UP Board Solutions for Class 12 Samanya Hindi गद्य गरिमा Chapter 2 राबर्ट नर्सिंग होम में

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UP Board Solutions for Class 12 Samanya Hindi गद्य गरिमा Chapter 2 राबर्ट नर्सिंग होम में

UP Board Solutions for Class 12 Samanya Hindi गद्य गरिमा Chapter 2 राबर्ट नर्सिंग होम में (कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’) are part of UP Board Solutions for Class 12 Samanya Hindi. Here we have given UP Board Solutions for Class 12 Samanya Hindi गद्य गरिमा Chapter 2 राबर्ट नर्सिंग होम में (कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’).

UP Board Solutions for Class 12 Samanya Hindi गद्य गरिमा Chapter 2 राबर्ट नर्सिंग होम में (कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’)

लेखक का साहित्यिक परिचय और कृतिया

प्रश्न 1.
कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ का जीवन-परिचय देते हुए उनकी कृतियों का उल्लेख कीजिए। [2009, 11, 18]
उत्तर
जीवन-परिचय-प्रभाकर जी का जन्म सन् 1906 ई० में सहारनपुर जिले के देवबन्द कस्बे में, एक साधारण ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके पिता पं० रमादत्त मिश्र पौरोहित्य करते थे, परन्तु उनके विचारों में महानता और व्यक्तित्व में दृढ़ता थी। इनका जीवन अत्यन्त सरल और सात्त्विक था। इनकी माताजी का स्वभाव बड़ा उग्र था। इनकी शिक्षा नगण्य ही हुई। अपनी शिक्षा के विषय में इन्होंने लिखा है कि हिन्दी शिक्षा (सच माने) पहली पुस्तक के दूसरे पाठ ख-ट-म-ल खटमल, ट-म-ट-म टमटम। फिर साधारण संस्कृत। बस हरि ओम्। यानि बाप पढ़े न हम।” जब ये खुर्जा के एक संस्कृत विद्यालय में पढ़ते थे, तब प्रसिद्ध राष्ट्रीय नेता आसफ अली के ओजस्वी भाषण को सुनकर परीक्षा छोड़ दी और स्वतन्त्रता संग्राम में सक्रिय भाग लेने लगे। इसके बाद इन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन राष्ट्र-सेवा में लगा दिया। मिश्र जी सन् 1930 ई० से 1932 ई० तक और सन् 1942 ई० में जेल में रहे और राष्ट्र के उच्च नेताओं के सम्पर्क में आये। भारत की स्वतन्त्रता के पश्चात् इन्होंने अपना जीवन पत्रकारिता में लगा दिया। ये एक सजग पत्रकार थे तथा सहारनपुर से ‘नया जीवन’ और ‘विकास’ नामक मासिक पत्र निकालने के साथ-साथ साहित्य-सृजन में भी संलग्न रहते थे। इनके लेख राष्ट्रीय जीवन के मार्मिक संस्मरणों की सजीव झाँकियाँ हैं, जिसमें भारतीय स्वाधीनता के इतिहास के महत्त्वपूर्ण पृष्ठ भी हैं। 9 मई, 1995 ई० को इस महान् साहित्यकार की मृत्यु हो गयी।

साहित्यिक योगदान-प्रभाकर जी हिन्दी के लघुकथा, रेखाचित्र, संस्मरण, रिपोर्ताज एवं ललित निबन्ध लेखकों में अग्रगण्य हैं। ये भारत की स्वतन्त्रता की लालसा लेकर साहित्य-क्षेत्र में अवतीर्ण हुए। इन्होंने अनेक नयी विधाओं पर फुटकर रचनाएँ कीं और पत्रकारिता के क्षेत्र में अपूर्व सफलता प्राप्त की। इन्होंने पत्रकारिता को स्वार्थ-सिद्धि का साधन न बनाकर महान् मानवीय मूल्यों की स्थापना की। इनकी पत्रकारिता में इनका मानवतावादी दृष्टिकोण देखने को मिलता है। ये एक आदर्श पत्रकार के रूप में हिन्दी जगत् में प्रतिष्ठित हुए। इनके पत्रों में तत्कालीन सामाजिक, राजनीतिक और शैक्षिक समस्याओं पर इनके निर्भीक और आशावादी विचारों का परिचय मिलता है।

स्वतन्त्रता आन्दोलन के समय इन्होंने जीवन के मार्मिक संस्मरण लिखे। इनके संस्मरणों में इनके व्यक्तित्व के साथ-साथ भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के इतिहास की झाँकी भी मिलती है। इस प्रकार आदर्श पत्रकार, संस्मरण लेखक और रिपोर्ताज लेखक के रूप में प्रभाकर जी की साहित्य-साधना चिरस्मरणीय है।

रचनाएँ-प्रभाकर जी ने हिन्दी की विविध विधाओं में साहित्य-रचना की। इनके अभी तक नौ ग्रन्थ प्रकाशित हो चुके हैं-
रेखाचित्र-‘महके आँगन चहके द्वार’, ‘जिन्दगी मुसकाई’, ‘माटी हो गयी सोना’, ‘भूले-बिसरे चेहरे’।
लघुकथा—‘आकाश के तारे’, ‘धरती के फूल’।
संस्मरण-‘दीप जले शंख बजे।
ललित निबन्ध-‘क्षण बोले कण मुस्काये’, ‘बाजे पायलिया के चुंघरू।
सम्पादन–आपने ‘नया जीवन’ तथा ‘विकास’, दो पत्रों का सम्पादन भी किया। इन पत्रों में प्रभाकर जी के सामाजिक, राजनीतिक और शैक्षिक समस्याओं पर आशावादी और निर्भीक विचारों का परिचय मिलता है।
साहित्य में स्थान-श्री कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ शिल्प और वस्तु दोनों ही दृष्टियों से समर्थ गद्यकार हैं। इनकी लघुकथाएँ भावपूर्ण हैं और संस्मरणों में राष्ट्रीय जीवन की मार्मिक झाँकी है। ये मानव-मूल्यों के सजग प्रहरी के रूप में एक आदर्शवादी पत्रकार थे। देश तथा हिन्दी भाषा की असाधारण सेवा के कारण हिन्दी गद्य-साहित्य में इनका महत्त्वपूर्ण स्थान है।

गद्यांशों पर आधारित प्रश्नोर

प्रश्न–दिए गए गद्यांशों को पढ़कर उन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिखिए।

प्रश्न 1.
मैंने बहुतों को रूप से पाते देखा था, बहुतों को धने से और गुणों से भी बहुतों को पाते देखा था पर मानवता के आँगन में समर्पण और प्राप्ति का यह अद्भुत सौम्य स्वरूप आज अपनी ही आँखों देखा कि कोई अपनी पीड़ा से किसी को पाये और किसी का उत्सर्ग सदा किसी को पीड़ा के लिए ही सुरक्षित रहे।
(i) उपर्युक्त गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
(ii) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(iii) लेखक ने समर्पण और प्राप्ति का कौन-सा अदभुतं सौम्य स्वरूप देखा?
(iv) प्रायः गुणी व्यक्ति का लोगों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
(v) प्रस्तुत गद्यांश के माध्यम से लेखक ने किसकी झाँकी प्रस्तुत की है?
उत्तर
(i) प्रस्तुत गद्यावतरण हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘गद्य-गरिमा’ में संकलित एवं प्रसिद्ध रिपोर्ताज और संस्मरण लेखक श्री कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ द्वारा लिखित राबर्ट नर्सिंग होम में पाठ निबन्ध से अवतरित है।
अथवा
पाठ का नाम- राबर्ट नर्सिंग होम में।
लेखक का नाम-श्री कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’।
(ii) रेखांकित अंश की व्याख्या-लेखक कहता है कि मैंने संसार में ऐसे बहुत-से व्यक्तियों को देखा है, जो अपनी विशिष्ट विशेषताओं से लोगों को अपना बना लेते हैं एवं अपार यश अर्जित करते हैं। कुछ लोग अपने रूप-सौन्दर्य द्वारा लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं तो कुछ ऐसे भी लोग होते हैं, जिनके पास अपार धन होता है और वे उसके बल पर लोगों पर अपना प्रभाव जमाते हैं या दूसरों को आत्मीय बना लेते हैं। कुछ व्यक्ति ऐसे होते हैं, जिनमें कोई विशिष्ट गुण होता है और वे अपने गुणों द्वारा बहुत कुछ प्राप्त कर लेते हैं; परन्तु आज लेखक ने एक ऐसी अद्भुत नारी को देखा, जिसने मानवता के लिए सर्वस्व समर्पित करके दूसरों की श्रद्धा और आदर को प्राप्त किया है।
(iii) लेखक ने समर्पण और प्राप्ति का यह अद्भुत सौम्य स्वरूप देखा कि कोई अपनी पीड़ा से किसी को पाए और किसी का उत्सर्ग सदा किसी को पीड़ा के लिए ही सुरक्षित रहे।
(iv) प्राय: गुणी व्यक्ति का लोगों पर यह प्रभाव पड़ता है कि वे अपने गुणों के द्वारा दूसरों को अपना बना लेते
(v) प्रस्तुत गद्यांश के माध्यम से लेखक ने विश्वप्रसिद्ध मानव-सेविका मदर टेरेसा की सेवा-भावना एवं आत्म-त्याग की मनोरम झाँकी प्रस्तुत की है।

प्रश्न 2.
यह अनुभव कितना चमत्कारी है कि यहाँ जो जितनी अधिक बूढ़ी है वह उतनी ही अधिक उत्फुल्ल, मुसकानमयी है। यह किस दीपक की जोत है? जागरूक जीवन की! लक्ष्यदर्शी जीवन की! सेवा-निरत जीवन की! अपने विश्वासों के साथ एकाग्र जीवन की। भाषा के भेद रहे हैं, रहेंगे भी, पर यह जोत विश्व की सर्वोत्तम जोत है।
(i) उपर्युक्त गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
(ii) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(iii) भिन्न-भिन्न प्रान्तों में भाषा में क्या अन्तर देखने को मिलता है?
(iv) कौन-सी ज्योति विश्व की सर्वोत्तम ज्योति है?
(v) प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने किसके मुसकानमय जीवन का चित्रांकन किया है?
उत्तर
(i) प्रस्तुत गद्यावतरण हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘गद्य-गरिमा’ में संकलित एवं प्रसिद्ध रिपोर्ताज और संस्मरण लेखक श्री कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ द्वारा लिखित राबर्ट नर्सिंग होम में पाठ से अद्भुत है।
अथवा
पाठ का नाम- राबर्ट नर्सिंग होम में।
लेखक का नाम-श्री कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’।
(ii) रेखांकित अंश की व्याख्या–मदर मार्गरेट इन्दौर के नर्सिंग होम की सर्वाधिक वृद्धा नर्स हैं। लेखक ने वहाँ रहकर देखा कि उस नर्सिंग होम में जो जितनी वृद्धा नर्स है, वह उतनी ही अधिक सेवा-परायण, कर्तव्यपरायण, क्रियाशील, प्रसन्न और मुसकानमयी है।
(iii) भिन्न-भिन्न प्रान्तों में भाषा में भिन्न-भिन्न अन्तर देखने को मिलते हैं।
(iv) सबके हृदय में एक अद्भुत ज्योति प्रज्वलित है, वह है सेवा और प्यार की ज्योति। यही ज्योति विश्व की सर्वोत्तम ज्योति है।
(v) लेखक ने प्रस्तुत गद्यांश में रोबर्ट नर्सिंग होम में समर्पित भाव से सेवारत और सर्वाधिक वृद्धा नर्स मार्गरेट के मुसकानमय जीवन का चित्रांकन किया है।

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2 Responses

  1. Vishal Sharma says:

    Vishal Sharma

  2. Ravi kumar says:

    Hi Ravi kumar kharsha aliganj bajar Sultanpur

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