UP Board Solutions for Class 9 Hindi Chapter 8 तोता (गद्य खंड)

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UP Board Solutions for Class 9 Hindi Chapter 8 तोता (गद्य खंड)

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( विस्तृत उत्तरीय प्रश्न )

प्रश्न 1. निम्नांकित गद्यांशों में रेखांकित अंशों की सन्दर्भ सहित व्याख्या और तथ्यपरक प्रश्नों के उत्तर दीजिये-
(1)
तोते को शिक्षा देने का काम राजा के भानजे को मिला। पण्डितों की बैठक हुई। विषय था, “उक्त जीव की अविद्या का 
कारण क्या है?” बड़ा गहरा विचार हुआ। सिद्धान्त ठहरा : तोता अपना घोंसला साधारण खर-पतवार से बनाता है। ऐसे आवास में विद्या नहीं आती। इसलिए सबसे पहले यह आवश्यक है कि इसके लिए कोई बढ़िया-सा पिंजरा बना दिया जाय। राज-पण्डितों को दक्षिणा मिली और वे प्रसन्न होकर अपने-अपने घर गये।
प्रश्न
(1) उपर्युक्त गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए।’
(2) रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए।
(3) तोते को शिक्षा देने का काम किसे मिला?
(4) तोता अपना घोंसला किससे बनाता है?
(5) दक्षिणा किसे मिली?

उत्तर-

  1. प्रस्तुत गद्य पंक्तियाँ रवीन्द्र नाथ टैगोर द्वारा लिखित ‘तोता’ नामक कहानी से उद्धृत है।
  2. राज दरबार में जब तोते को बेवकूफ मान लिया गया तो इस पर विचार हुआ कि तोते को बुद्धिमान कैसे बनाया जाय? इस तोते की अविद्या का क्या कारण है? पण्डितों ने विचार किया कि तोता अपना घोंसला खरपतवार से बनाता है। अतः ऐसे घर में विद्या नहीं आती है।
  3. तोते को शिक्षा देने का काम राजा के भानजे को मिली।
  4. तोता अपना घोंसला घास-फूस से बनाता है।
  5. राज-पण्डितों को दक्षिणा मिली।

(2) संसार में और-और अभाव तो अनेक हैं, पर निन्दकों की कोई कमी नहीं है। एक हुँदो हजार मिलते हैं। वे बोले, ‘पिंजरे की तो उन्नति हो रही है, पर तोते की खोज-खबर कोई लेने वाला नहीं है।” बात राजा के कानों में पड़ी। उन्होंने भानजे को बुलाया और कहा, “क्यों भानजे साहब, यह कैसी बात सुनायी पड़ रही है?” भानजे, ”महाराज अगर सचसच सुनना चाहते हों तो सुनारों को बुलाइए। निन्दकों को हलवे-माड़े में हिस्सा नहीं मिलता, इसलिए वे ऐसी ओछी बातें करते हैं।”
प्रश्न
(1) उपर्युक्त गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए।
(2) रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए।
(3) संसार में किसकी कमी नहीं है?
(4) किसकी उन्नति हो रही है?
(5) निन्दक निन्दा क्यों करते हैं?

उत्तर-

  1. प्रस्तुत पंक्तियाँ रवीन्द्र नाथ टैगोर द्वारा लिखित ‘तोता’ नामक कहानी से उधृत हैं।
  2. संसार में अनेक अभाव हैं। सामान्य लोग अभाव का ही जीवन व्यतीत करते हैं। किन्तु निन्दकों की संसार में कोई कमी नहीं है। आप जहाँ निगाह डालिए, निन्दक मौजूद रहेंगे।
  3. संसार में निन्दकों की कमी नहीं है।
  4. पिंजरे की उन्नति हो रही है।
  5. किसी के लाभ में निन्दक को कुछ प्राप्त नहीं होता है। इसलिए वह निन्दा करता है।

(3) तोता दिन भर भद्र रीति के अनुसार अधमरा होता गया। अभिभावकों ने समझा कि प्रगति काफी आशाजनक हो रही है। फिर भी पक्षी स्वभाव के एक स्वाभाविक दोष से तोते का पिंड अब भी छूट नहीं पाया था। सुबह होते ही वह उजाले की ओर टुकुर-टुकुर निहारने लगता था और बड़ी ही अन्याय भरी रीति से अपने डैने फड़फड़ाने लगता था। इतना ही नहीं किसी-किसी दिन तो ऐसा भी देखा गया कि वह अपनी रोगी चोचों से पिंजरे की सलाखें काटने में जुटा हुआ है।
प्रश्न
(1) उपर्युक्त गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए।
(2) रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए।
(3) तोता क्यों अधमरा हो गया?
(4) तोते का कौन-सा दोष छूट नहीं पाया था?
(5) तोता अपनी चोचों से क्या कर रहा था?

उत्तर-

  1. प्रस्तुत गद्य पंक्तियाँ रवीन्द्र नाथ टैगोर द्वारा लिखित ‘तोता’ नामक कहानी से उद्धृत हैं।
  2. दाना-पानी न मिलने के कारण तोता अधमरा हो गया था। उसकी देख-रेख करने वालों ने सोचा कि तोते में काफी प्रगति हो रही है अर्थात् तोता सभ्य एवं सुशिक्षित ही रहा है।
  3. तोते को अन्न-जल कुछ भी नहीं मिल पा रहा था। उसके पेट में सिर्फ पोथी के पन्ने ही जा रहे थे। इसलिए | वह अधमरा हो गया।
  4. सबेरा होते ही तोता टुकुर-टुकुर निहारने लगता, और अपने डैने को फड़फड़ाने लगता था।
  5. (v) तोता अपनी चोंच से पिंजरे की सलाखें काट रहा था।

प्रश्न 2. रवीन्द्र नाथ टैगोर का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनकी रचनाओं का उल्लेख कीजिए। अथवा रवीन्द्र नाथ टैगोर का जीवन-परिचय एवं साहित्यिक सेवाओं का उल्लेख कीजिए।

( रविन्द्र नाथ टैगोर )
 स्मरणीय तथ्य

जन्म- 6 मई, 1861 ई०। मृत्यु- 7 अगस्त 1941 ई०। जन्म-स्थान कोलकाता के जोड़ासाकोकी ठाकुर बाड़ी।
शिक्षा-
 प्रारम्भिक शिक्षा सेन्ट जेवियर नामक स्कूल में तथा लंदन के विश्वविद्यालय में बैरिस्टर के लिए दाखिला परन्तु बिना डिग्री लिए वापस आ गये।
रचनाएँ-काव्य – दूज का चाँद, गीतांजलि, भारत का राष्ट्रगान (जन-गण-मन), बागवान।
कहानी संग्रह- 
हंगरी स्टोन्स, काबुलिवाला, माई लॉर्ड, दी बेबी, नयन जोड़ के बाबू, जिन्दा अथवा मुर्दा, घर वापसी।
उपन्यास- 
गोरा, नाव दुर्घटना, दि होम एण्ड दी वर्ल्ड।
नाटक- 
पोस्ट ऑफिस, बलिदान, प्रकृति का प्रतिशोध, मुक्तधारा, नातिर-पूजा, चाण्डालिका, फाल्गुनी, वाल्मीकि प्रतिभा, राजा और रानी।
आत्म जीवन-परिचय- मेरे बचपन के दिन।
साहित्य-सेवा- कवि के रूप में, गद्य लेखक के रूप में एवं सम्पादक के रूप में।
निबन्ध व भाषण- मानवता की आवाज।
भाषा- 
बांग्ला, अंग्रेजी।

  • जीवन-परिचय- रवीन्द्र नाथ टैगोर का जन्म 6 मई, 1861 ई० को कलकत्ता (कोलकाता) में हुआ था। इनके बाबा द्वारका नाथ टैगोर अपने वैभव के लिए चर्चित थे। ये राजा राममोहन राय के गहरे दोस्त थे और भारत के पुनर्जागरण में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया करते थे। रवीन्द्र नाथ के पिता द्वारका नाथ के सबसे बड़े पुत्र थे जो सुप्रसिद्ध विचारक एवं दार्शनिक थे। इसीलिए उन्हें महर्षि कहा जाता था। वे ब्रह्म समाज के स्तम्भ थे। इनकी माता का नाम सरला देवी था जो एक गृहस्थ महिला थीं। इनका निधन 7 अगस्त, 1941 ई. को हुआ।
  • रवीन्द्र नाथ टैगोर हमारे देश के एक प्रसिद्ध कवि, देशभक्त तथा दार्शनिक थे। वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे जिन्होंने कहानी, उपन्यास, नाटक तथा कविताओं की रचना की। उन्होंने अपनी स्वयं की कविताओं के लिए अत्यन्त कर्णप्रिय संगीत का सृजन किया। वे हमारे देश के एक महान चित्रकार तथा शिक्षाविद् थे। 1901 ई० में उन्होंने शान्ति निकेतन में एक ललित कला स्कूल की स्थापना की, जिसने कालान्तर में विश्व भारती का रूप ग्रहण किया, एक ऐसा विश्वविद्यालय जिसमें सारे विश्व की रुचियों तथा महान् आदर्शों को स्थान मिला जिसमें भिन्न-भिन्न सभ्यताओं तथा परम्पराओं के व्यक्तियों को साथ जीवन-यापन की शिक्षा प्राप्त हो सके।
  • सर्वप्रथम टैगोर ने अपनी मातृभाषा बंगला में अपनी कृतियों की रचना की। जब उन्होंने अपनी रचनाओं का अनुवाद अंग्रेजी में किया तो उन्हें सारे संसार में बहुत ख्याति प्राप्त हुई। 1913 ई० में उन्हें नोबल पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया जो उन्हें उनकी अमर कृति ‘गीतांजलि’ के लिए दिया गया।’गीतांजलि’ का अर्थ होता है गीतों की अंजलि अथवा गीतों की भेंट। यह रचना उनकी कविताओं का मुक्त काव्य में अनुवाद है जो स्वयं टैगोर ने मौलिक बंगला से किया तथा जो प्रसिद्ध आयरिश कवि डब्ल्यू. बी. येट्स के प्राक्कथन के साथ प्रकाशित हुई। यह रचना भक्ति गीतों की है, उन प्रार्थनाओं का संकलन है जो टैगोर ने परम पिता परमेश्वर के प्रति अर्पित की थीं। ब्रिटिश सरकार द्वारा टैगोर को ‘सर’ की उपाधि से सम्मानित किया परन्तु उन्होंने 1919 ई० में जलियाँवाला नरसंहार के प्रतिकार स्वरूप इस सम्मान का परित्याग कर दिया।
  • टैगोर की कविता गहन धार्मिक भावना, देशभक्ति और अपने देशवासियों के प्रति प्रेम से ओत-प्रोत है। वे सारे संसार में अति प्रसिद्ध तथा सम्मानित भारतीयों में से एक हैं। हम उन्हें अत्यधिक सम्मानपूर्वक ‘गुरुदेव’ कहकर सम्बोधित करते हैं। वे एक विचारक, अध्यापक तथा संगीतज्ञ हैं। उन्होंने अपने स्वयं के गीतों को संगीत दिया, उनका गायन किया और अपने अनेक रंगकर्मी शिष्यों को शिक्षित करने के साथ ही अपने नाटकों में अभिनय भी किया। आज के संगीत जगत में उनके रवीन्द्र संगीत को अद्वितीय स्थान प्राप्त है।
  • टैगोर एक गहरे धार्मिक व्यक्ति थे लेकिन अपने धर्म को मानव को धर्म के नाम से वर्णित करना पसन्द करते थे। वे पूर्ण स्वतंत्रता के प्रेमी थे। उन्होंने अपने शिष्यों के मस्तिष्क में सच्चाई का भाव भरा। प्रकृति, संगीत तथा कविता के निकट सम्पर्क के माध्यम से उन्होंने स्वयं अपनी तथा अपने शिष्यों की कल्पना शक्ति को सौन्दर्य, अच्छाई तथा विस्तृत सहानुभूति के प्रति जागृत किया।

टैगोर की प्रमुख रचनायें-
काव्य- दूज का चाँद, गीतांजलि, भारत का राष्ट्रगान (जन-गण-मन), बागवान।
कहानी- हंगरी स्टोन्स, काबुलीवाला, माई लॉर्ड, दी बेबी, नयनजोड़ के बाबू, जिन्दा अथवा मुर्दा, घर वापिसी।
उपन्यास- गोरा, नाव दुर्घटना, दि होम एण्ड दी वर्ल्ड।
नाटक- पोस्ट ऑफिस, बलिदान, प्रकृति को प्रतिशोध, मुक्तधारा, नातिर-पूजा, चाण्डालिका, फाल्गुनी, वाल्मीकि प्रतिभा, रानी और रानी।
आत्म- जीवन चरित-मेरे बचपन के दिन ।
निबन्ध व भाषण- मानवता की आवाज।

प्रश्न 3. रवीन्द्र नाथ टैगोर द्वारा लिखित कहानी ‘तोता’ का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर- 

कहानी का सारांश 

एक तोता था, जो अत्यन्त मूर्ख था। वह उछलता, कूदता, उड़ता तो था, किन्तु कायदा-कानून बिल्कुल नहीं जानता था। राजा ने एक दिन कहा, ऐसा तोता किस काम का है? इससे लाभ तो कुछ नहीं किन्तु हानि अवश्य है। यह बगीचे का फल खा जाता है जिससे मण्डी में फल का अभाव हो जाता है।
               राजा ने मंत्री को बुलाकर तोते को शिक्षा देने के लिए कहा। तोते को शिक्षा देने का काम राजा के भानजे को मिला। राज्य के बड़े-बड़े पण्डितों को बुलाया गया। तोते की अविद्या के कारणों पर विचार हुआ। अन्त में पण्डितों ने यह निष्कर्ष निकाला कि तोता घास-फूस के मकान में रहता है। अत: ऐसे आवास में विद्या नहीं आती है।
               सुनार को बुलाया गया और सोने का भव्य पिंजडा तैयार किया गया। सुनार को बहुत सारा धन ईनाम के रूप में मिला। पण्डित लोग तोते को विद्या पढ़ाने बैठे। पण्डितों ने कहा कि इतनी कम पोथियों से काम नहीं चलेगा। राजा ने पोथी लिखने वालों को बुलायो । पोथियों की नकल होने लगी और पोथियों का पहाड़ लग गया। उन्हें भी ईनाम दिया गया।
                पण्डित लोग भी गले फाड़-फाड़कर बूटियाँ फड़का-फड़काकर मन्त्र पाठ करने लगे। पिंजरे में दाना-पानी नहीं था सिर्फ पोथियाँ थीं । पण्डित लोग पोथियों के पन्ने फाड-फाडकर कलम की नोंक से तोते की चोंच में घुसेडते थे। तोते का गाना-गाना तो बन्द हो गया था। चीखने-चिल्लाने की आवाज भी नहीं निकल रही थी। तोते का पूरा मुँह पोथियों के पन्ने से ठसाठस भरा था।
              तोता दिन-प्रतिदिन भद्र रीति के अनुसार अधमरा हो गया। देखभाल करने वालों ने सोचा कि आशाजनक प्रगति हो रही है।
              तोते की एक आदत छुट नहीं पायी थी। सुबह होते ही वह पिंजरे के बाहर देखने लगता था और अपने पंख भी फड़फड़ाने लगता था। एक दिन तोता अपने रोगी चोचों से पिंजरे की सलाखें काटने में जुटा हुआ था। कोतवाल नाराज होकर लुहार को बुलाया। लुहार ने तोते के पंख काट दिये। लुहार को भी ईनाम मिला। पण्डितों ने एक हाथ में कलम और दूसरे हाथ में बरछा लेकर काण्ड किया। इसे ही शिक्षा कहते हैं।
              तोतो मर गया। किसी को भी पता न चला कि तोता कब मरा। निन्दक ने अफवाह फैलायी कि तोता मर गया। राजा को जब इस बात का पता चला तो भानजे को बुलवाया। राजा ने भानजे से कहा कि कैसी बात सुनायी पड़ रही है। भानजे ने कहा कि महाराज! तोते की शिक्षा पूरी हो गयी है। राजा ने पूछा कि क्या अब भी तोता उछलता-कूदता है तो भानजे ने कहा कि अजी, राम कहिये। अब भी उड़ता है? कतई नहीं। अब भी गाता है? नहीं तो। दाना न मिलने पर अब भी चिल्लाता है? नहीं।
              राजा ने कहा, तोते को मेरे पास लाओ। मैं देखेंगा। तोता लाया गया। राजा ने चुटकी से तोते को दबाया । कोई हलचल नहीं हुई। उसके पेट में पोथियों के पन्ने खड़खड़ाने लगे। तोते को महीने से दाना-पानी मिला ही नहीं था। अतः मर गया।

(लघु उत्तरीय प्रश्न)

प्रश्न 1. तोता स्वभाव से कैसा था?
उत्तर- तोता स्वभाव से नटखट था। वह बड़ा मूर्ख था। गाता था किन्तु शास्त्र नहीं पढ़ता था। उछलता था, फुदकता था, उड़ता था, किन्तु यह नहीं जानता था कि कायदा-कानून क्या है?

प्रश्न 2. टैगोर का संक्षिप्त जीवन-परिचय दीजिए।
उत्तर- रवीन्द्र नाथ टैगोर का जन्म 6 मई, 1861 ई. को कलकत्ता में हुआ था। इनके बाबा द्वारका नाथ टैगोर अपने वैभव के लिए चर्चित थे। ये राजा राममोहन राय के गहरे मित्र थे और भारत के पुनर्जागरण में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। रवीन्द्रनाथ के पिता देवेन्द्र नाथ द्वारका नाथ के सबसे बड़े पुत्र थे जो प्रसिद्ध विचारक एवं दार्शनिक थे। इसीलिए उन्हें महर्षि कहा जाता था। वे ब्रह्म समाज के स्तम्भ थे। इनकी माता का नाम सरला देवी था, जो एक गृहस्थ महिला थीं। इनका निधन 7 अगस्त, 1947 ई. को हुआ।

प्रश्न 3. टैगोर द्वारा रचित रचनाओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर- टैगोर की प्रमुख रचनायें निम्नलिखित हैंकाव्य-दूज का चाँद, गीतांजलि, भारत का राष्ट्रगान, बागवान। कहानी-हंगरी स्टोन्स, काबुलीवाला, माई लार्ड, जिन्दा अथवा मुर्दा, घर वापिसी। उपन्यास-गोरा, दि होम एण्ड दी वर्ल्ड। नाटक-पोस्ट आफिस, बलिदान, चाण्डालिका, राजा और रानी आदि।

प्रश्न 4. टैगोर की रचनाओं की विषय-वस्तु क्या है?
उत्तर- टैगोर की कविता गहने धार्मिक भावना, देशभक्ति और अपने देशवासियों के प्रति प्रेम से ओत-प्रोत है। वे एक विचारक, अध्यापक तथा संगीतज्ञ हैं। उनकी रचनाओं में प्रकृति के वर्णन मिलते हैं। टैगोर एक गहरे धार्मिक व्यक्ति थे लेकिन अपने धर्म को मानव का धर्म के नाम से वर्णित करना पसन्द करते थे। यही इनकी कविताओं का मूल विषय भी था।

प्रश्न 5. “टैगोर मानव धर्म प्रेमी थे।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- टैगोर एक गहरे धार्मिक व्यक्ति थे, लेकिन अपने धर्म को मानव का धर्म के नाम से वर्णित करना पसन्द करते थे। वे पूर्ण स्वतन्त्रता के प्रेमी थे। उन्होंने अपने शिष्यों के मस्तिष्क में सच्चाई का भाव भरा। प्रकृति, संगीत तथा कविता के निकट सम्पर्क के माध्यम से उन्होंने स्वयं अपनी तथा अपने शिष्यों की कल्पना शक्ति को सौन्दर्य, अच्छाई तथा विस्तृत सहानुभूति के प्रति जागृत किया।

प्रश्न 6. तोते को विद्वान बनाने के लिए क्या किया गया?
उत्तर- तोते को विद्वान बनाने के लिए राज्य के पण्डितों को बुलाया गया। बहुत सारी पोथियाँ मँगायी गयीं। पोथियों के पन्नों को फाड़े-फाड़कर कलम की नोंक से उसके मुंह में घुसेड़ा जाता था। अन्त में तोता मर गया।

प्रश्न 7. तोता क्यों मर गया?
उत्तर- तोते के पिंजड़े में दाना-पानी बिल्कुल नहीं था । पोथियों के पन्नों को फाड़-फाड़कर कलम की नोंक से उसके चोंच में डाला जाता था। विद्या देने के दौरान उसे कुछ भी दाना-पानी नहीं दिया गया। तोते के पेट में सिर्फ पोथी के पन्ने थे जिसके कारण तोता मर गया।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. टैगोर ने शान्ति निकेतन में ललित कला स्कूल की स्थापना कब की?
उत्तर- 1901 ई. में टैगोर ने शान्ति निकेतन में ललित कला स्कूल की स्थापना की।

प्रश्न 2. रवीन्द्र नाथ टैगोर को नोबल पुरस्कार कब मिला?
उत्तर- रवीन्द्र नाथ टैगोर को 1913 में नोबल पुरस्कार मिला।

प्रश्न 3. टैगोर को उनकी किस रचना पर नोबल पुरस्कार मिला?
उत्तर- टैगोर को उनकी रचना ‘गीतांजलि’ पर नोबल पुरस्कार मिला।

प्रश्न 4. टैगोर को ‘सर’ की उपाधि से किसने सम्मानित किया था?
उत्तर- ब्रिटिश सरकार ने टैगोर को ‘सर’ की उपाधि से सम्मानित किया था।

प्रश्न 5. टैगोर ने ‘सर’ की उपाधि कब वापस की?
उत्तर- 1919 ई. में टैगोर ने ‘सर’ की उपाधि वापस कर दी।

प्रश्न 6. ‘गोरा’ नामक उपन्यास के रचनाकार कौन हैं?
उत्तर-‘गोरा’ नामक उपन्यास के रचनाकार टैगोर जी हैं।

प्रश्न 7. टैगोर द्वारा लिखित नाटकों का नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर- पोस्ट आफिस, बलिदान, प्रकृति का प्रतिशोध, मुक्तधारा एवं चाण्डालिका आदि।

प्रश्न 8. टैगोर द्वारा लिखित कहानियों का नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर- हंगरी स्टोन्स, काबुलीवाला, माई लॉर्ड, जिन्दा अथवा मुर्दा एवं घर वापिसी आदि।

प्रश्न 9. गीतांजलि का क्या अर्थ है?
उत्तर- गीतांजलि का अर्थ होता है- गीतों की अंजलि अथवा गीतों की भेंट।

प्रश्न 10. तोते को शिक्षा देने का काम राजा ने किसे सौंपा?
उत्तर- तोते को शिक्षा देने का काम राजा ने अपने भानजे को दिया।

प्रश्न 11. पण्डितों के अनुसार किस तरह के आवास में विद्या नहीं आती?
उत्तर- पण्डितों के अनुसार घास-फूस के आवास में विद्या नहीं आती।

प्रश्न 12. पिंजरा किस धातु का बना था?
उत्तर- पिंजरा सोने का बना था।

प्रश्न 13. राजा ने किसके गले में सोने का हार डाल दिया?
उत्तर- राजा ने अपने भानजे के गले में सोने का हार डाल दिया।

प्रश्न 14. तोता गाना गाना क्यों बन्द कर दिया था?
उत्तर- तोता ने कई दिनों से अन्न-जल ग्रहण नहीं किया था। उसके पेट में पोथी के पन्ने भर दिये गये थे। उसका मुँह बन्द था।

प्रश्न 15. राजा ने किसके कान उमेठने के लिए कहा?
उत्तर- राजा ने निन्दक के कान उमेठने के लिए कहा।

व्याकरण-बोध

प्रश्न 1. निम्नलिखित समस्त पदों का समास-विग्रह कीजिए तथा समास का नाम भी लिखिए-
कायदा-कानून, राजा-मण्डी, अविद्या ।
उत्तर-
कायदा-कानून – कायदा और कानून – द्वन्द्व समास
राजा-मण्डी – राजा की मण्डी 
– षष्ठी तत्पुरुष समास
अविद्या  – विद्याहीन 
नञ् तत्पुरुष समास

आन्तरिक मूल्यांकन

टैगोर द्वारा लिखी गयी किसी अन्य कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
नोट- 
विद्यार्थीगण स्वयं करें।

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