UP Board Solutions for Class 9 Social Science Geography Chapter 2 भारत का भौतिक स्वरूप
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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
निम्नलिखित विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए –
(i) एक स्थलीय भाग जो तीन ओर से समुद्र से घिरा हो?
(क) तट
(ख) प्रायद्वीप
(ग) द्वीप
(घ) इनमें से कोई नहीं
(ii) भारत के पूर्वी भाग में म्यांमार की सीमा का निर्धारण करने वाले पर्वतों का संयुक्त नाम
(क) हिमाचल
(ख) पूर्वांचल
(ग) उत्तराखण्ड
(घ) इनमें से कोई नहीं
(iii) गोवा के दक्षिण में स्थित पश्चिम तटीय पट्टी
(क) कोरोमंडल
(ख) कन्नड़
(ग) कोंकण
(घ) उत्तरी सरकार
(iv) पूर्वी घाट का सर्वोच्च शिखर
(क) अनाईमुडी
(ख) महेन्द्रगिरि
(ग) कंचनजंगा
(घ) खासी
उत्तर:
(i) (ख) प्रायद्वीप
(ii) (ख) पूर्वांचल
(iii) (ख) कन्नड़
(iv) (ख) महेन्द्रगिरि
प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षेप में उत्तर दीजिए-
- भूगर्भीय प्लेटें क्या हैं?
- आज के कौन से महाद्वीप गोंडवानालैंड के भाग थे?
- ‘भाबर’ क्या है?
- हिमालय के तीन प्रमुख विभागों के नाम उत्तर से दक्षिण के क्रम में बताइए।
- अरावली और विंध्याचल की पहाड़ियों में कौन-सा पठार स्थित है?
- भारत के उन द्वीपों के नाम बताइए जो प्रवाल भित्ति के हैं।
उत्तर:
- पृथ्वी के अंदर से उठने वाली संवहन तरंगों के कारण पृथ्वी का भू-पृष्ठ कई बड़े-बड़े खण्डों में बँट गया है। इन्हीं भूखण्डों को भूगर्भीय प्लेटें कहते हैं।
- वर्तमान के दक्षिणी अमेरिका, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया तथा अंटार्कटिका महाद्वीप गोंडवानालैण्ड के भाग थे।
- वे मैदानी प्रदेश जहाँ नदियाँ पहाड़ों से निकलकर मैदान में प्रवेश करती हैं और अपने साथ लाए रेत, कंकड़, बजरी, पत्थर आदि का निक्षेप करती हैं। भाबर क्षेत्र में नदियाँ भूमि तल पर बहने के बजाय भूमि के नीचे बहती हैं। शिवालिक की तलहटी में एक ऐसा प्रदेश स्थित है जिसकी चौड़ाई 8 से 16 किमी तक है। प्रायः सभी नदियाँ भाबर प्रदेश में आकर विलुप्त हो जाती हैं।
- हिमालय विश्व की सर्वाधिक ऊँची एवं मजबूत बाधाओं का प्रतिनिधित्व करता है।
दिशा से दक्षिण की ओर इसे 3 मुख्य भागों में बाँटा जा सकता है-- महान या आंतरिक हिमालय अथवा हिमाद्रि – सबसे उत्तरी भाग जिसे महान या आंतरिक हिमालय अथवा ‘हिमाद्रि’ कहा जाता है।
- हिमाचल या निम्न हिमालय – हिमाद्रि के दक्षिण में स्थित श्रृंखला हिमाचल या निम्न हिमालय के नाम से जानी जाती है। यह श्रृंखला मुख्यतः अत्यधिक संपीड़ित कायांतरित चट्टानों से बनी है। पीर पंजाल श्रृंखला सबसे बड़ी एवं सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण श्रृंखला का निर्माण करती है। कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण श्रृंखलाएँ धौलाधार और महाभारत श्रृंखलाएँ हैं।
- शिवालिक – हिमालय की सबसे बाहरी श्रृंखला को शिवालिक कहा जाता है। यह गिरीपद श्रृंखला है तथा हिमालय के सबसे दक्षिणी भाग का प्रतिनिधित्व करती है।
- मालवा पठार अरावली और विंध्याचल की पहाड़ियों के बीच स्थित है।
- लक्षद्वीप समूह प्रवाल भित्ति से बनने वाले द्वीप हैं।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित में अंतर स्पष्ट कीजिए-
- अपसारी तथा अभिसारी भूगर्भीय प्लेटें
- बांगर और खादर
- पूर्वी घाट तथा पश्चिमी घाट
उत्तर:
(i) अपसारी तथा अभिसारी भूगर्भीय प्लेटों में अंतर
अपसारी भूगर्भीय प्लेटें | अभिसारी भूगर्भीय प्लेटें |
1. इनसे दरार घाटी तथा ब्लॉक पर्वतों का निर्माण होता है। | 1. इस प्रक्रिया में वलित पर्वतों का निर्माण होता है। |
2. अपसारी भूगर्भीय प्लेट वह प्लेट है जो एक- भूगर्भीय प्लेट कहलाती है। | 2. एक-दूसरे के निकट आने वाली भूगर्भीय प्लेट अभिसारी दूसरे से दूर जाती है। |
3. इन प्लेटों से भ्रंशन क्रिया होती है तथा धरातल पर वलय पड़ जाते हैं। | 3. इस प्रकार की प्लेटों से वलन प्रक्रिया होती है तथा धरातल | पर भ्रंश पड़ जाते हैं। |
(ii) बांगर व खादर में अंतर
बांगर | खादेर |
1. बांगर पुरानी जलोढ़ मृदा होती है। | 1. नई जलोढ़ मृदा को खादर कहा जाता है। |
2. यह मृदा नदी के बेसिन से दूर पाई जाती है। | 2. यह मृदा नदी के बेसिन के पास पाई जाती है। |
3. यह भूमि कम उपजाऊ होती है तथा खेती के जाती है। | 3. यह मृदा बहुत उर्वर होती है तथा कृषि के लिए आदर्श मानी लिए आदर्श नहीं है। |
(iii) पूर्वी एवं पश्चिमी घाट में अंतर
पूर्वी घाट | पश्चिमी घाट |
1. यह बंगाल की खाड़ी के समानांतर स्थित है। | 1. यह अरब सागर के समानांतर स्थित है। |
2. इसकी सबसे अधिक ऊँची पहाड़ियों में बेट्टा शामिल हैं। | 2. इसकी सबसे अधिक ऊँची चोटियों में अनाई मुडी एवं डोडा महेन्द्रगिरि व जवादी शामिल हैं। |
3. पूर्वी घाट प्रायद्वीपीय भारत की पूर्वी भुजा का निर्माण करता है। | 3. पश्चिमी घाट प्रायद्वीपीय भारत की पश्चिमी भुजा का निर्माण करता है। |
4. इस घाट की ढलानों पर वर्षा कम है। | 4. इस घाट की पश्चिमी ढलानों पर पूर्वी घाट की अपेक्षा वर्षा कम होती है। |
5. पूर्वी घाट कोरोमंडल तट के समानांतर है। | 5. पश्चिमी घाट मालाबार तट के समानांतर है। |
6. पूर्वी घाट सतत् नहीं है व अनियमित है। बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियों ने जा सकता है। | 6. यह सतत् है तथा इसको केवल दरों के द्वारा ही पार किया इसको काट दिया है। |
प्रश्न 4.
बताइए, हिमालय का निर्माण कैसे हुआ था?
उत्तर:
जिस स्थान पर आज हिमालय स्थित है, उस स्थान पर कभी टेथीस नामक सागर हिलोरें लेता था। यह एक लम्बा और उथला सागर था। यह दो विशाल भूखण्डों से घिरा हुआ था। इसके उत्तर में अंगारालैण्ड और दक्षिण में गोंडवानालैण्ड नाम के भूखण्ड थे। ऐसा माना जाता है कि लाखों वर्ष पहले भारत एक बड़े महाद्वीप गोंडवाना भूमि का भाग था। सबसे प्राचीन भूखंड (प्रायद्वीपीय भाग) गोंडवाना भूमि का हिस्सा था। वर्तमान आस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका एवं दक्षिण अमेरिका भी इसी भूखंड में शामिल थे। यह दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थित था।
संवहनीय धाराओं के कारण इसकी भू-पर्पटी कई टुकड़ों में टूट गई जिससे इंडो-आस्ट्रेलियाई प्लेट गोंडवानालैण्ड से अलग होकर उत्तर की ओर सरक गई। प्लेट विवर्तन सिद्धांत के अनुसार भू-पर्पटी पहले एक ही विशालकाय महाद्वीप था जिसे पैंजिया कहा जाता था। उत्तरी भाग में अंगारा भूमि थी दक्षिणी भाग में गोंडवाना भूमि। भूपर्पटी के नीचे मौजूद पिघले हुए पदार्थ ने भूपर्पटी या लीथोस्फीयर को कई बड़े टुकड़ों में बाँट दिया जिन्हें लीथोस्फेरिक या टैक्टोनिक प्लेट कहा जाता है। जो अवसादी चट्टान टक्कर के कारण वलित इकड़े हो गए उन्हें टेथीस के नाम से जाना जाता है। गोंडवाना भूमि से अलग होने के बाद इंडोआस्ट्रेलियाई प्लेट उत्तर में यूरेशियन प्लेट की ओर खिसक गई। यह दो प्लेटों में टकराव का कारण बना और इस टकराव के कारण टेथीस की अवसादी चट्टानें वलित होकर पश्चिमी एशिया की पर्वतीय श्रृंखला तथा हिमालय के रूप में उभर गईं।
प्रश्न 5.
भारत के प्रमुख भू-आकृतिक विभाग कौन-से हैं?
हिमालय क्षेत्र तथा प्रायद्वीप पठार के उच्चावच लक्षणों में क्या अंतर है?
उत्तर:
भारत के प्रमुख भू-आकृतिक विभाग-
- उत्तर के विशाल पर्वत
- उत्तर भारत का मैदान
- प्रायद्वीपीय पठार ठार
- भारतीय मरुस्थल
- तटीय मैदान तथा
- द्वीप समूह।
हिमालय क्षेत्र तथा प्रायद्वीपीय पठार के उच्चावच लक्षणों में अंतर
हिमालय क्षेत्र | प्रायद्वीपीय पठार |
1. यह सिन्धु व गंगा के मैदान के सिरे पर बना हुआ है। | 1. यह दक्कन के पठार के सिरे पर बना हुआ है। |
2. शिमला, मंसूरी, दार्जिलिंग, नैनीताल आदि पहाड़ी स्थल हिमालय में पाए जाते हैं। | 2. यहाँ कोई विख्यात पहाड़ी स्थल नहीं पाया जाता। |
3. इसकी औसत ऊँचाई 6,000 मी है। | 3. इस पठार की औसत ऊँचाई 600-900 मी है। |
4. यह नवीन वलित पर्वत है। | 4. यह प्राचीनकाल से ही अपरदन के चरण में है। |
5. यह बहुत से महाखड्डू एवं यू आकार की घाटियों से बना हैं। | 5. पठार को कई नदियों द्वारा बुरी तरह काट दिया गया है। |
6. इसमें बहुत कम खनिज पाए जाते हैं। | 6. यह खनिजों का भंडार है। |
7. सभी बारहमासी नदियों का उद्गम हिमालय से ही होता है। | 7. इस पठार से निकलने वाली नदियाँ बरसाती हैं0964 |
8. विश्व के सर्वाधिक ऊँचे पर्वतों एवं गहरी मिलकर बना है। | 8. चौड़ी एवं छिछली घाटियों तथा गोलाकार पहाड़ियों से घाटियों से मिलकर बना है। |
9. इंडो-आस्ट्रेलियाई प्लेट व यूरेशियन प्लेट में टक्कर के कारण बना। | 9. गोंडवाना भूमि के टूटने व खिसकने के कारण बना। |
10. तलछटी चट्टानों से बना है। | 10. आग्नेय एवं कायांतरित चट्टानों से बना है। |
11. भूवैज्ञानिक दृष्टि से यह अस्थिर क्षेत्र में आता है। | 11: भूवैज्ञानिक दृष्टि से यह स्थिर क्षेत्र में आता है। |
12. यह विश्व का सर्वाधिक ऊँचा पर्वत हैं। | 12. मध्य उच्चभूमि नीची पहाड़ियों से बना है और इसमें कोई भी चोटी विश्वविख्यात ऊँचाई की नहीं है। |
13. हिमालय से बहुत-सी प्रसिद्ध नदियाँ निकलती निकलती हैं। | 13. नर्मदा व ताप्ती जैसी कुछ ही नदियाँ प्रायद्वीपीय पठार से हैं जैसे सिन्धु, गंगा व ब्रह्मपुत्र। |
प्रश्न 6.
भारत के उत्तरी मैदान का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत का उत्तरी मैदान उत्तर में हिमालय तथा दक्षिण में प्रायद्वीपीय पठार से निकलने वाली नदियों द्वारा बहाकर लायी गयी मिट्टी से बना है। इस मिट्टी को जलोढ़क कहते हैं। इसीलिए इस मैदान को जलोढ़ मैदान कहते हैं। इस मैदान के उत्तर में हिमालय पर्वत स्थित है और दक्षिणी भाग में पठार का विस्तार है। यह मैदान 7 लाख वर्ग किमी में फैला हुआ है। यह मैदान 2400 किमी लंबा तथा 240-320 किमी चौड़ा है। समृद्ध मृदा के आवरण, भरपूर पानी की आपूर्ति एवं अनुकूल जलवायु ने उत्तरी मैदान को कृषि की दृष्टि से भारत का अत्यधिक उपजाऊ भाग बना दिया है। इसी कारण यहाँ का जनसंख्या घनत्व भारत के सभी भौगोलिक विभाजनों की अपेक्षा इस क्षेत्र में सर्वाधिक है। उत्तरी मैदान के पश्चिमी भाग को पंजाब कहा जाता है। गंग का मैदान घग्घर एवं तिस्ता नदियों के बीच स्थित है। यह उत्तर भारत के विभिन्न राज्यों जैसे हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार तथा झारखण्ड के कुछ भाग एवं पश्चिम बंगाल के पूर्व में फैला हुआ है।
उत्तरी मैदान का निर्माण दो नदी तंत्रों के सहयोग से हुआ है ।
- पश्चिम में सिन्धु नदी तंत्र द्वारा,
- पूर्व में गंगा-ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र द्वारा।
1. सिंधु नदी तंत्र
- उत्तरी मैदान के उत्तरी-पश्चिमी भाग की रचना सिंधु और उसकी सहायक नदियों ने की है। सतलुज, व्यास, राबी, चिनाब और झेलम इसकी प्रमुख नदियाँ हैं।
- इस मैदान का विस्तार दक्षिण-पश्चिम में अरब सागर से लेकर पश्चिमी हिमालय के गिरिपाद तक है। यह 1,200 किलोमीटर की लंबाई में फैला है।
- सिंधु नदी तंत्र द्वारा निर्मित मैदान को दो भागों में बाँट सकते हैं-पश्चिमी मरुभूमि और पंजाब का मैदान।
2. गंगा-ब्रह्मपुत्र का नदी तंत्र
उत्तर के मैदान का अधिकांश भाग गंगा-ब्रह्मपुत्र नदियों की ही देन है। गंगा-ब्रह्मपुत्र मैदान को दो भागों में बाँटा जा सकता है-गंगा का मैदान तथा ब्रह्मपुत्र को मैदान।
- गंगा का मैदान सबसे अधिक विस्तृत है। इसका निर्माण गंगा और गंगा की सहायक नदियों द्वारा लाई गई मिट्टी के जमाव से हुआ है। इस मैदान का ढाल पूर्व की ओर है। उत्तर प्रदेश, बिहार तथा पश्चिमी बंगाल पूर्णतः तथा हरियाणा, राजस्थान तथा मध्य प्रदेश राज्यों के अधिकांश मैदानी भाग गंगा तन्त्र की देन हैं।
- ब्रह्मपुत्र का मैदान उत्तर का विशाल पूर्वी भाग है। इसका विस्तार असोम और मेघालय राज्यों में है। इसका निर्माण ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियों के द्वारा लाए गए अवसादों के जमाव से हुआ है।
प्रश्न 7.
निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखिए-
- मध्ये हिमालय
- मध्य उच्च भूमि
- भारत के द्वीप समूह।
उत्तर:
(1) मध्य हिमालय – मध्य हिमालय हिमाद्रि (महान हिमालय) के दक्षिण में फैला हुआ है। इस पर्वत की औसत चौड़ाई लगभग 50 किमी तथा ऊँचाई 3,700 से 4,500 मीटर तक है। कश्मीर की पीर पंजाल श्रेणी तथा जम्मू-कश्मीर और हिमालय प्रदेश में फैली धौलाधार श्रेणी मध्य हिमालय के ही भाग हैं। नेपाल की महाभारत श्रेणी भी इसी का अंग है। डलहौजी, धर्मशाला, शिमला, मसूरी, नैनीताल, दार्जिलिंग आदि सभी प्रमुख पर्वतीय नगर मध्य हिमालय में ही स्थित हैं।
(2) मध्य उच्च भूमि – प्रायद्वीपीय पठार को नर्मदा नदी ने दो भागों में विभाजित किया है। प्रायद्वीपीय क्षेत्र का वह भाग जो नर्मदा नदी के उत्तर में पड़ता है और मालवा के पठार के एक बड़े हिस्से पर फैला है उसे मध्य उच्चभूमि कहा जाता है। यह दक्षिण में विंध्य श्रेणी और उत्तर-पश्चिम में अरावली की पहाड़ियों से घिरा है। आगे जाकर यह पश्चिम में भारतीय मरुस्थल से मिल जाता है जबकि पूर्व दिशा में इसका विस्तार छोटानागपुर के पठार द्वारा प्रकट होता है। इस क्षेत्र में नदियाँ दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर बहती हैं। इस क्षेत्र के पूर्वी विस्तार को स्थानीय रूप से बुन्देलखण्ड, बघेलखण्ड और छोटानागपुर पठार कहा जाता है। छोटानागपुर पठार आग्नेय चट्टानों से बना है। आग्नेय चट्टानों में खनिज भरपूर मात्रा में होते हैं और इसलिए इस पठार को खनिजों का भण्डार कहा जाता है।
(3) भारत के द्वीप समूह – केरल तट के पश्चिम में अरब सागर में छोटे-छोटे अनेक द्वीप हैं। इनका निर्माण अल्पजीवी सूक्ष्म प्रवाल जीवों के अवशेषों के जमाव से हुआ है। इनमें से अनेक द्वीपों की आकृति घोड़े की नाल या अंगूठी के समान है। इसलिए इन्हें प्रवालद्वीप वलय कहते हैं। पहले लक्षद्वीप को लकादीव, मीनीकाय तथा एमीनदीव के नाम से जाना जाता था। 1973 ई. में इनका नाम लक्षद्वीप रखा गया। लक्षद्वीप का प्रशासनिक मुख्यालय कावारत्ती में है। यह द्वीप समूह छोटे प्रवाल द्वीपों से बना है। यह 32 वर्ग किमी के छोटे से क्षेत्र में फैला हुआ है। इस द्वीप समूह पर पौधों एवं जीवों की बहुत सी प्रजातियाँ पाई जाती हैं। बंगाल की खाड़ी में भी भारत के अनेक द्वीप हैं। इन्हें अंडमान तथा निकोबार द्वीप समूह के नाम से पुकारते हैं। ये द्वीप बड़े भी हैं और संख्या में अधिक हैं। ये जल में डूबी हुई पर्वत श्रृंखलाओं पर स्थित हैं। इन द्वीपों में से कुछ की उत्पत्ति ज्वालामुखी के उद्गार से हुई है। भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी इन्हीं द्वीपों पर स्थित है।
मानचित्र कार्य
भारत के रेखा मानचित्र पर निम्नलिखित दिखाइए-
- पर्वत शिखर-के-2, कंचनजंगा, नंगा पर्वत, अनाईमुडी
- पठार-शिलांग, छोटानागपुर, मालवा तथा बुंदेलखंड
- थार मरुस्थल, पश्चिमी घाट, लक्षद्वीप समूह, गंगा-यमुना दोआब तथा कोरोमंडल तट
मानचित्र : भारत-मुख्य भौगोलिक वितरण
क्रियाकलाप
प्रश्न 1.
- दी गई वर्ग पहेली में कुछ शिखरों, दरों, श्रेणियों, पठारों, पहाड़ियाँ एवं घाटियों के नाम छुपे हैं। उन्हें ढूंढ़िए।
- ज्ञात कीजिए कि ये आकृतियाँ कहाँ स्थित हैं? आप अपनी खोज क्षैतिज, ऊर्ध्वाधर या विकर्णीय दिशा में कर सकते हैं।
नोट – पहेली के उत्तर अंग्रेजी के शब्दों में हैं।
उत्तर:
ऊध्र्वाधर (Down)
- छोटानागपुर (CHOTANAGPUR)
- कोंकण (KONKAN)
- मालवा (MALWA)
- शिपकिला (SHIPKILA)
- बोम्डिला (BOMDILA)
- सतपुरा (SATPURA)
- अरावली (ARAVALI)
- जयंतिया (JAINTIA)
- नीलगिरि (NILGIRI)
- विंध्य (VINDHYA)
- शहयाद्री (SAHYADRI)
क्षैतिज (Across)
- नथुला (NATHULA)
- गारो (GARO)
- अनाईमुडी (ANAIMUDI)
- पाटली (PATLI)
- कामोम (CARDEMOM)
- कंचनजंगा (KANCHENJUNGA)
- एवरेस्ट (EVEREST)
- थार (THAR)
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
पूर्वी एवं पश्चिमी हिमालय की तुलना कीजिए।
उत्तर:
पूर्वी एवं पश्चिमी हिमालय में निम्नलिखित अन्तर
हैपूर्वी हिमालय | पश्चिमी हिमालय |
1. पटकाईबुम, नागा, लुशाई, गारो, खासी,श्रेणियाँ हैं। इस क्षेत्र का नंगा पर्वत सबसे ऊँचा है। इसकी ऊँचाई 8,576 मीटर है। | 1. लद्दाख और जास्कर पश्चिमी हिमालय की प्रमुख पर्वत जयंतिया पूर्वी हिमालय की प्रमुख शाखाएँ हैं। |
2. पूर्वी सिरे की कम ऊँचाई वाली पहाड़ियाँ घने के वनों से ढकी हैं। ये वन बहुत उपयोगी हैं। | 2. ये पर्वतीय भाग अधिक ऊँचे तथा परिवहन की कम सुविधा कारण अपेक्षाकृत कम उपयोगी हैं। |
3. पश्चिमी बंगाल, सिक्किम, भूटान तथा अरुणाचल प्रदेश में फैले हिमालय को पूर्वी हिमालय कहते हैं। | 3. जम्मू-कश्मीर तथा हिमाचल प्रदेश में फैले हिमालय को पश्चिमी हिमालय कहते हैं। |
4. सिक्किम और भूटान में स्थित हिमालय पर्वत मालाएँ अधिक ऊँची हैं। पूर्व की ओर इनकी ऊँचाई कम होती जाती है। | 4. पश्चिमी हिमालय अपेक्षाकृत अधिक ऊँचा है। |
प्रश्न 2.
गॉर्ज एवं रिफ्ट में अंतर बताइए।
उत्तर:
गॉर्ज एवं रिफ्ट में निम्नलिखित अन्तर
हैंगॉर्ज | रिफ्ट |
1. हिमालय पर्वतीय प्रदेश में सिंधु तथा ब्रह्मपुत्र नदियों ने कई गहरे गॉर्ज को जन्म दिया है। | 1. रिफ्ट घाटी का निर्माण आंतरिक प्रक्रियाओं के परिणामस्वरूप होता है। भारत के प्रायद्वीपीय पठार की पश्चिम की ओर बहने वाली नर्मदा व ताप्ती तथा यूरोप की राइन नदी रिफ्ट घाटी से बहती हैं। |
2. नदी अपरदन प्रक्रिया द्वारा पर्वतीय क्षेत्रों में बनी बहुत गहरी और संकरी घाटी को गॉर्ज कहते हैं। | 2. दो समानांतर दरार अथवा भ्रंश पड़ने के बीच की भूमि के नीचे धंस जाने से बनी खड़े किनारों वाली घाटी को रिफ्ट घाटी कहते हैं। इसका दूसरा नाम दरार या भ्रंश घाटी है। |
3. गॉर्ज बाह्य प्रक्रियाओं के फलस्वरूप बनते हैं। नदी की ऊपरी घाटी में अपरदन की क्रिया तेज होती है। नदी द्वारा बहाकर लाए गए कंकड़ पत्थरों से तली घिसकर, गहरी होती रहती है। | 3. दरार या भ्रंश धरातल पर खिंचाव तथा क्षितिज गति के परिणामस्वरूप पड़ती है। |
प्रश्न 3.
भारतीय मरुस्थल की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
भारतीय मरुस्थल की विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
- शुष्क जलवायु के कारण इस क्षेत्र में वनस्पति की न्यूनता पायी जाती है।
- यह क्षेत्र बालू के डिब्बों में आच्छादित एक तरंगित मैदान है।
- इस क्षेत्र में 150 मिमी से भी कम वार्षिक वर्षा होती है।
प्रश्न 4.
किन विवर्तनिक प्लेटों के सम्मिलन से भूपर्पटी का निर्माण होता है?
उत्तर:
सात बड़ी विवर्तनिक प्लेटों से मिलकर भूपर्पटी का निर्माण होता है-
- प्रशांत महासागरीय प्लेट,
- उत्तर अमेरिकी प्लेट,
- दक्षिण अमेरिकी प्लेट,
- यूरेशियन प्लेट,
- अफ्रीकन प्लेट,
- इंडो-आस्ट्रेलियन प्लेट,
- अंटार्कटिक प्लेट।
प्रश्न 5.
पश्चिमी तटवर्ती मैदान को कितने भागों में बाँटा जाता है?
उत्तर:
पश्चिमी तटवर्ती मैदानों को तीन प्रमुख भागों में बाँटा जा सकता है-
- कोंकण तट,
- कन्नड़ का मैदान,
- मालाबार तट।
प्रश्न 6.
भारत में बरकान के समूह कहाँ पाए जाते हैं?
उत्तर:
भारत में बरकान के समूह ज्यादातर राजस्थान के जैसलमेर में पाए जाते हैं।
प्रश्न 7.
पूर्वी तटीय मैदानों के कोई दो लक्षण बताइए।
उत्तर:
- इस मैदान में नदियों द्वारा उपजाऊ डेल्टा का निर्माण किया जाता है।
- यह मैदान पूर्वी घाट एवं बंगाल की खाड़ी के मध्य स्थित है।
प्रश्न 8.
भ्रंश घाटी किसे कहते हैं?
उत्तर:
पृथ्वी की आंतरिक हलचलों के कारण पृथ्वी पर भ्रंश पड़ जाते हैं। इन भ्रंशों के किनारे ऊपर उठने तथा बीच का भाग नीचे धंसने से भू-भ्रंश घाटी का निर्माण होता है।
प्रश्न 9.
पश्चिमी घाट का सबसे ऊँचा शिखर तथा इसकी ऊँचाई बताइए।
उत्तर:
अनाईमुडी पश्चिमी घाट का सर्वोच्च शिखर है जिसकी ऊँचाई 2,695 मीटर है।
प्रश्न 10.
जलोढ़ मैदान किसे कहते हैं?
उत्तर:
नदियों द्वारा बहाकर लायी मिट्टी से बने मैदान को जलोढ़ मैदान कहते हैं। जलोढ़ मैदान की मिट्टी महीन पंक जैसी होती है जिसे जलोढ़क भी कहते हैं। इसीलिए इसे मिट्टी से बने मैदान को जलोढ़ मैदान कहा जाता है।
प्रश्न 11.
शिवालिक के कोई दो प्रमुख लक्षण बताइए।
उत्तर:
- इस भाग में अक्सर भूकंप आते रहते हैं तथा भूस्खलन भी होते रहते हैं। हिमालय की इसी श्रेणी में सर्वाधिक मृदा अपरदन भी होता है।
- यह पर्वत श्रेणी जलोढ़ अवसादों से निर्मित है। इसीलिए इसकी शैलें कमजोर हैं।
प्रश्न 12.
भारत के छह भौतिक विभाग कौन-से हैं?
उत्तर:
भारत के छह भौतिक विभाग इस प्रकार हैं-
- उत्तर के विशाल मैदान,
- उत्तर भारत के मैदान,
- प्रायद्वीपीय पठार,
- भारतीय मरुस्थल,
- तटीय मैदान,
- द्वीपीय समूह।
प्रश्न 13.
तराई प्रदेश किसे कहते हैं? इसकी दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
तराई प्रदेश भाबर के दक्षिण में स्थित है विशेषताएँ-
- यह क्षेत्र घने वनों से आच्छादित है।
- यह प्रदेश दलदली भूमि से युक्त है।
प्रश्न 14.
उत्तरी मैदानों को किन नदी तन्त्रों में बाँटा जा सकता है?
उत्तर:
उत्तरी मैदानों को निम्नलिखित दो नदी तन्त्रों में बाँटा जा सकता है-
- पूर्व में गंगा-ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र
- पश्चिम में सिंधु नदी तंत्र।
प्रश्न 15.
गंगा के मैदान का विस्तार किन क्षेत्रों में है?
उत्तर:
गंगा के मैदान का विस्तार घग्घर तथा तिस्ता नदियों के बीच है। यह उत्तरी भारत के राज्यों हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड के कुछ भाग, तथा पश्चिम बंगाल में फैला है। ब्रह्मपुत्र का मैदान इसके पश्चिम विशेषकर असोम में स्थित है।
प्रश्न 16.
प्राकृतिक विभिन्नता के आधार पर उत्तरी मैदान को कितने भागों में बाँटा जा सकता है?
उत्तर:
प्राकृतिक विभिन्नता के आधार पर उत्तरी मैदान को चार भागों में बाँटा जा सकता है-
- भाबर क्षेत्र
- तराई क्षेत्र
- भांगर क्षेत्र
- खादर क्षेत्र।
प्रश्न 17.
प्रायद्वीपीय पठार का निर्माण किन शैलों से हुआ है?
उत्तर:
प्रायद्वीपीय पठार एक मेज की आकृति वाला स्थल है जो पुराने क्रिस्टलीय, आग्नेय तथा रूपांतरित शैलों से बना है। यह गोंडवाना भूमि के टूटने एवं अपवाह के कारण बना था। यही कारण है कि यह प्राचीनतम भूभाग का एक हिस्सा है।
प्रश्न 18.
हिमालय भारत के लिए क्यों महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर:
हिमालय का महत्त्व –
- भारत और चीन के बीच एक प्राकृतिक सीमा का निर्माण करता है और हमारे देश की शत्रुओं से रक्षा करता है।
- भिन्न प्रकार की वनस्पतियाँ उपलब्ध कराता है।
- हिम से ढकी हुई चोटियाँ पूरे वर्ष पानी उपलब्ध कराने वाले स्रोत का काम करती हैं।
प्रश्न 19.
गोंडवाना भूमि, वितरिकाएँ, दून का अर्थ बताएँ।
उत्तर:
- गोंडवाना भूमि – प्राचीन विशाल महाद्वीप पैंजिया का दक्षिणतम भाग है जिसके उत्तरी भाग में अंगारा भूमि है।
- वितरिकाएँ – जब नदी अपने निचले भाग में जाकर गाद के जमा होने के कारण कई धाराओं में बँट जाती है तो उन्हें वितरिकाएँ कहते हैं।
- दून – निम्न हिमाचल एवं शिवालिक के बीच स्थित लंबवत् घाटी को दून के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 20.
उत्तरी मैदान का निर्माण किस प्रकार हुआ है?
उत्तर:
उत्तरी मैदान तीन प्रमुख नदी प्रणालियों-सिंधु, गंगा एवं ब्रह्मपुत्र तथा इनकी सहायक नदियों से बना है। लाखों वर्षों में हिमालय के गिरिपाद में स्थित बहुत बड़े बेसिन में जलोढ़ों का निक्षेप हुआ जिससे इस उपजाऊ मैदान का निर्माण हुआ है।
प्रश्न 21.
प्रायद्वीपीय पठार की तीन विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर:
प्रायद्वीपीय पठार की तीन विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
- यह तीन ओर से समुद्र से घिरा हुआ है।
- इसके कुछ भागों में काली मृदा पायी जाती है।
- प्रायद्वीपीय पठार असमतल है।
प्रश्न 22.
मध्य उच्च भूमि के विस्तार के बारे में वर्णन करें।
उत्तर:
यह उच्च भूमि मालवा के पठार के अधिकतर भागों में फैली हुई है। विंध्य श्रृंखला दक्षिण में मध्य उच्च भूमि तथा उत्तर पश्चिम में अरावली से घिरी है। पश्चिम में यह धीरे-धीरे राजस्थान के बलुई तथा पथरीले मरुस्थल से मिल जाता है। इस पठार के पूर्वी विस्तार को स्थानीय रूप से बुंदेलखंड तथा बघेलखंड के नाम से जाना जाता है। इसके और पूर्व के विस्तार को दामोदर नदी द्वारा अपवाहित छोटानागपुर पठार दर्शाता है।
प्रश्न 23.
पूर्वांचल पहाड़ियों के निर्माण तथा विस्तार के बारे में बताइए।
उत्तर:
पूर्वांचल पहाड़ियाँ मजबूत बलुआ पत्थरों जो अवसादी शैल हैं से बनी हैं। ये घने जंगलों से ढकी हैं तथा अधिकतर समानांतर श्रृंखलाओं एवं घाटियों के रूप में फैली हैं। पूर्वांचल से पटकाईबूम, नागा, लुसाई, मिजो तथा मणिपुर पहाड़ियाँ शामिल हैं।
प्रश्न 24.
अंडमान-निकोबार द्वीप समूहों की उत्पत्ति कैसे हुई है?
उत्तर:
अंडमान-निकोबार द्वीप जलमग्न पहाड़ियों पर स्थित हैं। इनमें से कुछ की उत्पत्ति ज्वालामुखी उद्गारों से हुई है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
उत्तर एवं दक्षिण भारत के पर्वतों में अंतर बताइए।
उत्तर:
उत्तर एवं दक्षिण भारत के पर्वतों में निम्नलिखित अन्तर हैं-
उत्तर भारत के पर्वत | दक्षिण भारत के पर्वत |
1. ये पर्वत बहुत विस्तृत हैं। इसका पूर्व-पश्चिम विस्तारै अर्थात् लंबाई 3,000 किलोमीटर है।ये 150 से 400 किलोमीटर की चौड़ाई में फैले हैं। | 1. इन पर्वतों का विस्तार सीमित है। ये पतली पट्टी के रूप में विस्तृत हैं। |
2. इन पर्वतों से वर्षभर बहने वाली तथा पर्याप्त जलधारी नदियों का जन्म हुआ है। इनमें सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र प्रमुख हैं। ये नदियाँ डेल्टा बनाती हैं। | 2. इन पर्वतों से कई नदियाँ निकलती हैं। कई नदियाँ शुष्क ऋतु में सूख जाती हैं और शेष की जलधारा बहुत ही पतली ” हो जाती है। इनमें महानदी, गोदावरी, कृष्णा व कावेरी नदियाँ हैं। नर्मदा तथा ताप्ती या तापी रिफ्ट घाटी में बहती हैं। |
3. उत्तर भारत के पर्वत नवीन वलित पर्वत हैं। इनमें हिमालय पर्वत श्रेणी प्रमुख है। | 3. दक्षिण भारत के पर्वत बहुत प्राचीन हैं। इनमें नीलगिरि, पश्चिमी घाट और पूर्वी घाट प्रमुख हैं। |
4. ये पर्वत बहुत ऊँचे हैं। हिमालय का एवरेस्ट शिखर संसार में सबसे ऊँचा है। उसकी ऊँचाई 8,848 मीटर है। | 4. ये पर्वत बहुत कम ऊँचाई वाले हैं। इन पर्वतों में सबसे ऊँची चोटी अनाईमुडी है, जिसकी ऊँचाई मात्र 2,695 मीटर है। |
5. इन पर्वतों के शिखर वर्षभर हिम से ढके रहते हैं। | 5. इन पर्वत श्रेणियों पर हिम के दर्शन नहीं होते। |
प्रश्न 2.
हिमालय पर्वत का विवेचन कीजिए।
उत्तर:
हिमालय पर्वत श्रृंखला, विश्व की सबसे ऊँची श्रृंखला है। इस युवा वलित पर्वत का भारत की उत्तरी सीमा पर 2,400 किमी तक विस्तार है। हिमालय का उच्चावच अत्यधिक अनियमित है। इसमें ऊँचे पर्वत शिखर तथा गहरी घाटियाँ दोनों पाएँ जाते हैं। यह पर्वत श्रृंखला पश्चिम-पूर्व दिशा में सिन्धु नदी से ब्रह्मपुत्र की ओर जाती हैं। हिमालय विश्व की सर्वाधिक ऊँची एवं मजबूत बाधाओं का प्रतिनिधित्व करता है। यह एक अर्द्धवृत्त जैसा आकार बनाता है जो 2,400 किमी दूर तक फैली है। इनकी चौड़ाई कश्मीर में 400 किमी से लेकर अरुणाचल प्रदेश में 150 किमी तक है।
हिमालय पर्वत श्रृंखला अपने देशांतरीय विस्तार में तीन समानांतर श्रृंखलाओं से मिलकर बना है –
- महान या आंतरिक हिमालये अथवा हिमाद्रि,
- हिमाचल या निम्न हिमालय,
- शिवालिक अथवा बाहरी हिमालय।
प्रश्न 3.
दक्कन के पठार से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
दक्कन का पठार एक तिकोना भूखण्ड है, जो नर्मदा नदी के दक्षिण में स्थित है। उत्तर की ओर इसके चौड़े आधार पर सतपुड़ा की श्रृंखला स्थित है जबकि कैमूर की पहाड़ियाँ, मैकाल की श्रृंखला एवं महादेव इसका पूर्वी विस्तार है। दक्कन का पठार पश्चिम में ऊँचा तथा पूर्व में कम ढलान वाला है। इस पठार का एक भाग उत्तर-पूर्व में भी देखा जाता है जिसे स्थानीय रूप से ‘मेघालय’, ‘कार्बी एंगलौंग पठार’ तथा ‘उत्तर कचार पहाड़ी’ के नाम से जाना जाता है। यह एक भ्रंश के द्वारा छोटा नागपुर पठार से अलग हो गया है। पश्चिम से पूर्व की ओर तीन महत्त्वपूर्ण श्रृंखलाएँ गारो, खासी तथा जयंतिया हैं। दक्कन के पठार के पूर्वी एवं पश्चिमी सिरे पर क्रमशः पूर्वी तथा पश्चिमी घाट स्थित हैं।
प्रश्न 4.
पूर्वी तटीय मैदान एवं पश्चिम तटीय मैदान में अंतर कीजिए।
उत्तर:
पूर्वी एवं पश्चिमी तटीय मैदान के बीच अंतर इस प्रकार हैं-
पूर्वी तटीय मैदान | पश्चिमी तटीय मैदान |
1. पूर्वी तट पर भली प्रकार विकसित डेल्टा हैं। | 1. इस तट पर मालाबार तट क्षेत्र में सुंदर झीलें हैं। |
2. इसकी मुख्य नदियाँ महानदी, गोदावरी, कावेरी और कृष्णा हैं। | 2. इसकी मुख्य नदियाँ तापी, नर्मदा, मांडवी एवं जुआरी हैं। |
3. ये मैदान चौड़े हैं जिनमें पूर्ण विकसित डेल्टा हैं। | 3. इन मैदानों का क्षेत्र सँकरा है जिसमें पहाड़ी भाग छिटका हुआ है। |
4. ये मैदान बंगाल की खाड़ी और पश्चिमी घाट के बीच स्थित हैं। | 4. ये मैदान अरब सागर और पश्चिमी घाट के बीच स्थित हैं। |
प्रश्न 5.
हिमालय की हिमाद्रि एवं शिवालिक श्रेणियों की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
हिमाद्रि की विशेषताएँ-
- इस क्षेत्र में वर्षपर्यन्त बर्फ जमीं रहती है।
- हिमाद्रि हिमालय की सबसे ऊँची उत्तरी पर्वत श्रृंखला है जिसकी औसत ऊँचाई 6,000 मी से अधिक है।
- विश्व की सर्वोच्च पर्वत श्रृंखला एवरेस्ट इसी श्रेणी में स्थित है।
शिवालिक की विशेषताएँ-
- भूकम्प और भूस्खलन इस श्रेणी की सामान्य घटना है। यह सबसे नवीन पर्वत श्रेणी है। अतः इसमें मृदा अपरदन भी सबसे अधिक होता है।
- यह पर्वत श्रृंखला जलोढ़ चट्टानों से निर्मित है इसलिए यह अधिक कठोर नहीं है।
- यह हिमालय की दक्षिणतम चोटी है। इसे बाह्य हिमालय भी कहते हैं।
प्रश्न 6.
सर्वोच्च हिमालय किसे कहते हैं? इसकी विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
हिमालय की सबसे उत्तरी श्रेणी को सर्वोच्च हिमालय कहते हैं। इस श्रेणी को हिमाद्रि भी कहते हैं।
सर्वोच्च हिमालय की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
- विश्व का सर्वोच्च पर्वत शिखर एवरेस्ट इसी श्रेणी में स्थित है।
- यह पर्वत श्रेणी सदैव हिमाच्छादित रहती है इसलिए इसे हिमाद्रि भी कहते हैं।
- हिमालय की यह सर्वोच्च पर्वत श्रेणी है जिसकी औसत ऊँचाई 6,000 मीटर है।
- एवरेस्ट के अतिरिक्त कंचनजंगा, नंदा देवी, नंगा पर्वत आदि सर्वोच्च हिमालय के अन्य प्रमुख पर्वत शिखर हैं।
प्रश्न 7.
लघु हिमालय किसे कहते हैं? इसकी विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
सर्वोच्च हिमालय के दक्षिण में स्थित पर्वत श्रृंखलाओं को लघु हिमालय या मध्य हिमालय भी कहते हैं। लघु हिमालय को हिमाचल श्रेणी भी कहते हैं।
लघु हिमालय की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
- यह हिमालय पर्वत की मध्यवर्ती श्रृंखला है।
- इस श्रेणी में अनेक पर्वतीय नगर पाए जाते हैं। इन पर्वतीय नगरों में डलहौजी, शिमला, धर्मशाला, मसूरी, दार्जिलिंग व नैनीताल स्थित हैं।
- कश्मीर की पीर पंजाल श्रेणी, जम्मू-कश्मीर में हिमाचल में विस्तृत धौलाधार श्रेणी लघु हिमालय के ही हिस्से हैं।
प्रश्न 8.
डेल्टा की निर्माण प्रक्रिया बताइए। गंगा-ब्रह्मपुत्र के डेल्टा की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
नदी जल में प्रवाह की गति के अनुरूप अवसाद परिवहन की अपार क्षमता होती है। नदी अपने प्रवाह के क्रम में अपने साथ भारी मात्रा में कंकड़, पत्थर, बजरी, बालू, मिट्टी, गाद आदि बहाकर लाती है। नदी के प्रवाह की गति मंद होने से अवसादों का जमाव होने लगता है। मुहाने के निकट जिन नदियों की गति मंद होती है वे नदियों अपने मुंहानों पर बारीक से बारीक तलछट जमा करने को बाध्य हो जाती हैं। यही जमाव नदी के मार्ग में अवरोध बनकर उसे विभिन्न शाखाओं में विभाजित कर देता है। इस प्रकार विभिन्न शाखाओं के द्वारा अवसाद का जमाव विस्तृत भू-भाग पर त्रिभुजाकार रूप ले लेता है। मुहाने पर बने त्रिभुजाकार मैदान को डेल्टा कहते हैं। डेल्टा बहुत समतल और उपजाऊ मैदान है। गंगा-ब्रह्मपुत्र का डेल्टा विश्व में सबसे बड़ा डेल्टा है।
गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा की विशेषताएँ-
- यह संसार का सबसे बड़ा डेल्टा है। इसका विस्तार बांग्लादेश और भारत के पश्चिमी बंगाल में है।
- यह बहुत ही उपजाऊ डेल्टा है।
- यह संसार के घने आबाद क्षेत्रों में से है।
- डेल्टा का निचला भाग दलदली है। यहाँ सुन्दर वन स्थित है।
प्रश्न 9.
पश्चिम तटीय मैदान की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
पश्चिम तटीय मैदान की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-
- यह तटीय प्रदेश अधिक वर्षा वाला है। वर्षा दक्षिणी-पश्चिमी मानसूनों से होती है।
- इस मैदान की मुख्य उपज नारियल, केला, कहवा और चावल है।
- इस तट पर देश के कई प्रमुख प्राकृतिक पत्तन हैं।
- पश्चिमी तटीय मैदान का विस्तार गुजरात से केरल तक पश्चिम घाट और अरब सागर के मध्य स्थित है।
- इसका विस्तार एक संकरी पट्टी के रूप में है।
- इसके उत्तरी भाग को कोंकण तट तथा दक्षिणी भाग को मालाबार तट के नाम से पुकारते हैं।
- इसके उत्तर भाग में ज्वारनद मुख है और दक्षिणी भाग में लैगून और पाश्चे जल के क्षेत्र पाए जाते हैं।
प्रश्न 10.
हिमालय पर्वतों का क्षेत्रीय वर्गीकरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
हिमालय पर्वत श्रृंखला पश्चिम से पूर्व की ओर क्षेत्र के आधार पर बाँटी गयी है-
- सिंधु तथा सतलुज नदी के मध्य के हिमालय के भाग को पारंपरिक रूप से पंजाब हिमालय के नाम से जाना जाता है। लेकिन क्षेत्रीय रूप से इसे क्रमशः कश्मीर और हिमाचल हिमालय के नाम से जाना जाता है।
- काली नदी और सतलुज नदी के बीच के क्षेत्र को कुमाऊँ हिमालय के नाम से जाना जाता है।
- काली और तिस्ता नदी के बीच का क्षेत्र नेपाल हिमालय के नाम से एवं तिस्ता व दिहांग नदी के बीच का क्षेत्र असम हिमालय के नाम से विख्यात है।
- दिहांग महाखड्डू के बाद हिमालय पर्वत तेजी से दक्षिण दिशा में मुड़ता है और भारत की पूर्वी सीमा के साथ फैल जाता है। इसे पूर्वांचल या पूर्वी पहाड़ियों एवं पर्वतों के नाम से जाना जाता है। पूर्वांचल में पटकाई, नागा, मणिपुर एवं मीजो पहाड़ियाँ आती हैं।
प्रश्न 11.
‘प्रवाल पॉलिप्स’ को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कम समय तक जीवित रहने वाले सूक्ष्म प्राणी जो समूहों में रहते हैं, को प्रवाल पॉलिप्स कहते हैं। प्रवाल पॉलिप्स का विकास छिछले वे गर्म जल में होता है। इनसे कैल्सियम कार्बोनेट का स्राव होता है। प्रवाल स्राव एवं प्रवाल अस्थियाँ टीले के रूप में निक्षेपित होती हैं।
ये तीन प्रकार के होते हैं-
- प्रवाल रोधिका,
- तटीय प्रवाल भित्ति,
- प्रवाल वलय द्वीप।
आस्ट्रेलिया को ‘ग्रेट बैरियर रीफ’ प्रवाल रोधिका का अच्छा उदाहरण है। प्रवाल वलय द्वीप गोलाकार या हार्स-शू आकार वाले रोधिका होते हैं।
प्रश्न 12.
उत्तर के मैदान को उच्चावच विशेषताओं के आधार पर विभाजित कीजिए।
उत्तर:
उत्तर के मैदान को विभिन्न उच्चावच विशेषताओं के आधार पर निम्न चार भागों में बाँटा गया है-
- खादर क्षेत्र – बाढ़ के मैदानों में नए तथा युवा निक्षेपों को खादर कहा जाता है। लगभग प्रत्येक वर्ष इनका नवीकरण हो जाता है। ये बहुत उर्वर होते हैं तथा गहन कृषि के लिए आदर्श माने जाते हैं।
- बांगर क्षेत्र – इन मैदानों का निर्माण पुरानी जलोढ़ मृदा से होता है। ये नदियों के बाढ़ के मैदानों के ऊपर स्थित । हैं तथा वेदिका जैसी आकृति प्रदर्शित करते हैं। ये मैदान नदी के बेसिन से दूर पाए जाते हैं। इस क्षेत्र में चूनेदार निक्षेप पाए जाते हैं जिन्हें स्थानीय भाषा में कंकड़’ कहा जाता है और यह कम उपजाऊ होती है।
- भाबर क्षेत्र – इन मैदानों का निर्माण तंग पट्टी में कंकड़ों के जमा होने से होता है जो शिवालिक की ढलान के समानांतर पाई जाती हैं। इस पट्टी का निर्माण पहाड़ियों से नीचे उतरते समय विभिन्न नदियों द्वारा किया जाता है। सभी नदियाँ भाबर पट्टी में आकर विलुप्त हो जाती हैं।
- तराई क्षेत्र – यह क्षेत्र भाबर के बाद आती है और नए जलोढ़ से बना होता है। इस क्षेत्र का निर्माण नदियों के पुनः प्रकट होने से होता है जिसके कारण नदियाँ नम एवं दलदली क्षेत्र का निर्माण करती हैं जिसे तराई कहा जाता है। यह क्षेत्र गहन जंगलों वाला एवं जंगली जानवरों से भरपूर होता है। किन्तु विभाजन के उपरांत पाकिस्तान से आए प्रवासियों के लिए कृषि योग्य भूमि बनाने हेतु जंगलों को साफ कर दिया गया है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
तटीय मैदानों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
रल के पूर्व में बंगाल की खाड़ी तथा पश्चिम में अरब सागर के किनारों पर तटीय मैदान एक पट्टी के आकार में फैले हुए हैं। बल की खाड़ी के किनारे मैदान चौड़ा और समतल है। उत्तरी भाग में इसे उत्तरी सिरकार कहा जाता है जबकि दक्षिी भाग को कोरोमण्डल तट कहा जाता है। बड़ी नदियाँ जैसे महानदी, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी इस तट पर एक बड़ा डेल्टा बनाती हैं। चिल्का झील (भारत की सबसे बड़ी नमकीन पानी की झील जो ओडिशा में स्थित है) पूर्वी तट की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता है।
भारत के इन तटीय भागों को 3 भागों में बाँटा गया है-
- महाराष्ट्र, गोवा और कर्नाटक के दक्षिण भाग में कींकड़ तट का विस्तार है।
- कर्नाटक में कन्नड़ तट का विस्तार है।
- केरल में मालाबार तट का विस्तार है।
प्रश्न 2.
“भारत एक सुगठित भौगोलिक इकाई है।” इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भारत को तीन भौतिक भागों में बाँटा गया है–उत्तर का विशाल हिमालय पर्वत, उत्तर का विशाल मैदान तथा प्रायद्वीपीय पठार। इनका न केवल आपस में एक-दूसरे से सम्बद्ध हैं, बल्कि ये एक-दूसरे के पूरक भी हैं। इस तरह इन भौतिक विभागों ने मिलकर भारत को एक सुगठित भौगोलिक इकाई बनाने में अपना योगदान दिया है। इन तीनों प्रमुख खण्डों का वर्णन इस प्रकार है-
भारत का प्रायद्वीपीय पठारी प्रदेश – यहाँ लौह-अयस्क, कोयला, ताँबा, बॉक्साइट, मैंगनीज, अभ्रक आदि खनिजों के अपार भंडार हैं। खनिजों पर आधारित उद्योगों के विकास के कारण आज भारत विश्व के प्रमुख औद्योगिक देशों में गिना जाता है। कहवा, रबड़, गर्म मसाले आदि की उपज के निर्यात द्वारा देश को विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है। इस प्रकार यह स्पष्ट हो जाता है कि भारत एक सुगठित भौगोलिक इकाई है तथा देश को ऐसा बनाने में उसके विभिन्न भौतिक विभागों ने पूर्ण योगदान दिया है।
उत्तरी विशाल मैदान – ये मैदान हिमालय पर्वतीय प्रदेश से निकलने वाली नदियों के द्वारा लाई गई जलोढ़ मिट्टी से बने हैं। ये मैदान बहुत उपजाऊ हैं। यहाँ विभिन्न खाद्यान्न फसलों के साथ-साथ व्यापारिक फसलें, जैसे-गन्ना, कपास तथा पटसन पैदा की जाती हैं जिन पर यहाँ के कई उद्योग निर्भर करते हैं। जीविकोपार्जन की सुविधाएँ सुलभ होने के कारण देश की आधी से अधिक जनसंख्या इस मैदानी भाग में रहती है।
विशाल हिमालय पर्वत – हिमालय पर्वत का प्रदेश उत्तर दिशा में भारत के प्रहरी का कार्य करता है। इस प्रकार शांति व सुरक्षा के साथ प्रगति करने का अवसर देता है। ऐतिहासिक काल से ऐसा होते रहने से ही भारत अपनी संस्कृति व सभ्यता का विकास कर पाया। हिमालय पर्वत के कारण ही देश को मानसूनी एकता प्राप्त हुई। वर्ष के विभिन्न समयों में ऋतु क्रम की एकता व फसलें पैदा करने के लिए पूरे वर्ष का वर्धन काल भी इसी भौतिक विभाग की देन है। हिमालय पर्वत अपार जल संपदा तथा वन संपदा के लिए जाने जाते हैं। यहाँ अनेक प्रकार के फल, जड़ी-बूटियाँ तथा चाय के भण्डार हैं, जो देश के अन्य भौतिक भागों में रहने वाले लोगों द्वारा उपयोग में लाए जाते हैं।
प्रश्न 3.
प्रायद्वीपीय पठार का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रायद्वीपीय पठार पुराने क्रिस्टलीय, आग्नेय तथा रूपांतरित शैलों से बना है। यह गोंडवाना भूमि के टूटने एवं अफवाह के कारण बना था इसीलिए यह प्राचीनतम भू-भाग का हिस्सा है। इस पठारी भाग में चौड़ी तथा छिछली घाटियाँ एवं गोलाकार पहाड़ियाँ हैं। इस पठार के दो मुख्य भाग हैं-‘मध्य उच्च भूमि तथा ‘दक्कन का पठार।
1. मध्य उच्चभूमि – नर्मदा नदी के उत्तर में प्रायद्वीपीय पठार का वह भाग जो कि मालवा के पठार के अधिकतर भागों पर फैला है उसे मध्य उच्चभूमि के नाम से जाना जाता है। विंध्य श्रृंखला दक्षिण में मध्य उच्चभूमि तथा उत्तर-पश्चिम में अरावली से घिरी है।
2. दक्कन का पठार – यह एक तिकोना भूखंड है जो नर्मदा नदी के दक्षिण में स्थित है। उत्तर में इसके चौड़े आधार पर सतपुड़ा की श्रृंखला है जबकि महादेव, कैमूर की पहाड़ियाँ एवं मैकाल श्रृंखला इसके पूर्वी विस्तार हैं। दक्कन के पठार के पूर्वी एवं पश्चिमी सिरे पर क्रमशः पूर्वी तथा पश्चिमी घाट स्थित हैं। पठारी क्षेत्र बहुत पुरानी स्थलाकृति है जिसका क्षेत्र बहुत विशाल है।
इस पठार की एक प्रमुख विशेषता काली मिट्टी है जिसे दक्कन टैप कहा जाता है। इसका उद्गम ज्वालामुखीय है और इसलिए चट्टानें आग्नेय हैं। पूरा दक्कन का पठार विषुवतीय क्षेत्र में स्थित है। इसमें वर्षा मध्यमे होती है। दक्कन टैप काली लावा मिट्टी से बना है जो कपास की खेती के लिए बहुत लाभदायक है। प्रायद्वीपीय पठार के पश्चिमी एवं उत्तर पश्चिमी छोर पर अरावली पहाड़ियाँ स्थित हैं। ये गुजरात से दिल्ली तक दक्षिण-पश्चिम-उत्तरपूर्व दिशा में फैली हुई हैं।
प्रश्न 4.
उत्तर के विशाल मैदान का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
हिमालय के पर्वतीय प्रदेश तथा प्रायद्वीपीय पठार के बीच में उत्तर का विशाल मैदान स्थित है। पश्चिम में राजस्थान वे पंजाब से लेकर असम तक इसका विस्तार है। यह मैदान 2,400 किमी. लंबा तथा 240 से 320 किमी. तक चौड़ा है। इस मैदान का निर्माण हिमालय पर्वत तथा प्रायद्वीपीय पठार से निकलने वाली नदियों द्वारा बहाकर लायी गयी जलोढ़क के जमाव से हुआ है। इसे विश्व के सर्वाधिक समतल एवं उपजाऊ मैदानों में शामिल किया जाता है। यह 7 लाख वर्ग किमी. क्षेत्र में फैला हुआ है। इसका निर्माण दो नदी तंत्रों-पश्चिम में सिंधु नदी तंत्र और पूर्व में गंगा-ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र द्वारा सम्मिलित रूप से किया गया है।
सिंधु नदी तंत्र-
- उत्तरी मैदान के उत्तरी – पश्चिमी भाग की रचना सिंधु और उसकी सहायक नदियों ने की है। सतलुज, व्यास, राबी, चिनाब और झेलम इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ हैं।
- इस मैदान का विस्तार दक्षिण – पश्चिम में अरब सागर से लेकर पश्चिमी हिमालय के गिरपाद तक है। यह 1,200 किलोमीटर की लंबाई में फैला है। | सिंधू नदी तंत्र द्वारा निर्मित मैदान को दो भागों में बाँट सकते हैं
- पश्चिमी मरुभूमि और
- पंजाब का मैदान।
- गंगा-ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र – उत्तर के मैदान का अधिकांश भाग गंगा-ब्रह्मपुत्र नदियों की ही देन है। गंगा-ब्रह्मपुत्र मैदान को दो भागों में बाँटा जा सकता है-
- गंगा का मैदान तथा
- ब्रह्मपुत्र का मैदान।
प्रश्न 5.
भारत की सुरक्षा, जलवायु विभाजक, जल एवं वन संपदा के लिए हिमालय की उपयोगिता प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
सुरक्षा – हिमालय भारत की उत्तरी सीमा पर प्रहरी की भाँति प्राचीनकाल से भारत की निरंतर सुरक्षा करता आ रहा है। हिमालय की उच्च पर्वत श्रृंखलाओं को पार करना कठिन है, इसीलिए विदेशी आक्रान्ताओं ने इस ओर से भारत को अतिक्रमण करने का साहस नहीं किया। किन्तु आधुनिक सैन्य उपकरणों और अस्त्र-शस्त्रे के चलते यह अब अभेद्य नहीं रह गया है।
जलवायु विभाजक – भारत का दक्षिणी भाग उष्ण कटिबंध में और उत्तरी भाग शीतोष्ण कटिबंध में स्थित है, परंतु हिमालय की स्थिति के कारण ही सम्पूर्ण भारत की जलवायु उष्ण कटिबंधीय है। हिमालय पर्वत श्रेणी के कारण भारत में स्पष्ट रूप से ऋतुचक्र चलता है। हिमालय शीत ऋतु में उत्तर-पूर्वी एशिया से आने वाली ठंडी और शुष्क पवनों को रोककर भारत को अधिक ठंडा और शुष्क होने से बचाता है। दूसरी ओर, ग्रीष्म ऋतु में दक्षिण-पश्चिम मानसून पवनों को रोककर, भारतीय उपमहाद्वीप में वर्षा करने में सहायक होता है। इस प्रकार हिमालय पर्वत जलवायु विभाजक का काम करे, भारत को एक विशिष्ट रूप प्रदान करता है।
जल संपदी का भण्डार – हिमालय हिम का घर है। हिमानियाँ मीठे जल का प्रमुख स्रोत हैं। ये हिमानियाँ भारत की प्रमुख नदियों की उद्गम स्थल हैं। अतः इन नदियों में सदैव पानी बना रहता है। ये नदियाँ न केवल पेय जल का स्रोत हैं, अपितु सिंचाई व जल विद्युत के निर्माण में भी ये बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। हिमालय से निकलने वाली नदियों में देश की कुल संभावित जल शक्ति की 60 प्रतिशत क्षमता है। इसके विकास से कृषि तथा उद्योगों के विकास में मदद मिलती है।
वन-संपदा का भण्डार – हिमालय प्रदेश में संसार की सभी प्रकार की वनस्पति के दर्शन होते हैं। निम्न ढाल वाले क्षेत्र घने वनों से ढके हैं। हिमालय क्षेत्र में कठोर तथा मुलायम दोनों प्रकार की लकड़ी विपुल मात्रा में मिलती है। वनों की सघनता एवं विविधती पर्याप्त मात्रा में विविध प्रकार की लकड़ी प्रदान करती है। वन वन्य प्राणियों के घर हैं। आज इन क्षेत्रों में दुर्लभ वन्य प्राणियों के भी दर्शन होते हैं। इन वनों में अनेक प्रकार की जड़ी-बूटियाँ भी प्राप्त होती हैं।
प्रश्न 6.
हिमालय की समानान्तर श्रेणियों का विवरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
हिमालय पर्वत श्रृंखला अपने देशान्तरीय विस्तार में तीन समानांतर श्रेणियों के सम्मिलने से बना है, जो इस प्रकार है-
(i) महान हिमालय (हिमाद्रि) – हिमालय पर्वत श्रृंखला के सबसे उत्तरी भाग में स्थित श्रृंखला को महान् (आंतरिक हिमालय या हिमाद्रि) हिमालय कहते हैं। इस श्रृंखला की औसत ऊँचाई 6,000 मी0 है। इस श्रेणी के बीच में अनेक गहरी घाटियाँ भी हैं। सभी प्रमुख हिमालयी चोटियाँ इस श्रेणी के अंतर्गत आती हैं। यह क्षेत्र वर्ष भर हिमाच्छादित रहता है।
(ii) निम्न हिमालय (हिमाचल) – महान हिमालय के दक्षिण में स्थित श्रृंखला हिमालय पर्वत श्रृंखला में सबसे अधिक असम है और हिमाचल या मध्य या निम्न हिमालय के नाम से जानी जाती है। यह श्रृंखला मुख्यतः अत्यधिक संपीड़ित कायांतरित चट्टानों से बनी है। पीर पंजाल श्रृंखला सबसे बड़ी एवं सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण श्रृंखला का निर्माण करती है। कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण श्रृंखलाएँ धौलाधार और महाभारत श्रृंखलाएँ हैं। इसी श्रृंखला में कश्मीर की घाटी तथा हिमाचल के कांगड़ा एवं कुल्लू की घाटियाँ स्थित हैं। इस क्षेत्र को पहाड़ी नगरों जैसे शिमला, नैनीताल, मसूरी, दार्जीलिंग, श्रीनगर एवं कांगड़ा आदि के लिए जाना जाता है।
(iii) बाह्य हिमालय (शिवालिक) – हिमालय की बाह्य श्रृंखला को शिवालिक कहा जाता है। इसका विस्तार 1050 किमी0 की चौड़ाई में है और ऊँचाई 900 मी0 से 1,100 मी0 के बीच है। यह हिमालय की सबसे कम ऊँचाई की पर्वत श्रृंखला है। ये श्रृंखलाएँ उत्तर में स्थित मुख्य हिमालय की श्रृंखलाओं से नदियों द्वारा लायी गयी असंपीडित अवसादों से बनी हैं। ये घाटियाँ बजरी तथा जलोढ़ की मोटी परत से ढकी हुई हैं। निम्न हिमाचल तथा शिवालिक के बीच में स्थित लंबवत् घाटी को दून के नाम से जाना जाता है। दून इस श्रेणी की विशेषता हैं। कुछ प्रसिद्ध दून हैं-देहरादून, कोटलीदून एवं. पाटलीदून।
मानचित्र कार्य
प्रश्न 1.
(i) भारत के रेखा-मानचित्र में निम्नलिखित पर्वत श्रेणियों को प्रदर्शित कीजिए और उनके नाम लिखिए-
- अरावली पर्वत श्रेणी
- विंध्याचल पर्वत श्रेणी
- सतपुड़ा
- नीलगिरि
- कराकोरम
- नागा पर्वत
- पटकोई
- मिजो
- पूर्वी घाट
- शिवालिक
- बृहत हिमालय
- भारत की राष्ट्रीय राजधानी, नाम सहित।
उत्तर:
विद्यार्थी अपने विषय अध्यापक की सहायता से नीचे दिए गए मानचित्र की सहायता से प्रश्नों के उत्तर ढूँढ़ें।