UP Board Solutions for Class 7 Agricultural Science Chapter 4 उर्वरकों के प्रकार एवं मृदा परीक्षण
These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 7 Agricultural Science. Here we have given UP Board Solutions for Class 7 Agricultural Science Chapter 4 उर्वरकों के प्रकार एवं मृदा परीक्षण.
उर्वरकों के प्रकार एवं मृदा परीक्षण
अभ्यास
प्रश्न 1.
ही उत्तर पर सही (✓) का निशान लगाइए-
(i) वजन के आधार पर वायुमण्डल में प्रतिशत नाइट्रोजन पाया जाता है-
(क) 60
(ख) 70
(ग) 78 (✓)
(घ) 90
(ii) अमोनियम सल्फेट में प्रतिशत नाइट्रोजन की मात्रा पाई जाती है-
(क) 15
(ख) 20 (✓)
(ग) 25
(घ) 30
(iii) सिंगल सुपर फास्फेट में प्रतिशत फॉस्फोरस की मात्रा पाई जाती है-
(क) 12
(ख) 16 (✓)
(ग) 20
(घ) 24
(iv) म्यूरेट ऑफ पोटाश में प्रतिशत पोटैशियम की मात्रा पाई जाती है-
(क) 40
(ख) 50
(ग) 60 (✓)
(घ) 70
(v) जटिल उर्वरक प्रकार के होते हैं
(क) दो
(ख) तीन (✓)
(ग) चार
(घ) पाँच
(vi) जैव उर्वरक मृदा में बढ़ाने के लिए प्रयोग किए जाते हैं
(क) नाइट्रोजन (✓)
(ख) फॉस्फोरस
(ग) पोटाश
(घ) सल्फर
प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
उत्तर
(i) मृदा वायु में वजन के आधार पर नाइट्रोजन की 79 प्रतिशत मात्रा पाई जाती है। (69/79)
(ii) यूरिया में नाइट्रोजन की 46 प्रतिशत मात्रा पाई जाती है। (36/46)
(iii) डाई कैल्सियम फॉस्फेट में फॉस्फोरस की 32 प्रतिशत मात्रा पाई जाती है। (22/32)
(iv) पोटैशियम सल्फेट में पोटाश की 48 प्रतिशत मात्रा पाई जाती है। (38/48)
(v) मिश्रित उर्वरक सस्ता होता है। (सस्ता, महँगा)
(vi) राइजोबियम बैक्टीरिया मृदा में नाइट्रोजन स्थिर करता है। (फॉस्फोरस/नाइट्रोजन)
(vii) मृदा परीक्षण उर्वरता निर्धारण करने की एक रासायनिक विधि है। (भौतिक/रासायनिक)
प्रश्न 3.
निम्नलिखित में स्तम्भ ‘क’ को स्तम्भ ‘ख’ से सुमेल कीजिए (सुमेल करके)।
उत्तर
प्रश्न 4.
निम्नलिखित कथनों में सही पर (✓) तथा गलत पर (✗) का निशान लगाइए-
उत्तर
(i) यूरिया फॉस्फेटिक उर्वरक है। (✗)
(ii) नाइट्रोजन को कृषि की मास्टर कुंजी कहा जाता है। (✗)
(iii) रॉक फॉस्फेट में 20-40% फॉस्फोरस पाया जाता है। (✓)
(iv) फॉस्फोरस वायुमण्डल से बैक्टीरिया द्वारा नाइट्रोजन को मृदा में स्थिर करने में सहायता करता है। (✓)
(v) पोटाश पौधों की जड़ों एवं तना को मजबूत बनाता है। (✓)
(vi) मृदा नमूना छायादार स्थानों से एकत्रित किया जाता है। (✗)
प्रश्न 5.
खाद को परिभाषित कीजिए।
उत्तर
कार्बनिक पदार्थ जिससे पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति की जाती है, खाद कहलाते हैं। खाद में पौधों के लिए सभी आवश्यक तत्व पाए जाते हैं। कम्पोस्ट की खाद, मल-मूत्र व गोबर की सड़ी-गली खाद, जैविक खाद तथा हरी खाद इसके अन्तर्गत आती है।
प्रश्न 6.
नाइट्रोजन उर्वरक का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर
नाइट्रोजन उर्वरक का वर्गीकरण- रासायनिक आधार पर नाइट्रोजन उर्वरकों को निम्न वर्गों में बाँटा गया है
(i) नाइट्रेट उर्वरक-
- सोडियम नाइट्रेड- 16% नाइट्रोजन
- कैल्सियम नाइट्रेट- 15% नाइट्रोजन। इन उर्वरकों का प्रयोग खड़ी फसल में छिड़काव के रूप में किया जाता है।
(ii) अमोनियम उर्वरक-
- अमोनियम सल्फेट- 20% नाइट्रोजन
- डाई अमोनियम फॉस्फेट- 18% नाइट्रोजन । नाइट्रोजन अमोनियम रूप में मिलता है। इन उर्वरकों को मिट्टी में मिलाया जाता है।
(iii) अमोनियम और नाइट्रेट उर्वरक-
- अमोनिया नाइट्रेट- 33.5% नाइट्रोजन
- अमोनियम सल्फेट नाइट्रेट-26% नाइट्रोजन। इन उर्वरकों को बोआई के समय खेत में मिलाया जाता है।
(iv) नाइट्रोजन घोल-
- अमोनिया यूरिया घोल- 35% नाइट्रोजन
(v) एमाइड उर्वरक-
- यूरिया-46% नाइट्रोजन
प्रश्न 7.
मृदा में नाइट्रोजन की कमी का पौधों पर प्रभाव बताइए।
उत्तर
मृदा में नाइट्रोजन की कमी से पौधों की बढ़वार रुक जाती है। पौधों की पत्तियाँ पीली हो जाती हैं। फल छोटे-छोटे और कम हो जाते हैं और पकने से पहले ही गिर जाते हैं।
प्रश्न 8.
फॉस्फेटिक उर्वरकों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर
वर्गीकरण– घुलनशीलता के आधार पर इन्हें तीन वर्गों में बाँटा गया है-
(i) जल में घुलनशील- इन्हें अम्लीय व उदासीन मृदाओं में प्रयोग किया जाता है।
- सिंगल सुपर फास्फोट – 16% फास्फोरस ।
- मोनो अमोनियम फास्फेट – 48% फास्फोरस
(ii) साइट्रेट घुलनशील- साइट्रिक अम्ल में घुलनशील व पानी में अघुलनशील होते हैं। इनका प्रयोग अम्लीय मृदाओं में होता है।
- डाई केल्सियम फास्फेट – 32% फास्फोरस
- बेसिक स्लैग — 15-25% फास्फोरस
(iii) अघुलनशील- ये उर्वरक साइट्रिक अम्ल और पानी में अघुलनशील होते हैं। इनका प्रयोग अधिक अम्लीय मृदाओं में किया जाता है।
- रॉक फॉस्फेट – 20-40%, फॉस्फोरस
- हड्डी का चूरा – 20-25% फॉस्फोरस
प्रश्न 9.
पोटाश का पौधों पर क्या प्रभाव होता है?
उत्तर
पोटाश पौधों की वृद्धि और फलों की चमक को बढ़ाता है। पौधों में बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ जाती है। प्रोटीन निर्माण में सहायता करता है। यह तना तथा जड़ों को मजबूत बनाता है। जिससे हवा तथा पानी के कुप्रभाव से फसलें गिर नहीं पाती। नाइट्रोजन तथा फॉस्फोरस की अधिकता को संतुलित करता है। पोटाश की कमी से फसलें देर से पकती हैं और दानों, फलों एवं बीजों का उत्पादन घट जाता है।
प्रश्न 10.
मृदा परीक्षण क्यों कराना चाहिए?
उत्तर
मृदा परीक्षण की आवश्यकता- मृदा फसल उगाने योग्य है या नहीं, यह जानने के लिए मृदा परीक्षण कराया जाता है। मृदा परीक्षण के निम्न उद्देश्य हैं
- मृदा से सुलभ पोषक तत्वों का सही-सही निर्धारण
- फसलों की दृष्टि से तत्त्वों की कमी का आकलन
- ऊसर एवं अम्लीय मृदाओं में सुधारकों की मात्रा का निर्धारण।
प्रश्न 11.
जैव उर्वरक क्या है?
उत्तर
जैव उर्वरक सूक्ष्म कल्चर होते हैं। जो मृदा में नाइट्रोजन बढ़ाने के लिए प्रयोग किए जाते हैं। कुछ जीव फॉस्फोरस बढ़ाने के लिए प्रयोग किए जाते हैं, तो कुछ कार्बनिक पदार्थ को शीघ्र सड़ाने के लिए प्रयोग किए जाते हैं। जैव उर्वरक बहुत सस्ते होते हैं। इनका प्रयोग बहुत आसान होता है और इनके प्रयोग में 50 से 80 प्रति हेक्टेयर खर्च आता है।
प्रश्न 12.
नाइट्रोजन उर्वरकों का वर्गीकरण करके पौथों के लिए इनका महत्त्व लिखिए।
उत्तर
नाइट्रोजन उर्वरकों का वर्गीकरण- प्रश्न 6 का उत्तर देखिए।
पौधों के लिए नाइट्रोजन का महत्त्व- यह पौधों की वृद्धि में सहायता करता है। कार्बोहाइड्रेट की मात्रा बढ़ाता है। अनाजों के उत्पादन एवं प्रोटीन की मात्रा में वृद्धि करता है।
प्रश्न 13.
फॉस्फेटिक उर्वरकों का वर्गीकरण कीजिए एवं फॉस्फोरस का पौधों पर प्रभाव का वर्णन कीजिए।
उत्तर
फॉस्फेटिक उर्वरकों का वर्गीकरण- प्रश्न 8 का उत्तर देखिए।
फॉस्फोरस का पौधों पर प्रभाव- फॉस्फोरस के कारण पौधों की वृद्धि अच्छी और शीघ्रता से होती है। फॉस्फोरस राइजोबियम बैक्टीरिया की वृद्धि करके फलीदार फसलों द्वारा वायुमण्डल से नाइट्रोजन को मृदा में स्थिर करने में सहायता करता है। दाने की गुणवत्ता बढ़ाता है। नाइट्रोजन की विषालुता कम करता है। पौधों में फूल एवं दाने लगने में सहायता करता है, फसलों में बीमारियाँ कम लगती है। पौधों में प्रोटीन की मात्रा बढ़ाता है।
प्रश्न 14.
पोटैशियम उर्वरकों का वर्गीकरण करते हुए पोटाश के महत्त्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर
पोटैशियम उर्वरकों का वर्गीकरण- इन उर्वरकों को दो समूहों में बाँटा गया है–
- पोटैशियम उर्वरक जिनमें क्लोराइड लवण होते हैं- मुख्य उर्वरक म्यूरेट ऑफ पोटाश या पोटैशियम क्लोराइड है, जिसमें 60% पोटाश पाया जाता है। सस्ता होने के कारण किसान इसका अधिक प्रयोग करते हैं।
- पोटैशियम उर्वरकों जिसमें क्लोराइड लवण नहीं होते- इस समूह को मुख्य उर्वरक पोटैशियम सल्फेट है। जिसमें 48-52% पोटाश पाया जाता है। इसे सल्फेट ऑफ पोटाश भी कहते हैं। आलू, टमाटर, तंबाकू, चुकंदर फसलों में लाभकारी हैं।
पोटाश का महत्त्व- प्रश्न 9 का उत्तर देखिए।
प्रश्न 15.
जैव उर्वरक का वर्गीकरण कीजिए तथा जैव उर्वरक के प्रयोग करने की विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर
जैव उर्वरक का वर्गीकरण- इन्हें निम्न तीन वर्गों में विभाजित किया गया है-
- नाइट्रोजन स्थिर करने वाले जैव उर्वरक
- फॉस्फोरस घुलनशील बनाने वाले जैव उर्वरक
- कार्बनिक पदार्थ सड़ाने वाले जैव उर्वरक
नाइट्रोजन स्थिर करने वाले जैव उर्वरक – जब जैव उर्वरक मृदा में मिलाया जाता है तो सूक्ष्म जीवों द्वारा मृदा में स्थिर किए गए नाइट्रोजन में बहुत अधिक वृद्धि हो जाती है। प्रयोग किए जाने वाले जैव उर्वरक निम्न हैं-
- राइजोबियम कल्चर
- ऐजोटोबैक्टर कल्चर
- नीली-हरी शैवाल कल्चर
- फास्फोवैक्टिरीन कल्चर
राइजोबियम कल्चर दलहनी फसलों में तथा ऐजोटोबैक्टर कल्चर धान, कपास, ज्वार, सरसों, सब्जी, गेहूँ, जौ आदि में किया जाता है।
जैव उर्वरक प्रयोग विधि – राइजोबियम कल्चर के लिए 100-200 ग्राम गुड़ को एक लीटर पानी में गर्म करके घोल बना लेते हैं। 200 ग्राम कल्चर घोल में मिलाते हैं। इस मिश्रण को एक हेक्टेयर में बोने वाले बीज में मिलाते हैं। बीज को छाए में सुखाकर बो देते हैं।
प्रश्न 16.
मिश्रित उर्वरक से आप क्या समझते है? मिश्रित उर्वरक के लाभ एवं हानियों को समझाएँ।
उत्तर
दो या दो से अधिक उर्वरकों के मिश्रण को मिश्रित उर्वरक कहते हैं। मिश्रित उर्वरक तीन मानक (ग्रेड) के होते हैं
- कम मानक – इसमें नाइट्रोजन, फॉस्फोरस एवं पोटाश की कम प्रतिशत मात्रा होती है, प्रतिशत योग 14 से कम होता है, जैसे – 2-8-2, 2-4-6 ग्रेड।
- मध्यम मानक – इसमें तीनों का योग 15-25 तक होता है।
- उच्च मानक – इसमें तीनों का योग 25 से अधिक होता है।
लाभ –
- मिश्रित उर्वरक सस्ता होता है
- इनसे पैदावार बढ़ जाती है
- किसान सरलता से प्रयोग कर सकता है
- इसे सुगमता से रखा जा सकता है।
हानियाँ –
- जब मृदा में एक या दो तत्त्वों की कमी हो, तो प्रयोग लाभकारी नहीं होता।
- इसमें एक तत्त्व की अधिकता जबकि दूसरे तत्त्व की कमी होती है।
प्रश्न 17.
जैव उर्वरक के लाभ लिखिए।
उत्तर
जैव उर्वरक सूक्ष्म-जीव कल्चर होते हैं, जो प्रायः मृदा में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ाने के लिये प्रयोग किये जाते हैं। जैव उर्वरक का प्रयोग करके फसलों के लिए आवश्यक नाइट्रोजन एवं फॉस्फोरस की मात्रा को बहुत कम किया जा सकता है।
जैव उर्वरक के लाभ-
- जैव उर्वरक से भूमि की उर्वरता बढ़ती है।
- वायुमण्डल नाइट्रोजन के स्थिरीकरण में सहायक होता है।
- जैव पदार्थों को तीव्रता से सड़ाने में सहायक होता है।
- भूमि की जल धारण क्षमता को बढ़ाता है।
- फसलों की उपज बढ़ाने में सहायक होता है।
- पर्यावरण संतुलन बनाये रखने में सहायक होता है।
प्रोजेक्ट कार्य
नोर्ट – विद्यार्थी स्वयं करें।
We hope the UP Board Solutions for Class 7 Agricultural Science Chapter 4 उर्वरकों के प्रकार एवं मृदा परीक्षण help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 7 Agricultural Science Chapter 4 उर्वरकों के प्रकार एवं मृदा परीक्षण, drop a comment below and we will get back to you at the earliest.