता संधि के अनुच्छेदों (1960) के अनुसार भारत इस नदी प्रक्रम के संपूर्ण जल का केवल 20 प्रतिशत जल उपयोग कर सकता है। इस जल का उपयोग हम पंजाब, हरियाणा एवं राजस्थान के दक्षिण-पश्चिम भागों में सिंचाई के लिए करते हैं।
प्रश्न 13.
द्रुमाकृतिक अपवाह प्रतिरूप किसे कहते हैं?
उत्तर:
द्रुमाकृतिक अपवाह प्रतिरूप उस समय विकसित होता है जब धाराएँ उस क्षेत्र की ढलान के अनुसार बहती हैं। यदि किसी धारा की सहायक नदियाँ किसी वृक्ष की शाखाओं जैसी प्रतीत होती हैं तो यह प्रतिरूप दुमाकृतिक प्रतिरूप कहलाता
प्रश्न 14.
जालीनुमा अपवाह प्रतिरूप क्या है?
उत्तर:
जब सहायक नदियाँ मुख्य नदी से समकोण पर मिलती हैं तथा इसे जाली जैसा आकार प्रदान करती हैं तो इस विशिष्ट अपवाह तंत्र को जालीनुमा प्रतिरूप कहा जाता है।
प्रश्न 15.
अरीय अपवाह प्रतिरूप क्या है?
उत्तर:
जब केन्द्रीय शिखर अथवा गुबंद जैसी संरचना से धाराएँ विभिन्न दिशाओं में प्रवाहित होती हैं तो उस प्रतिरूप को अरीय प्रतिरूप कहा जाता है। विभिन्न प्रकार के अपवाह प्रतिरूप एक ही अपवाह द्रोणी में भी पाए जा सकते हैं।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
हिमालय क्षेत्र में पायी जाने वाली झीलों का निर्माण कैसे हुआ?
उत्तर:
हिमालय क्षेत्र में प्रमुख रूप से ताजे पानी की झीलें पायी जाती हैं। इन झीलों की उत्पत्ति हिम नदियों से हुई है। वास्तव में हिमनदियों ने एक गहरे बेसिन का निर्माण किया। धीरे-धीरे यह बेसिन हिमानियों की बर्फ पिघलने से बने जल से भर गया। इस तरह हिमालय क्षेत्र की झीलें अस्तित्व में आई थीं।
प्रश्न 2.
भारत की झीलों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
डल, वूलर, सांभर, चिल्का, पुलिकट, कोलेस, बेबनाद, लोनार आदि भारत की प्रमुख झीलें हैं। इनमें से अधिकांश कुमाऊँ हिमालय क्षेत्र के नैनीताल जिले में हैं। डल और वूलर झीलें उत्तरी कश्मीर में हैं। ये पर्यटकों के लिए आकर्षण के केन्द्र हैं। राजस्थान में जयपुर के समीप सांभर और महाराष्ट्र में बुलढाणा जिले में लोणार में खारे पानी की झीलें हैं। ओडिशा की चिल्का झील भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है। चेन्नई के निकट पुलिकट अनूप झील है। गोदावरी और कृष्णा नदी के डेल्टा प्रदेश के बीच कोलेस नामक मीठे पानी की झील है। केरल के किनारों के साथ-साथ लंबी-लंबी अनूप झीलें हैं। इन्हें कयाल कहते हैं। इनमें से बेबनाद खारे पानी का सबसे बड़ा कयाल है।
प्रश्न 3.
गंगा-ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र का विवेचन कीजिए।
उत्तर:
उत्तर भारत के मैदान का ज्यादातर हिस्सा गंगा-ब्रह्मपुत्र नदियों के योगदान से निर्मित है। गंगा-ब्रह्मपुत्र के मैदान को दो भागों में बाँटा जा सकता है-
(अ) गंगा का मैदान
(ब) ब्रह्मपुत्र का मैदान।
(अ) गंगा का मैदान – भारत के सर्वाधिक विस्तृत इस मैदान का निर्माण गंगा और उसकी सहायक नदियों द्वारा लायी गयी मिट्टी के निक्षेप से बना है। गंगा के मैदान का ढाल पूर्व की ओर है क्योंकि गंगा का प्रवाह पश्चिम से पूर्व की ओर है। उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, राजस्थान तथा मध्यप्रदेश राज्यों के अधिकांश मैदानी भाग गंगा नदी-तंत्र के योगदान से निर्मित हैं।
(ब) ब्रह्मपुत्र का मैदान – यह मैदान देश के उत्तर के विशाल पूर्वी भाग में स्थित है। इस मैदान का विस्तार असोम और मेघालय राज्यों में है। इस मैदान का निर्माण ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियों के निक्षेप से हुआ है।
उत्तरी विशाल मैदान बहुत उपजाऊ है। यह भारत का अन्न भंडार है। अन्न के साथ-साथ कई व्यापारिक फसलें जैसे-गन्ना और जूट का यह प्रमुख क्षेत्र है।
जीविकोपार्जन के साधन सुलभ होने, जल निकास की समुचित व्यवस्था होने, स्वास्थ्यवर्द्धक जलवायु, यातायात के साधन, कृषि एवं उद्योगों के विकास के कारण ही इन मैदानी भागों में देश की आधी से अधिक जनसंख्या निवास करती है।
धरातल के समतल होने के कारण यातायात के साधनों का तेजी से विकास हुआ है। फलस्वरूप यहाँ अनेक नगरों, व्यावसायिक तथा औद्योगिक केन्द्रों का विकास हुआ है।
प्रश्न 4.
गंगा द्रोणी की चार विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
गंगा द्रोणी की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
- यह द्रोणी बहुत मंद ढाल वाली है। हरियाणा से बांग्लादेश तक कुल 300 मीटर का ढाल है।
- भारत के विशाल मैदान पर गंगा द्रोणी का ही सबसे अधिक विस्तार है।
- गंगा हिमालय क्षेत्र में गंगोत्री से निकलती है और हरिद्वार के निकट गंगा मैदान में प्रवेश करती है।
- गंगा की प्रमुख सहायक नदी-यमुना यमुनोत्री से निकलकर, इलाहाबाद में गंगा से मिल जाती है। गंगा की अन्य सहायक नदियाँ गोमती, घाघरा, गंडक, कोसी आदि हैं।
प्रश्न 5.
प्रायद्वीपीय भारत की तापी तथा नर्मदा नदियों की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
तापी नदी-तापी नदी की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
- यह नदी मध्य प्रदेश के बेतुल जनपद में स्थित सतपुड़ा श्रृंखला से निकलती है।
- यह नर्मदा के समानांतर एक भ्रंश घाटी में बहती है किन्तु यह लंबाई में अपेक्षाकृत बहुत छोटी है।
- इसकी द्रोणी में मध्य प्रदेश, गुजरात तथा महाराष्ट्र शामिल हैं।
- पश्चिमी घाट तथा अरब सागर के बीच तटीय मैदान बहुत सँकरे हैं। इसलिए तटीय नदियाँ बहुत छोटी हैं।
- पश्चिम की ओर बहने वाली प्रमुख नदियाँ साबरमती, माही, भारत-पुजा और पेरियार हैं।
नर्मदा नदी-नर्मदा नदी की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
- यह नदी मध्य प्रदेश में स्थित अमरकंटक पहाड़ियों के निकट से निकलती है।
- यह भ्रंशीकरण के कारण पैदा हुई एक भ्रंश घाटी में पश्चिम की ओर बहती है।
- जबलपुर के निकट संगमरमर की चट्टानों में यह गहरे गॉर्ज बनाती है तथा धौलाधर प्रपात में यह नदी खड़ी चट्टानों पर गिरती है जो कि नर्मदा नदी द्वारा बनाए गए दर्शनीय स्थानों में से एक है।
- नर्मदा द्रोणी में मध्य प्रदेश का कुछ भाग तथा गुजरात शामिल हैं।
प्रश्न 6.
गंगा कार्य योजना का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
यह कार्य योजना 1985 ई0 में आरंभ की गयी। इस कार्य योजना के प्रथम चरण की समाप्ति सन् 2000 में हुई। राष्ट्रीय नदी संरक्षण प्राधिकरण कार्यकारी समिति गंगा कार्य योजना की प्रगति की समीक्षा की तथा इसमें पाई गई खामियों को दूर किया गया। इस सुधारी हुई योजना को राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना के अंतर्गत देश की मुख्य प्रदूषित नदियों पर लागू किया गया।
अब गंगा कार्य योजना (भाग-II) को राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना में मिला दिया गया है। विस्तृत राष्ट्रीय नदी संरक्षण प्राधिकरण अब 16 राज्यों के 152 कस्बों में 27 अंतर्राज्यीय नदियों को समाहित करता है। इस कार्य योजना के अन्तर्गत 57 नगरों में प्रदूषण कम करने के लिए कार्य किया जा रहा है। प्रदूषण कम करने की कुल 215 योजनाओं को मंजूरी दी गई है। अब तक इस कार्य योजना के अधीन 69 योजनाएँ पूरी हो चुकी हैं।
प्रश्न 7.
ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र की विशेषताएँ बताइए।।
उत्तर:
ब्रह्मपुत्र को अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग नामों से जाना जाता है-अरुणाचल प्रदेश में इसे दिहांग कहते हैं, असोम और मेघालय में इसे ब्रह्मपुत्र कहते हैं, बांग्लादेश के उत्तरी भाग में जमुना तथा मध्य भाग में पद्मा कहा जाता है; आगे चलकर गंगा और ब्रह्मपुत्र की संयुक्त धारा को मेघना कहते हैं।
ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
- ब्रह्मपुत्र नदी तिब्बत में मानसरोवर झील के पूर्व से निकलती है जो कि सिंधु एवं सतलुज नदी के स्रोत के पास है।
- इसका अधिकतर मार्ग भारत से बाहर स्थित है।
- यह हिमालय के समानांतर पूर्व दिशा की ओर बहती है। नामचा बरवा (7,757 मी की ऊँचाई) में अंग्रेजी के अक्षर ‘N’ जैसा मोड़ लेती है तथा अरुणाचल प्रदेश में एक गॉर्ज के रास्ते भारत में प्रवेश करती है।
- यहाँ इसे ‘दिहांग’ कहा जाता है तथा दिबांग, लोहित, केनुला एवं कई अन्य सहायक नदियाँ इसमें मिल जाती हैं। जिन्हें असोम में ब्रह्मपुत्र कहा जाता है।
- प्रत्येक वर्ष वर्षा ऋतु में यह अपने किनारों को लांघ जाती है तथा असोम और बांग्लादेश में बाढ़ का कारण बनती है।
प्रश्न 8.
नदी प्रदूषण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
औद्योगीकरण, नगरीकरण, खेतों में रासायनिक उर्वरक एवं कीटनाशक का प्रयोग, उपभोक्तावादी संस्कृति के चलते नदियों में प्रदूषण निरंतर बढ़ता जा रहा है। नदियों से निरंतर जल का दोहन किया जा रहा है जिससे नदियों का जलस्तर घट रहा है। इससे जल की गुणवत्ता घटती है तथा नदी का स्वतः स्वच्छता पर प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए, समुचित जल प्रवाह में गंगा का जल लगभग 20 किमी क्षेत्र में फैले बड़े शहरों की गंदगी को तनु करके समाहित कर सकता है लेकिन बढ़ते शहरीकरण एवं औद्योगीकरण के कारण ऐसा नहीं हो पाता और बहुत-सी नदियों में प्रदूषण का स्तर निरंतर बढ़ता जा रहा है।
निम्न कारणों से जल विशेष रूप से प्रदूषित होता है-
- नदियों व झीलों में कपड़े, बर्तन धोना एवं पशुओं को नहलाना।
- अपरिष्कृत मलिन जल तथा औद्योगिक कचरे की नदियों में डाला जाना। (ग) जहाजों से तेल का रिसाव।।
- खेती में रासायनिक खाद एवं रसायनों का अत्यधिक प्रयोग।
प्रश्न 9.
सुंदरबन डेल्टा की निर्माण प्रक्रिया स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जब गंगा पश्चिम बंगाल में बहती है तो यह दो भागों में बँट जाती है–भागीरथी एवं हुगली (एक वितरिका), दक्षिण की ओर डेल्टाई मैदान से बहती हुई बंगाल की खाड़ी में गिर जाती है। मुख्य धारा दक्षिण की ओर बांग्लादेश में प्रवेश करती है तथा ब्रह्मपुत्र भी आकर इसमें मिलकर डेल्टा का निर्माण करती है। इन नदियों द्वारा निर्मित डेल्टा को सुंदरबन का डेल्टा कहा जाता है। सुंदरबन डेल्टा को यह नाम इसमें पाए जाने वाले सुंदरी के पेड़ों के कारण पड़ा है जो कि दलदली भूमि में अधिक उगते हैं। यह विश्व का सबसे बड़ा तथा सर्वाधिक तेजी से बढ़ता हुआ डेल्टा है। यह रॉयल बंगाल टाईगर का निवास भी है।
प्रश्न 10.
सिंधु नदी तंत्र की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
सिंधु नदी तंत्र की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
- सिंधु नदी बलूचिस्तान एवं गिलगिट से बहते हुए अटक में पर्वतों से बाहर निकलती है।
- सतलुज, ब्यास, रावी, चेनाब एवं झेलम नदियाँ पाकिस्तान के पठानकोट में आकर इसमें मिल जाती हैं।
- अंततः कराची के पूर्व में यह अरब सागर में जा गिरती है।
- सिंधु नदी के मैदान का ढाल बहुत ही कम है।
- सिंधु नदी की लगभग एक तिहाई अपवाह द्रोणी जम्मू व कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब में स्थित है जबकि शेष पाकिस्तान में हैं।
- 2,900 किमी लम्बाई के साथ सिंधु नदी विश्व की सबसे लंबी नदियों में से एक है।
- सिंधु नदी महान हिमालय की कैलाश श्रृंखला की चोटी के पास स्थित मानसरोवर झील से निकलती है।
- यह समुद्र तल से 5,000 मी की ऊँचाई से नीचे बहती है।
- यह जम्मू-कश्मीर के लद्दाख जिले में प्रवेश करती हैं जहाँ यह एक दर्शनीय गॉर्ज का निर्माण करती है तथा जास्कर, नूबरा, श्योक तथा हुंजा जैसी कई सहायक नदियाँ यहाँ इसमें मिल जाती हैं।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
प्रायद्वीपीय पठार के नदी तंत्र का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रायद्वीपीय पठार भारतीय भू-भाग का प्राचीनतम हिस्सा है। अतः इस क्षेत्र की ज्यादातर नदियाँ बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं। इस क्षेत्र में पश्चिमी घाट श्रेणी जल-विभाजक का कार्य करती है,
जो इस क्षेत्र के जल-प्रवाह को दो भागों में विभक्त करती है-
- अरब सागर में गिरने वाली नदियाँ
- बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियाँ
पश्चिमी घाट पर्वत श्रेणी से इस क्षेत्र की नदियों का उद्गम होता है। ढाल के अनुरूप मार्ग बनाती हुई, इस क्षेत्र की नदियाँ अरब सागर अथवा बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं। इस क्षेत्र में अपरदन कम होने के कारण इस क्षेत्र की नदियों की घाटियाँ चौड़ी एवं उथली हैं। इसका कारण यह है कि इस प्रदेश का ढाल बहुत मंद है जिससे इस क्षेत्र की नदियाँ केवल पार्श्ववर्ती अपरदन ही करने में सक्षम होती हैं। अतः ये अपनी घाटियों को नीचे की ओर गहराई में नहीं काट पाती हैं। इस पठारी प्रदेश में कहींकहीं जल-प्रपात मिलते हैं। इनमें शिवसमुद्रम तथा जोगप्रपात मुख्य हैं।
शिवसमुद्रम जलप्रपात कावेरी नदी पर स्थित है और लगभग मी ऊँचा है। जोगप्रपात की ऊँचाई लगभग 255 मी है। यह शरावती नदी पर स्थित है। इस प्रपात पर ही महात्मा गाँधी प्रोजेक्ट बनाया गया है। इस प्रदेश की नदियाँ अधिकतर डेल्टा बनाती हैं। महानदी, कृष्णा, गोदावरी तथा कावेरी नदियों के डेल्टा प्रसिद्ध हैं। प्रायद्वीपीय पठार के उत्तरी भाग का ढाल उत्तर की ओर होने से इस भाग की नदियाँ उत्तर की ओर बहकर यमुना तथा गंगा नदी तंत्र में सम्मिलित हो जाती हैं। इस भाग की प्रमुख नदियाँ चंबल, सोन तथा बेतवा हैं जो विंध्याचल-सतपुड़ा पर्वत श्रेणी से निकलती हैं। प्रश्न 2. ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र का विवेचन कीजिए।
उत्तर-ब्रह्मपुत्र नदी चेमयुंगडुंग हिमानी से कैलाश पर्वत के निकट से निकलती है। चेमयुंगडुंग हिमानी मानसरोवर झील के दक्षिण-पूर्व में लगभग 100 किमी की दूरी पर स्थित है। पहले ब्रह्मपुत्र नदी सांगपो के नाम से 1,250 किमी तक तिब्बत के पठार में पूर्व की ओर बहने के पश्चात् हिमालय के पूर्वी सिरे के निकट दक्षिण की ओर मुड़कर भारत में प्रविष्ट होती है। तत्पश्चात् यह अरुणाचल प्रदेश एवं असोम में बहती हुई बांग्लादेश में गंगा से मिल जाती है। यह नदी अरुणाचल प्रदेश के नामचा बारवा पर्वत शिखर जिसकी ऊँचाई 7,757 मीटर है, के पास यू (U) आकार का मोड़ लेकर पश्चिम की ओर गतिशील होती है।
इस मोड़ पर ब्रह्मपुत्र नदी 5,500 मीटर गहरे महाखड्डु का निर्माण करती है। ब्रह्मपुत्र नदी भारत की अन्य नदियों की अपेक्षा अधिक पानी लाती है, परंतु इसकी धारा के बीच में रेत से बने टापू मिलते हैं। इस प्रकार की टापू वाली नदी गुंफित घाटी वाली नदी कहलाती है। इसमें बाढ़ मई में बर्फ पिघलने के साथ शुरू हो जाती है और जून से सितंबर तक वर्षा की अधिकता के कारण इसकी सतह इतनी ऊँची उठ जाती है कि सहायक नदियों का पानी मुख्य नदी में नहीं आ पाता। अतः इन सहायक नदियों का पानी चारों ओर फैल जाता है, जिससे विस्तृत बाढ़ के कारण बहुत धन-जन की हानि होती है। ब्रह्मपुत्र नदी में बंगाल की खाड़ी से डिबरूगढ़ तक स्टीमर चलाए जाते हैं। गोहाटी, डिबरूगढ़ आदि प्रमुख नगर इस नदी के किनारे पर स्थित हैं। ब्रह्मपुत्र नदी में स्थान-स्थान पर नदीय द्वीप पाए जाते हैं। माजोली ब्रह्मपुत्र नदी में स्थित विश्व का सबसे बड़ा नदीय द्वीप है।
प्रश्न 3.
गोदावरी और महानदी का संक्षिप्त विवेचन कीजिए। पूर्व की ओर बहने वाली प्रायद्वीपीय नदियों की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
गोदावरी नदी-
- दक्षिण की गंगा के नाम से प्रसिद्ध गोदावरी प्रायद्वीपीय भारत की सबसे बड़ी नदी है।
- यह महाराष्ट्र के नासिक जिले के पश्चिम घाट की ढालानों से निकलती है। इसकी लम्बाई लगभग 1,500 किमी है।
- यह बंगाल की खाड़ी में गिरती है। इसका अपवाह तंत्र प्रायद्वीपीय नदियों में सबसे बड़ा है जो महाराष्ट्र (लगभग 50 प्रतिशत), मध्य प्रदेश, ओडिशा एवं आंध्र प्रदेश में स्थित है।
- पूर्णा, वर्धा, प्रांहिता, मंजरा, वेनगंगा एवं पेनगंगा जैसी बहुत-सी सहायक नदियाँ इसमें आकर मिलती हैं।
महानदी नदी-
- यह नदी छत्तीसगढ़ की उच्चभूमि से निकलकर ओडिशा में बहते हुए बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
- 860 किमी लंबी महानदी का अपवाह तंत्र महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, झारखण्ड एवं ओडिशा में स्थित है।
महानदी, गोदावरी, कृष्णा एवं कावेरी पूर्व की ओर बहने वाली प्रमुख प्रायद्वीपीय नदियाँ हैं।
पूर्व की ओर प्रवाहित होने वाली नदियों की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
- ये नदियाँ बड़ी मात्रा में तलछट लाती हैं।
- इनकी सहायक नदियों की संख्या अधिक है।
- सामान्यतः इन नदियों का अपवाह क्षेत्र विशाल होता है।
- ये नदियाँ बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं।
- इन नदियों का अपवाह तंत्र विकसित एवं आकार में बड़ा है।
- ये नदियाँ बहुत गहरी नहीं बहतीं।
- ये नदियाँ पूर्वी तट पर बहुत बड़े डेल्टा बनाती हैं।
प्रश्न 4.
गंगा नदी तंत्र की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
गंगा नदी तंत्र की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
- भागीरथी के गंगोत्री हिमानी से निकलने वाली गंगा को इसके उद्गम स्थल से लेकर देवप्रयाग में अलकनंदा से मिलने तक ‘भागीरथी’ कहते हैं। हरिद्वार में गंगा नदी पर्वतीय भाग से मुक्त होकर मैदान में प्रकट होती है।
- गंगा पश्चिम बंगाल में गंगा के डेल्टा के सबसे उत्तरी भाग में बहती है। नदी यहाँ दो भागों में बँट जाती है-भागीरथी एवं हुगली (एक वितरिका), दक्षिण की ओर डेल्टाई मैदान से बहती हुई बंगाल की खाड़ी में गिर जाती है। मुख्यधारा दक्षिण की ओर बांग्लादेश में प्रवेश करती है तथा ब्रह्मपुत्र भी आकर इसमें मिलकर डेल्टा का निर्माण करती है। आगे निचली जलधारा को ‘मेघना’ कहा जाता है। इन नदियों द्वारा निर्मित डेल्टा को ‘सुंदरबन का डेल्टा’ कहा जाता है। यह विश्व का सबसे बड़ा तथा सर्वाधिक तेजी से बढ़ता हुआ डेल्टा है। यह रॉयल बंगाल टाईगर का निवास भी है।
- गंगा नदी की लंबाई 2,500 किमी से अधिक है। अंबाला, सिंधु एवं गंगा नदी तंत्र के जल-विभाजक पर स्थित है।
- हिमालय से निकलने वाली कई नदियाँ जैसे यमुना, घाघरा, गंडक तथा कोसी आदि सहायक व प्रमुख नदियाँ गंगा में आकर मिल जाती हैं।
- यमुना नदी हिमालय की यमुनोत्री हिमानी से निकलती है। यह गंगा के समानांतर बहती है और इलाहाबाद में गंगा की दाहिनी ओर की सहायक नदी के रूप में इसमें मिल जाती है।
- घाघरा, गंडक तथा कोसी जैसी सहायक नदियाँ नेपाल हिमालय से निकलती हैं। ये वे नदियाँ हैं जो प्रत्येक वर्ष उत्तर के मैदानों के कुछ भागों में बाढ़ का कारण बनती हैं जिससे जान-माल की बहुत हानि होती है किन्तु ये मिट्टी | को उर्वर बनाकर गहन कृषि के उपयुक्त बना देती हैं।
चंबल, बेतवा और सोन जैसी सहायक नदियाँ अर्द्ध-शुष्क क्षेत्रों से निकलती हैं तथा इनकी लंबाई कम होती है। ये कम मात्रा में जल लाती हैं।
प्रश्न 5.
डेल्टा तथा ज्वारनदमुख में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
डेल्टा तथा ज्वारनदमुख में प्रमुख अन्तर निम्नलिखित हैं-
डेल्टा | ज्वारनदमुख (एश्चुअरी) |
1. डेल्टा क्षेत्र प्रायः कृत्रिम जल पत्तन वाले क्षेत्र होते हैं। यहाँ जल की निश्चित गहराई बनाए रखने के लिए कीचड़, गाद आदि को मशीनों की सहायता से निकालना पड़ता है। | 1. एश्चुअरी वाले क्षेत्र प्राकृतिक जल पत्तन के लिए अधिक उपयुक्त होते हैं, क्योंकि यहाँ जले की गहराई अधिक होती है। इसके साथ ही नदी के जल तथा ज्वार के कारण मुहाने साफ रहते हैं। |
2. गंगा, ब्रह्मपुत्र, कावेरी, कृष्णा, गोदावरी, व महानदी नदियाँ डेल्टा बनाती हैं। | 2. भारत की नर्मदा तथा तापी नदियाँ एश्चुअरी बनाती हैं। |
3. नदी द्वारा बहाकर लाए गए अवसादों के मुहाने पर हुए त्रिभुजाकार जमाव को डेल्टा कहते हैं। | 3. नदी के मुहाने पर बनी सँकरी व गहरी घाटी को एश्चुअरी या ज्वारनदमुख कहते हैं। |
4. डेल्टा बहुत ही समतल और उपजाऊ मैदान होता है। | 4. एश्चुअरी बनाने वाली नदियों का मार्ग गहरा और सँकरा होने के कारण अवसादों का जमाव संभव नहीं। फलतः ये नदियाँ मैदानों का निर्माण नहीं करतीं। |
5. डेल्टा प्रदेश में नदी कई उपनदियों या जल वितरिकाओं में विभाजित हो जाती है। | 5. इसमें मुख्य नदी उपनदियों या जल वितरिकाओं में विभाजित नहीं होती। |
मानचित्र कार्य
प्रश्न 1.
भारत के राजनैतिक मानचित्र पर निम्नलिखित झीलों को अंकित कीजिए-
- चिलका,
- पुलिकट,
- कोलेरू,
- बेबनाद,
- सांभर
उत्तर: