UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 16 Means of Transport
Board | UP Board |
Textbook | NCERT |
Class | Class 12 |
Subject | Geography |
Chapter | Chapter 16 |
Chapter Name | Means of Transport (यातायात के साधन) |
Number of Questions Solved | 25 |
Category | UP Board Solutions |
UP Board Solutions for Class 12 Geography Chapter 16 Means of Transport (यातायात के साधन)
विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न
ट्रांस-साइबेरियन, कैनेडियन-पैसिफिक एवं केप-काहिरा रेलमार्गों का वर्णन कीजिए तथा इनका व्यापारिक महत्त्व भी समझाइए।
या
ट्रांस-साइबेरियन रेलमार्ग का वर्णन कीजिए तथा उसके महत्त्व की विवेचना कीजिए। [2007, 10]
या
टिप्पणी लिखिए ट्रांस-साइबेरियन रेलमार्ग। [2008, 14, 16]
या
टिप्पणी लिखिए कैनेडियन-पैसिफिक रेलमार्ग।
या
कनाडा के आर्थिक विकास में कैनेडियन पैसिफिक रेलमार्ग के योगदान का मूल्यांकन कीजिए।
या
कैनेडियन पैसिफिक रेलमार्ग के महत्त्व की विवेचना कीजिए।
या
ट्रांस-साइबेरियन रेलमार्ग को भौगोलिक विवरण दीजिए।
या
रेल परिवहन की सुविधाओं का विवेचन कीजिए तथा इसके आर्थिक विकास में ट्रांस-साइबेरियन रेलमार्ग की भूमिका का विवरण कीजिए। [2012]
या
ट्रांस-साइबेरियन रेलमार्ग को प्रदर्शित करने के लिए एक रेखामानचित्र बनाइए। [2013, 14]
या
रूस के आर्थिक विकास में ट्रांस-साइबेरियन रेलमार्ग की भूमिका का विवरण दीजिए। [2013)
उत्तर
(1) ट्रांस-साइबेरियन रेलमार्ग
Trans-Siberian Railway
ट्रांस-साइबेरियन रेलमार्ग विश्व का सबसे लम्बा रेलमार्ग है। यह एशिया महाद्वीप के सुदूरपूर्व में प्रशान्त तट पर स्थित ब्लाडीवॉस्टक नगर को युरोपीय रूस की राजधानी मास्कसोडत है। पूनः मास्को से यह लेनिनग्राड तक जाता है। इसके बाद मास्को एवं लेनिनग्राड से विभिन्न यूरोपीय नगरों तक रेलमार्गों एवं सड़क मार्गों द्वारा पहुँचा जा सकता है। यह यूरोपीय देशों को एशिया के आन्तरिक एवं पूर्वी प्रशान्ततटीय क्षेत्रों तक पहुँचने का एकमात्र स्थलीय मार्ग है। ब्लाडीवॉस्टक से मास्को तक यात्रा करने में इस रेलमार्ग द्वारा केवल 10 दिन का समय लगता है। टोकियो से लन्दन तक जलमार्ग द्वारा यात्रा करने में लगभग डेढ़ माह का समय लग जाता है, जबकि इस मार्ग द्वारा केवल 15 दिनों में ही पहुँचा जा सकता है। इस रेलमार्ग का निर्माण सन् 1891 से 1905 ई० के दौरान हुआ तथा 1905 ई० में इसे परिवहन के लिए खोल दिया गया। इसकी कुल लम्बाई बाल्टिक सागर पर स्थित लेनिनग्राड से प्रशान्त के तट पर स्थित ब्लाडीवॉस्टक तक 8,700 किमी है। सन् 1945 ई० से इस रेलमार्ग को दोहरा बना दिया गया है।
इस प्रकार इस रेलमार्ग द्वारा पूर्व एवं पश्चिम को सम्बन्ध स्थापित होने के साथ-साथ साइबेरिया के वन, कृषि, खनिज संसाधनों तथा उद्योग-धन्धों को पर्याप्त विकास हुआ है। इस रेलमार्ग के बन जाने से साइबेरिया में स्थित कोयला, लौह-अयस्क, मैंगनीज, बॉक्साइट, कोबाल्ट, क्रोमियम, निकिल, टंगस्टन, ताँबा, टिन, जस्ता, सीसा, अभ्रक, गन्धक, पोटाश, सोना, प्लेटिनम, यूरेनियम आदि खनिजों का शोषण सम्भव हो सका है। साइबेरिया में इन खनिजों की प्राप्ति इसी रेलमार्ग द्वारा सम्भव हो पायी है। अतः यह रेलमार्ग रूस के लिए वरदान सिद्ध हुआ है। इस रेलमार्ग की स्थापना से पूर्व साइबेरिया अत्यन्त पिछड़ा हुआ तथा उपेक्षित प्रदेश था।
जार शासनकाल में साइबेरिया को ‘काले पानी’ की संज्ञा दी जाती थी, परन्तु इस रेलमार्ग की स्थापना के बाद इस प्रदेश की आर्थिक प्रगति प्रारम्भ हुई तथा आज साइबेरिया रूस का बहुमूल्य खजाना सिद्ध हुआ है। साइबेरिया के वन उत्पाद गेहूँ, मक्खन, पनीर, मांस, खाल, ऊन, समूर एवं खनिज पदार्थ यूरोपीय रूस को इसी रेलमार्ग द्वारा भेजे जाते हैं तथा इनके बदले निर्मित सामान पूर्व की ओर आता है। साइबेरिया में जनसंख्या को सघन बसाव भी इसी रेलमार्ग के सहारे-सहारे विकसित हुआ है। साइबेरिया के सभी प्रमुख नगर इसी रेलमार्ग के सहारे-सहारे विकसित हुए हैं। यूरोपीय रूस के बहुत-से निवासियों को साइबेरिया में बसाने के लिए यही रेलमार्ग सहायक रहा है।
प्रारम्भ में इसका उद्देश्य शासन-प्रबन्ध तथा दैनिक आवश्यकताओं के कार्यों की पूर्ति करना निर्धारित किया गया था। कालान्तर में इसका व्यापारिक महत्त्व अधिक बढ़ गया। साइबेरिया प्रदेश का आर्थिक विकास इसी रेलमार्ग की देन कहा जा सकता है।
इस रेलमार्ग की स्थिति बाल्टिक सागर में फिनलैण्ड की खाड़ी पर स्थित लेनिनग्राड नगर से । प्रारम्भ होकर मास्को तक है। लेनिनग्राड रूस का प्रमुख उत्तरी-पश्चिमी पत्तन है। मास्को औद्योगिक प्रदेश से विभिन्न मशीनरी एवं औद्योगिक पदार्थ इस रेलमार्ग द्वारा साइबेरिया के विभिन्न क्षेत्रों को भेजे जाते हैं। पश्चिमी साइबेरिया, मध्य साइबेरिया एवं पूर्वी साइबेरिया में कृषि एवं उद्योगों को सन्तुलित विकास करने के लिए ट्रांस-साइबेरियन रेलमार्ग पर बहुत से नगरीय केन्द्रों की स्थापना में वृद्धि हुई है। ट्रांस-साइबेरियन रेलमार्ग पर निम्नलिखित ब्रांच रेलवे लाइन स्थापित की गयी हैं –
- यूराल प्रदेश में स्वर्डलोव्स्क, चिल्याबिंस्क, मैग्नीटोगोर्क आदि केन्द्र विकसित हुए हैं।
- पश्चिमी साइबेरिया में कुजबास प्रदेश में नोवोसिबिर्क, बरनोल, प्रोकोपयेवस्क, नोवोकुजतेक, बियस्क, केमरोव, तोमस्क आदि महत्त्वपूर्ण केन्द्र विकसित हुए हैं।
- मध्य एशिया में ट्रांस-साइबेरियन रेलवे की एक शाखा दक्षिणी समान्तर रेलवे कुईबाइशेव से इटस्क तक जाती है। इस प्रदेश में ट्रांस-साइबेरियन रेलवे के दोनों ओर क्रस्नोयार्क, मिनुसिंस्क, तायशेत, बास्कचेरमेखोव, इकुंटस्क, कोर्टूनोवा, उलान-ऊदे, चिंता आदि केन्द्रों का विकास हुआ है।
- सुदूर-पूर्व में आमूर नंदी बेसिन में मौंगोचा, त्यागदा, खावरोवस्क, क्रोसोमोलस्क, ब्लाडीवॉस्टक आदि केन्द्रों का क्किास हुआ है।
व्यापारिक महत्त्व – इस प्रकार यह रेलमार्ग एशिया महाद्वीप के उत्तरी भाग में पश्चिम को पूरब से जोड़ने वाली प्रमुख कड़ी का कार्य करता है जिससे पूर्व एवं पश्चिम एक सूत्र में बँध गये हैं। इस रेलमार्ग द्वारा मास्को में निर्मित वस्तुएँ साइबेरिया एवं साइबेरिया प्रदेश का कच्चा माल (खाद्यान्न, वन-उत्पाद एवं खनिज पदार्थ) आदि रूस के विभिन्न औद्योगिक केन्द्रों तथा अन्य नगरीय केन्द्रों को भेजे जाते हैं। इसी रेलमार्ग द्वारा कोयला, मक्खन एवं गेहूँ यूरोपीय देशों को भेजे जाते हैं; अत: सोवियत गणराज्यों के आर्थिक विकास में इस रेलमार्ग का महत्त्वपूर्ण योगदान है।
(2) कैनेडियन-पैसिफिक रेलमार्ग
Canadian Pacific Railway
इस रेलमार्ग का, कनाडा के लिए वही महत्त्व है जो ट्रांस-साइबेरियन रेलमार्ग का साइबेरिया (रूस) के लिए है। इसका विस्तार भी शीतोष्ण कटिबन्धीय प्रदेश में ट्रांस-साइबेरियून रेलवे की भाँति लगभग उन्हीं अक्षांशों में अर्थात् पूरब से पश्चिम को है। यह रेलमार्ग कनाडा के पूर्वी एवं पश्चिमी तटों को जोड़ता है। इस प्रकार प्रशान्त महासागरीय एवं अन्ध महासागरीय तटों पर स्थित पत्तनों से जुड़ा होने के कारण यह जलयानों द्वारा जल भाग का चक्कर लगाकर की जाने वाली अनावश्यक यात्रा को बचा लेता है। अतः इस रेलमार्ग का वास्तविक महत्त्व यात्रा की दृष्टि से न होकर आर्थिक दृष्टि से अधिक है। कनाडा के प्रमुख नगर इसी रेलमार्ग के सहारे-सहारे विकसित हुए हैं।
साइबेरिया की भाँति कनाडा में भी जनसंख्या का जमाव इन क्षेत्रों में बहुत ही कम तथा दूर-दूर छिटका हुआ था। शीत ऋतु में जलमार्गों के जम जाने के कारण आवागमन अवरुद्ध हो जाता था। इस प्रकार मानवीय जन-जीवन एवं व्यापार में बाधा उपस्थित होती थी, परन्तु इस स्लमार्ग के निर्माण के बाद वर्ष भर के लिए यातायात की सुविधाएँ प्राप्त हो गयी हैं तथा आर्थिक क्षेत्र में पर्याप्त प्रगति हुई है। कनाडा के विभिन्न प्रान्तों में प्रशासनिक कार्यों की देखभाल के लिए भी इस रेलमार्ग का महत्त्वपूर्ण स्थान है, अर्थात् देश के आन्तरिक भाग एक-दूसरे से सम्बन्धित हो गये हैं। इस रेलमार्ग के साथ-साथ ही कनाडा के आन्तरिक भागों में जनसंख्या के सघन संकेन्द्रण हुए हैं।
इस रेलमार्ग का निर्माण वर्ष 1882-86 के मध्य हुआ था। यह रेलमार्ग कनाडा के पूर्वी भाग में न्यूब्रिन्सविक राज्य के प्रमुख पत्तनों सेण्टजॉन तथा हेलीफैक्स को देश के पश्चिमी भाग में संयुक्त राज्य की सीमा पर स्थित बैंकूवर नगर से जोड़ता है। इस रेलमार्ग की लम्बाई 5,600 किमी है। सर्वप्रथम यह सेण्टजॉन से प्रारम्भ होकर संयुक्त राज्य में प्रवेश कर सेण्टलारेंस नदी पर स्थित कनाडा के मॉण्ट्रियल नगर जाता है। मॉण्ट्रियल कनाडा का प्रमुख औद्योगिक एवं व्यापारिक नगर है। शीतकाल में सेण्टलारेंस नदी के जम जाने के कारण इसका पत्तन व्यापारिक कार्यों के लिए अनुपयुक्त हो जाता है, जिससे इस रेलमार्ग का महत्त्व और अधिक बढ़ जाता है। मॉण्ट्रियल से यह ओटावा नदी के किनारे-किनारे होता हुआ उस पर स्थित ओटावा नगर पहुँचता है जो कनाडा की राजधानी है। यह वन उत्पादों की प्रमुख मण्डी है जहाँ से ये उत्पाद देश के विभिन्न भागों को भेजे जाते हैं।
यहाँ से यह रेलमार्ग सूरन झील के उत्तर में स्थित सडबरी नगर पहुँचता है जो खनिज पदार्थों का प्रमुख भण्डार है। इस क्षेत्र से खनिज पदार्थों को इस रेलमार्ग द्वारा देश के अन्य भागों में भेजा जाता है। यहाँ से यह रेलमार्ग कनाडा के प्रेयरी प्रदेश में प्रवेश करता है जो गेहूँ उत्पादन का विस्तृत प्रदेश है। इस प्रदेश में विनीपेग प्रमुख नगर है जो विश्वप्रसिद्ध गेहूँ की एक बड़ी मण्डी है। यहीं पर कैनेडियन नेशनल रेलमार्ग इससे मिल जाता है। विनीपैग से यह रेलमार्ग सस्केचवान प्रान्त की राजधानी रेजिना नगर में पहुँचता है। रेजिना के पश्चात् मैदानी भाग समाप्त हो जाता है तथा पहाड़ी प्रदेश प्रारम्भ हो जाता है। रॉकी पर्वत की तलहटी में स्थित कैलगैरी नगर यहाँ पर प्रमुख रेलवे स्टेशन है। इस नगर से रॉकी पर्वत की ऊँचाई बढ़नी प्रारम्भ हो जाती है तथा यह रेलमार्ग बांफ नगर पहुँच जाता है। यहाँ से रॉकी पर्वतों की गहन ऊँचाई को पार करने के लिए इसे किकिंग-हार्स दर्रा पार करना पड़ता है, जिसकी समुद्र-तल से ऊँचाई 1,600 मीटर है। तत्पश्चात् यह रेलमार्ग रॉकी पर्वतीय प्रदेश की सॅकरी घाटियों को पार कर फ्रेजर नदी के मुहाने एवं प्रशान्त तट पर स्थित बैंकूवर नगर में पहुँचकर समाप्त हो जाता है।
व्यापारिक महत्त्व – इस प्रकार कनाडा के आर्थिक, व्यापारिक, सांस्कृतिक, प्रशासनिक एवं राजनीतिक विकास का श्रेय इस रेलमार्ग को दिया जा सकता है। कनाडा के प्रेयरी प्रदेश का भारी मात्रा में उत्पादित गेहँ देश के पूर्वी क्षेत्रों में इसी रेलमार्ग द्वारा पहुँचाया जाता है। इस रेलमार्ग द्वारा यात्रा करने पर लिवरपूल से चीन तथा जापान पहुँचने में लगभग 1,800 किमी की यात्रा कम हो जाती है। इसके द्वारा कनाडा के पूर्वी, मध्यवर्ती एवं पश्चिमी क्षेत्रों के मध्य आर्थिक समन्वय स्थापित हो सका है तथा सम्पूर्ण देश एकता के सूत्र में बँध गया है। प्रेयरी प्रदेश के आर्थिक विकास में इस रेलमार्ग ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अत: इस रेलमार्ग का कनाडा के आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान है।
(3) केप-काहिरा रेलमार्ग
Cape-Kahira Railway
यह अफ्रीका महाद्वीप का सबसे महत्त्वपूर्ण रेलमार्ग है, परन्तु यह रेलमार्ग अभी तक अपूर्ण है। फिर भी झीलों एवं सरिताओं में नाव द्वारा तथा सड़कों पर मोटरों का उपयोग कर इसके द्वारा अफ्रीका के सुदूर-दक्षिणी सिरे पर स्थित केपटाउन नगर से उत्तरी-पूर्वी सिरे पर स्थित काहिरा नगर पहुँचने में 14,500 किमी लम्बी यात्रा के लिए एकमात्र प्रमुख रेल परिवहन मार्ग है। इस रेलमार्ग से प्रभावित प्रदेशों में पर्याप्त आर्थिक विकास हुआ है। दक्षिणी अफ्रीकी गणराज्य, उत्तरी एवं दक्षिणी रोडेशिया तथा कांगो गणतन्त्र इस रेलमार्ग से सर्वाधिक प्रभावित अफ्रीकी देश हैं। दक्षिणी अफ्रीका के बहुमूल्य खनिजों-हीरा, सोना, ताँबा आदि-के दोहन में इस रेलमार्ग का विशेष योगदान रहा है। उत्तरी अफ्रीका में नील नदी घाटी का आर्थिक विकास इसी रेलमार्ग की देन है।
व्यापारिक महत्त्व – केप-काहिरा रेलमार्ग का प्रारम्भ अफ्रीका महाद्वीप में सुदूर-दक्षिणी छोर पर केपटाउन नगर से होता है जो उत्तर की ओर किम्बरले नगर तक पहुँचता है। यह नगर हीरे की खानों के लिए विश्वप्रसिद्ध है। किम्बरले से नैटाल तथा ट्रांसवाल नगरों के लिए रेलमार्गों की शाखाएँ जाती हैं। इन उप-रेलमार्गों पर ब्लूएनमफाउण्टेन, जोहान्सबर्ग एवं प्रिटोरिया प्रसिद्ध नगर स्थित हैं। इस रेलमार्ग की प्रमुख शाखा किम्बरले से उत्तर में मफेकिंग होती हुई बेचुआनालैण्ड के शुष्क प्रदेश को जाती है। इसके बाद यह जिम्बाब्वे की राजधानी मुख्यालय-बुलावायो-पहुँचती है। यहाँ से इसकी एक शाखा देश के प्रमुख नगर सेलिसबरी से होती हुई पुर्तगाली मोजाम्बिक के पूर्वी तट पर बुकामा स्थित बेइरा पत्तन पहुँचती है।
बुलावायो से इसकी प्रधान शाखा को जेम्बजी नदी पार करनी पड़ती है। यहाँ से यह रेलमार्ग इस नदी के उत्तरी छोर पर विक्टोरिया प्रपात पर स्थित लिविंग्स्टन स्टेशन पर पहुँचता है जहाँ से यह उत्तर की ओर उत्तरी रोडेशिया को पार करता है। इसके मध्य में ब्रोकन हिल स्टेशन पड़ता है जो ताँबा, सीसा, जस्ता, कोबाल्ट एवं ऐस्बेस्टॉस धातुओं का प्रमुख उत्पादक क्षेत्र है। इसके बाद कांगो गणतन्त्र में यह एलिजाबेथ विले नगर है पहुँचती है जो कटंगा प्रदेश में ताँबे की खानों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ से यह दो ६ शाखाओं में विभाजित हो जाता है-प्रथम शाखा पश्चिम में अंगोला में प्रवेश कर तटीय प्रदेश में स्थित बेंगुला पत्तन पहुँचती है तथा दसरी शाखा उत्तर-पश्चिम में कांगो गणतन्त्र के पोर्ट फ्रैंक नगर तक पहुँचती है।
यह रेलमार्ग एलिजाबेथ विले नगर से काहिरा जाने के लिए भंग हो जाता है। इससे आगे सड़कें तथा झीलें हैं। टैंगानिको तथा विक्टोरिया झीलों को नाव द्वारा तथा स्थलीय दूरी को सड़कों द्वारा तय किया जाता है। यह रेलमार्ग नील नदी के किनारे पर स्थित कोस्टी नगर से प्रारम्भ होता है तथा यहाँ से नील नदी के समानान्तर चला गया है। सेनार, खाम, अटबारा आदि नगरों को पार कर यह वादीहैफा नगर तक जाता है। यहाँ से अस्वान तक पुनः रेलमार्ग है। नील नदी की यात्रा नाव से करनी पड़ती है। अस्वान से काहिरा तक पुनः रेलमार्ग है जो नील नदी की घाटी में ठीक उसके समानान्तर चलता है।
प्रश्न 2
व्यापारिक जलमार्ग के रूप में स्वेज एवं पनामा नहरों के व्यापारिक महत्त्व का मूल्यांकन कीजिए।
या
व्यापारिक मार्ग के रूप में स्वेज नहर पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
या
निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए –
(अ) स्वेज नहर एवं
(ब) पनामा नहर।
या
विश्व के दो प्रमुख महासागरीय मार्गों का उल्लेख कीजिए तथा उनका आर्थिक महत्त्व बताइए। [2010]
या
पनामा नहर को एक रेखा मानचित्र द्वारा प्रदर्शित कीजिए। [2013, 14]
या
विश्व के मुख्य समुद्री मार्गों का उल्लेख कीजिए तथा अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में उनके महत्त्व का वर्णन भी कीजिए। [2016]
या
स्वेज नहर का वर्णन कीजिए तथा विश्व व्यापार में इसके महत्त्व की विवेचना कीजिए। [2012, 16]
या
स्वेज नहर को दिखाते हुए एक रेखा मानचित्र बनाइए। [2013]
उत्तर
(अ) स्वेज नहर Suez Canal
स्वेज नहर विश्व की सबसे बड़ी जहाजी नहर है जो स्वेज के स्थल जलडमरूमध्य को काटकर बनायी गयी है। यह भूमध्य सागर को लाल सागर से जोड़ती है। फर्जीनेण्ड-डी-लैसेप्से नामक एक फ्रांसीसी इन्जीनियर की देख-रेख में इस नहर का निर्माण 1859 ई० से प्रारम्भ होकर 1869 ई० में समाप्त हुआ था। इस नहर के निर्माण कार्य पर 180 लाख पौण्ड खर्च आया था। सन् 1956 से इस नहर पर मिस्र का आधिपत्य है।
स्वेज नहर लाल सागर पर स्थित पोर्ट स्वेज को भूमध्य सागर पर स्थित पोर्ट सईद से जोड़ती है। इस नहर की लम्बाई 173 किमी, गहराई 17 मीटर तथा चौड़ाई 365 मीटर है। इस नहर का निर्माण ग्रेट बियर, लिटिल बियर, टिमसा तथा मैनजाला नमकीन जल की झीलों को मिलाकर किया गया है। स्वेज नहर की सुरक्षा के दृष्टिकोण से नहर के पश्चिम की ओर स्वेज पत्तन से सईद पत्तन तक नहर के सहारे-सहारे रेलमार्ग का निर्माण किया गया है।
यह नहर पूरी लम्बाई तक समुद्री सतह पर बनायी गयी है, इसी कारण इसमें पनामा नहर की भाँति झालें (Locks) नहीं हैं। यह नहर पुरानी दुनिया के सघन बसे देशों के मध्य से गुजारी गयी है। यही कारण है कि इस नहर द्वारा दूसरे जलमार्गों की अपेक्षा अधिक देशों में आवागमन किया जा सकता है। इस जलमार्ग की महत्ता इस तथ्य में है कि इस मार्ग में दो स्थानों पर ईंधन मिलता है- प्रथम, म्यांमार एवं पूर्वी द्वीप समूह में खनिज तेल तथा द्वितीय, पश्चिमी यूरोपीय देशों में कोयला। इसी कारण यह नहर, पनामा नहर की अपेक्षा अधिक लाभदायक सिद्ध हुई है। पनामा नहर में संयुक्त राज्य के तेल क्षेत्रों के अतिरिक्त अन्य स्थानों पर ईंधन प्राप्त नहीं होता है। स्वेज नहर से होकर गुजरने वाले मार्ग में बहुत से पत्तन विकसित हुए हैं जिनमें जिब्राल्टर, माल्टा, स्वेज, अदन, मुम्बई, कोलकाता एवं सिंगापुर बहुत ही प्रसिद्ध हैं। इन सभी पत्तनों पर ईंधन की सुविधाएँ उपलब्ध हैं। प्रत्येक खाड़ी में समुद्र से गुजरता हुआ जलमार्ग स्वेज नहर मार्ग से अवश्य ही मिलता है।
स्वेज नहर जलमार्ग में जलयान 12 से 15 किमी प्रति घण्टे की गति से चलते हैं, क्योंकि तेज गति से चलने पर नहर के किनारे टूटने का भय बना रहता है। इस नहर को पार करने में सामान्यतया 12 घण्टे का समय लग जाता है। इस नहर से एक-साथ दो जलयान पार नहीं हो सकते हैं। अतः जब एक जलयान निकलता है तो दूसरे जलयान को गोदी में बाँध दिया जाता है। इस प्रकार इस नहर से होकर एक दिन में अधिक-से-अधिक 24 जलयानों का आवागमन हो सकता है।
स्वेज नहर बन जाने से यूरोप एवं सुदूर-पूर्व के देशों के मध्य दूरी काफी कम हो गयी है। लिवरपूल से मुम्बई आने में 7,250 किमी; हांगकांग पहुँचने में 4,500 किमी; न्यूयॉर्क से मुम्बई पहुँचने में 4,500 किमी की दूरी कम हो जाती है। इस नहर के कारण ही भारत तथा यूरोपीय देशों के व्यापारिक सम्बन्ध प्रगाढ़ हुए हैं।
स्वेज नहर द्वारा किया जाने वाला व्यापार – अफ्रीका के पश्चिमी देशों तथा सुदूर-पूर्व को जाने वाला अधिकतर सामान भारी होता है। इसका प्रमुख कारण इन देशों से अधिकांशतः खाद्यान्न, लकड़ी, कच्चा सामान ही विदेशों को भेजे जाते हैं। पूर्वी देशों का पश्चिमी देशों से व्यापार काफी पुराना है, जो भिन्न-भिन्न मार्गों द्वारा किया जाता है। उत्तरी-पश्चिमी देशों से अधिकांशतः सभी प्रकार की मशीनें, लोहे का सामान, कोयला, विभिन्न प्रकार की निर्मित वस्तुएँ, वस्त्र तथा अन्य यूरोपीय उत्पाद भेजे जाते हैं।
हिन्द महासागरीय देशों को छोड़कर दक्षिणी-पूर्व से उत्तर-पश्चिम की ओर खाद्यान्न तथा अन्य प्राथमिक उत्पाद (कच्चा माल) भेजे जाते हैं। ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप से गेहूँ, ऊन, ताँबा एवं सोना; न्यूजीलैण्ड से ऊन एवं मक्खन; चीन तथा श्रीलंका से चाय; मॉरीशस तथा जावा से चीनी; बांग्लादेश से जूट; पाकिस्तान से गेहूँ; मंचूरियों से सोयाबीन; फारसे की खाड़ी, म्यॉमार एवं इण्डोनेशिया से खनिज तेल; प्रशान्त महासागर में स्थित द्वीपों से नारियल; पूर्वी अफ्रीकी देशों से रबड़, हाथी दाँत तथा कच्चा चमड़ा आदि पदार्थ इस नहर द्वारा पश्चिमी यूरोपीय एवं अमेरिकी देशों को निर्यात किये जाते हैं।
उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट है कि स्वेज नहर जलमार्ग से खाद्यान्न एवं अन्य प्राथमिक उत्पाद जर्मनी, फ्रांस, ग्रेट ब्रिटेन, इटली आदि यूरोपीय देशों को भेजे जाते हैं। प्राथमिक उत्पादों के निर्यातक देशों में इण्डोनेशिया, म्यांमार, श्रीलंका, फिलीपीन्स, मलेशिया, थाईलैण्ड, चीन, हांगकांग आदि प्रमुख हैं। अतः पूर्वी तथा पश्चिमी सभ्यता एवं संस्कृति, आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक आदि सम्बन्धों को प्रगाढ़ करने तथा उनके आदान-प्रदान करने में स्वेज नहर प्रमुख भूमिका निभा रही है।
स्वेज नहर का व्यापारिक महत्त्व
Commercial Importance of Suez Canal
स्वेज नहर के व्यापारिक महत्त्व को निम्नलिखित प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है –
- स्वेज नहर का निर्माण यूरोपवासियों ने अपने साम्राज्य की सुरक्षा एवं विस्तार के लिए किया था। युरोपीय देशों के तैयार माल इसी नहर द्वारा दक्षिणी-पूर्वी देशों के बाजारों तक पहुँचते थे। अत: एक लम्बे समय तक यह नहर ब्रिटिश साम्राज्य की जीवनरेखा बनी रही।
- यह नहर पश्चिमी तथा पूर्वी देशों के मध्य एक कड़ी का काम करती है। यह यूरोपीय देशों का सुदूर-पूर्व, भारत व मध्य-पूर्व के अन्य देशों से सम्बन्ध स्थापित करती है।
- इस नहर को आर्थिक महत्त्व उस समय स्पष्ट हो गया था जब यह 7 माह के लिए बन्द रही। उस समय यूरोप में खनिज तेल का अकाल उत्पन्न हो गया था तथा अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में अधिकांश वस्तुओं के मूल्य बहुत ऊँचे हो गये थे।
- इसी नहर के बल पर यूरोपियनों ने पूर्वी देशों में अपने औपनिवेशिक साम्राज्य स्थापित किये थे।
- इसी नहर के माध्यम से पूर्वी संस्कृति एवं सभ्यता का विकास पश्चिमी देशों में तथा पश्चिमी सभ्यता एवं संस्कृति का विस्तार पूर्वी देशों में हुआ है।
- इस नहर के बनने से भारत, मध्य-पूर्व, दक्षिणी एशिया के देशों की दूरी यूरोपीय देशों से बहुत घट गयी है। पहले जो जलयान दक्षिणी अफ्रीका के केप मार्ग का अनुसरण करते थे, अब सीधे स्वेज मार्ग से जाते हैं जिससे समय तथा ईंधन दोनों की ही भारी बचत होती है।
(ब) पनामा नहर Panama Canal
स्वेज नहर की सफलता से प्रेरित होकर पनामा जलमार्ग योजना निर्धारित की गयी थी। इस अन्तर्राष्ट्रीय जलमार्ग के महत्त्व को स्वेज जलमार्ग से किसी भी रूप में कम नहीं आँका जा सकता है। फ्रांसीसी इन्जीनियर फडनेण्ड-डी-लैसेप्स ने 1882 ई० में इस नहर के निर्माण का असफल प्रयास किया था, परन्तु संयुक्त राज्य ने 1904 ई० में प्रारम्भ कर 1914 ई० तक इस नहर का निर्माण कार्य पूर्ण करा दिया था। इसके निर्माण पर 7.5 करोड़ डॉलर का खर्च आया था। इस नहर का निर्माण पनामा के स्थल-जलडमरूमध्य को काटकर किया गया है जो प्रशान्त तट पर स्थित पनामा पत्तन को अन्ध महासागरीय तट पर स्थित कोलन पत्तन से जोड़ती है।
यह नहर 82 किमी लम्बी, 12 मीटर गहरी तथा 90 मीटर चौड़ी है। इस नहर से प्रतिदिन 50 जलयान पार हो सकते हैं। पनामा नहर का निर्माण एक पहाड़ी को काटकर किया गया है, जिस कारण इसका तल सर्वत्र एकसमान नहीं है, बल्कि झीलों (Locks) का प्रयोग करना पड़ता है। इनमें गाटून, ट्रेलोडीमिग्वल एवं मिराफ्लोर्स झीलें प्रमुख हैं। गार्जेस नदी द्वारा उत्पादित जल-विद्युत शक्ति का उपयोग जलयानों को इस नहर से बाहर खींचने में किया जाता है। इस प्रकार इस नहर का निर्माण 15 अगस्त, 1914 ई० को पूर्ण हुआ था।
उत्तरी एवं दक्षिणी अमेरिकी महाद्वीपों को जोड़ने वाली पनामा जल-सन्धि को काटकर पनामा नहरको निर्मित किया गया है। इस नहर की चौड़ाई अधिक होने के कारण इसमें दो जलयान एक साथ गुजर सकते हैं। इस पर संयुक्त राज्य अमेरिका का आधिपत्य है। आवागमन के समय सभी फाटकों को एक-साथ नहीं खोला जा सकता है, बल्कि एक-एक कर खोला जाता है जिससे जल-स्तर समान रहे। जल-स्तर के एकसमान हो जाने पर ही जलयान को आगे जाने दिया जाता है।
नहर के निर्माण का सबसे अधिक लाभ संयुक्त राज्य अमेरिका को हुआ है, क्योंकि इसके द्वारा इस देश की पूर्वी एवं पश्चिमीतटीय दूरी बहुत कम हो गयी है। इस नहर से होकर न्यूयॉर्क से सैनफ्रांसिस्को जाने में 12,650 किमी; सैनफ्रांसिस्को से लिवरपूल एवं न्यूआर्लियन्स जाने में क्रमश: 9,100 किमी एवं 14,250 किमी; याकोहामा से न्यूयॉर्क जाने में 6,050 किमी; याकोहामा से न्यूआर्लियन्स जाने में 9,170 किमी, वालपैरेजो (चिली) से न्यूयॉर्क जाने में 6,020 किमी की दूरी कम हो गयी है। पनामा नहर के निर्माण से पूर्व उत्तरी अमेरिका महाद्वीप के पश्चिमी तट से यूरोपीय देशों को जाने वाले जलयानों को दक्षिणी अमेरिका महाद्वीप का पूरा चक्कर लगाकर जाना पड़ता था, परन्तु अब वे सीधे पनामा नहर से निकल जाते हैं। दक्षिणी अमेरिका महाद्वीप के पश्चिमी देशों से ऑस्ट्रेलिया एवं न्यूजीलैण्ड जाने वाले जलयानों को पनामा नहर के मार्ग से जाने में कम-से-कम 6,020 किमी की दूरी कम तय करनी पड़ती है।
पनामा नहर द्वारा किया जाने वाला व्यापार – पनामा नहर के बन जाने से संयुक्त राज्य अमेरिका के पत्तनों की पारस्परिक दूरी कम हो गयी है। इस नहर से होकर न्यूजीलैण्ड से मक्खन, पनीर, ऊन, अण्डे तथा भेड़ का मांस; जापान से रेशम एवं रबड़ की वस्तुएँ; चीन से चाय एवं चावल तथा फिलीपीन्स से तम्बाकू एवं सन आदि पदार्थ भेजे जाते हैं। पश्चिमी यूरोपीय देशों तथा पूर्वी अमेरिकी देशों को बोलीविया से चाँदी, पीरू से शोरा, इक्वेडोर से सिनकोना एवं कोलम्बिया से लकड़ी भेजी जाती है। एटलांटिक महासागरीय देशों से प्रशान्त महासागरीय देशों को जो वस्तुएँ भेजी जाती हैं, उनमें पश्चिमी द्वीप समूह से गन्ना, तम्बाकू एवं केला; उत्तरी अमेरिका के पूर्वी भागों तथा यूरोपीय देशों से लौह-इस्पात का सामान एवं खनिज तेल प्रमुख हैं।
पनामा नहर जलमार्ग से प्रतिवर्ष 1,500 लाख टन माल ढोया जाता है। प्रशान्त महासागर से एटलाण्टिक महासागर में आने वाले कुल माल का 44% तथा एटलाण्टिक महासागर से प्रशान्त महासागर को जाने वाले कुल माल का 56% भाग इसी जलमार्ग से आता-जाता है। इस मार्ग से व्यापार में वृद्धि हुई। है, परन्तु यह वृद्धि आशा से कुछ कम है।
पनामा नहर का व्यापारिक महत्त्व
Commercial Importance of Panama Canal
पनामा नहर के व्यापारिक महत्त्व को निम्नलिखित प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है –
- पनामा नहर के बनने से उत्तरी अमेरिका के पूर्वी तथा पश्चिमी तटों के बीच लगभग 12,650 किमी की दूरी कम हो गयी है। इसके माध्यम से चीन, जापान, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैण्ड आदि देशों की दूरी ग्रेट ब्रिटेन से बहुत घट गयी है।
- पनामा दूसरी अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व की नहर है। इसके द्वारा संयुक्त राज्य के पूर्वी तथा पश्चिमी तटों, यूरोप, उत्तरी अमेरिका तथा एशियाई देशों के मध्य व्यापारिक सम्बन्ध सृदृढ़ हुए हैं तथा दक्षिणी-पूर्वी एशियाई देशों के व्यापार में बहुत वृद्धि हुई है।
- पनामा नहर से संयुक्त राज्य अमेरिका के न केवल व्यापार में ही विशेष वृद्धि हुई है, वरन् यह देश अपनी सुरक्षा-व्यवस्था के लिए कम व्यय में सेना तथा सैनिक सामान दोनों तटों पर सुगमता से भेज सकता है।
- पनामा नहर के बनने से पश्चिमी द्वीप समूह तथा कैरेबियन द्वीपों के व्यापार में तीव्रता से वृद्धि
- ग्रेट ब्रिटेन से न्यूजीलैण्ड तथा ऑस्ट्रेलिया जाने वाले जलयान अब स्वेज नहर के स्थान पर इसी मार्ग से आने-जाने लगे हैं।
- प्रशान्त महासागर की ओर से अन्ध महासागर की ओर आने वाले कुल माल का लगभग 44% तथा अन्ध महासागर से प्रशान्त महासागर की ओर जाने वाले कुल माल का लगभग 56% व्यापार इसी नहर-मार्ग द्वारा होता है।
- यह नहर अपेक्षाकृत अधिक गहरी तथा चौड़ी है। इसमें दो जहाज बगैर किसी प्रतीक्षा के पार हो जाते हैं।
- स्वेज नहर की तुलना में इस नहर से व्यापार अधिक शान्तिपूर्वक होता है तथा करे भी कम देना होता है।
प्रश्न 3
वायु परिवहन का महत्व बताइए तथा विश्व के प्रमुख वायुमार्गों का उल्लेख कीजिए। या वायु परिवहन की सुविधाओं का विवेचन कीजिए तथा विश्व के प्रमुख वायुमार्गों का वर्णन कीजिए। [2013]
उत्तर
वायु परिवहन का महत्त्व
Importance of Air Transport
विश्व में वायुमार्गों का विकास प्रथम विश्वयुद्ध (1914-19 ई०) के बाद हुआ है। आधुनिक युग में इसका बड़ा ही महत्त्व है। इस परिवहन के निम्नलिखित लाभ हैं –
- वायु परिवहन की गति बहुत ही तीव्र होती है। जिस दूरी को जलयानों द्वारा 20 दिनों में पार किया जा सकता है, उसे वायुयान द्वारा केवल 13 घण्टे में ही पार किया जा सकता है।
- लम्बी दूरी की यात्राओं के लिए वायु परिवहन अधिक आरामदायक है, जिसमें यात्रियों को। ‘जी घबराने’ जैसी शिकायतें नहीं होतीं जैसा कि समुद्री यात्रा में होता है।
- वायु-यात्रा की पहुँचे पर्वत-श्रेणियों, मरुस्थलों तथा विस्तृत वन-क्षेत्रों के पार भी हो सकती है, जहाँ रेलगाड़ियाँ या मोटरगाड़ियाँ आदि अन्य परिवहन-साधन नहीं पहुँच पाते।
वायुयानों द्वारा अधिक यात्रियों, डाक, हल्के भार में अधिक मूल्य के सामान तथा शीघ्र खराब होने वाले खाद्य पदार्थों का परिवहन सुगमता से किया जाता है। इसके द्वारा की जाने वाली अग्रलिखित यात्राएँ प्रमुख स्थान रखती हैं –
- अन्तर्राष्ट्रीय व्यापारी महाद्वीपों एवं महासागरों को पार कर महत्त्वपूर्ण व्यापार वायु-यात्राओं द्वारा पूर्ण करते हैं।
- वायु परिवहन द्वारा पर्यटक-यात्राओं और पर्यटन उद्योग को भारी प्रोत्साहन मिला है। प्रतिवर्ष लाखों पर्यटक अपने राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय पर्यटक-स्थलों की वायु-यात्राएँ करते हैं।
- वायु-यात्राओं द्वारा लाखों व्यक्ति राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक सम्मेलनों, राजनीतिक सभाओं, तकनीकी गोष्ठियों, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों, प्रदर्शनियों, अधिवेशनों, मेलों तथा प्रशासनिक कार्यों आदि में भाग लेते हैं।
विश्व के प्रमुख वायुमार्ग
Main Air Routes of the World
विश्व के प्रमुख वायुमार्ग निम्नलिखित हैं –
(1) यूरोप एवं अमेरिका के बीच का वायुमार्ग (North-Atlantic Airways) – यह अफ्रीका के अटलाण्टिक तट के साथ-साथ डकार या लागोस तक जाता है। यहाँ से यह मार्ग अन्ध महासागर को पार कर ब्राजील के पेरानाम्बुके नगर पहुँचता है तथा यहीं से एक अन्य मार्ग चिली से सेण्टियागो तक जाता है। अन्ध महासागर के किनारे संयुक्त राज्य के वायुमार्ग पेरानाम्बुके में जाकर मिलते हैं।
यूरोप से ही एक दूसरा मार्ग लन्दन से शैनन, गैण्डर, ओटावा होता हुआ न्यूयॉर्क तक जाता है। एक और मार्ग स्टॉकहोम से ओस्लो, रिकजाविक, गैण्डर और ओटावा होता हुआ न्यूयॉर्क में मिल जाता है। एक अन्य मार्ग पेरिस से लिस्बन, एजोर्स, बरमूदा होता हुआ न्यूयॉर्क पहुँचता है।
(2) युरोप तथा ऑस्ट्रेलिया के बीच का वायुमार्ग (Europe-Australia Airways) – इस मार्ग पर फ्रांसीसी, डच तथा ब्रिटिश वायुयान उड़ान भरते हैं। ब्रिटिश वायुमार्ग लन्दन से आरम्भ होकर मसेंलीज, एथेन्स, सिकन्दरिया, काहिरा, गाजा, बगदाद, बहरीन, शीराज, करांची, जोधपुर, दिल्ली, इलाहाबाद, कोलकाता, रंगून, बैंकाक, पेनांग, सिंगापुर, वटाविया, डारविन, ब्रिसबेन तथा सिडनी होता हुआ मेलबोर्न तक जाता है। फ्रांसीसी तथा डच वायुयान भी लगभग इसी मार्ग पर ही उड़ान भरते हैं। रूस में एक नया वायुमार्ग मास्को से ब्लाडीवॉस्टक तक जाता है।
(3) यूरोप तथा अफ्रीका के मध्य वायुमार्ग (Europe-Africa Airways) – इस मार्ग पर इटली, फ्रांसीसी तथा ब्रिटिश वायुयानों का नियन्त्रण है। अफ्रीका के महत्त्वपूर्ण वायुमार्ग ब्रिटेन के आधिपत्य में हैं। ब्रिटिश वायुयान टैम्पटन से प्रारम्भ होकर भूमध्य सागर के समीप स्थित सिकन्दरिया तक जाते हैं। सिकन्दरिया से यह मार्ग सीधे खातूंम (सूडान) को जाता है। यहाँ पर यह दो शाखाओं में बँट जाता है। इसकी पहली शाखा पश्चिम में लागोस तक जाती है तथा दूसरी सुदूर-दक्षिण में केपटाउन तक।
(4) अमेरिका तथा एशिया के मध्य वायुमार्ग (America-Asian Airways) – इस वायुमार्ग। द्वारा प्रशान्त महासागर के लिए संयुक्त राज्य के वायुयानों द्वारा यात्रा की जाती है। यह मार्ग सैनफ्रांसिस्को से आरम्भ होकर प्रशान्त महासागर के मध्य होनोलूलू, मिडवे द्वीप, बैंक द्वीप तथा मनीला होता हुआ कैण्टन तक जाता है। एक अन्य मार्ग सिडनी से ऑकलैण्ड, होनोलूलू, सैनफ्रांसिस्को होता हुआ बैंकूवर तक जाता है। एक तीसरा मार्ग सैनफ्रांसिस्को से अलास्का होकर टोकियो तक जाता है।
(5) जर्मनी के वायुमार्ग (German Airways) – यहाँ से वायुमार्ग विभिन्न दिशाओं को जाते हैं। उत्तर में नार्वे, स्वीडन एवं फिनलैण्ड को; दक्षिण में चेक एवं स्लोवाकिया तथा यूनान को; पूर्व में पोर्टलैण्ड एवं दक्षिणी इटली को; दक्षिण-पश्चिम में पुर्तगाल तथा स्पेन को और पश्चिम में फ्रांस तथा संयुक्त राज्य अमेरिका को वायुमार्ग जाते हैं।
(6) पश्चिमी यूरोप के वायुमार्ग (west-European Airways) – यह वायुमार्ग रूस के मार्गों से जुड़े हैं, परन्तु रूस से होकर पूर्वी देशों से इनका सम्बन्ध नहीं है। रूस के वायुमार्ग मास्को से काबुल, मांचुको, खबारोवस्कं होते हुए पूर्वी छोर पर स्थित ब्लाडीवॉस्टक तक जाते हैं।
वायु परिवहन तथा वायुमार्गों के विकास की दृष्टि से विश्व में संयुक्त राज्य अमेरिका का स्थान प्रमुख है। इसके पूर्वी तट पर बोस्टन, न्यूयॉर्क एवं वाशिंगटन तथा पश्चिमी तट पर सिएटल, सैनफ्रांसिस्को एवं लॉस एंजिल्स विश्वप्रसिद्ध वायु-पत्तन हैं।
(7) अन्य वायुमार्ग –
- शिकागो-ब्लाडीवॉस्टक वायुमार्ग – शिकागो से आरम्भ होकर यह वायुमार्ग बरमूदा, लिस्बन, पेरिस, बर्लिन, मास्को, टोमस्क, इटस्क होता हुआ ब्लाडीवॉस्टक तक जाता है। यहाँ से यह जापान के टोकियो तथा चीन के बीजिंग नगरों से जुड़ा है।
- शिकागो-केपटाउन वायुमार्ग – यह मार्ग शिकागो से लन्दन होता हुआ सिकन्दरिया, काहिरा, खाम, नैरोबी, किम्बरले होकर केपटाउन तक जाता है।
- शिकागो-ब्यूनस-आयर्स वायुमार्ग – शिकागो से प्रारम्भ होकर यह वायुमार्ग मियामी, ट्रिनिडाड, बेलेम, रियोडिजेनेरो होता हुआ ब्यूनस-आयर्स में पहुँचता है।
- सैनफ्रांसिस्को-वालपैरेजो वायुमार्ग – सैनफ्रांसिस्को से प्रारम्भ होकर यह वायुमार्ग साल्टलेक सिटी, मैक्सिको, पनामा एवं लीमा होते हुए वालपैरेजो तक पहुँचता है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1
पाइप लाइन परिवहन का क्या महत्त्व है ?
उत्तर
आज के युग में खनिज तेल, प्राकृतिक गैस और पेट्रोलियम उत्पादों के उपभोग में तेजी से वृद्धि होती जा रही है। प्रायः इन पदार्थों का उत्पादन बसाव क्षेत्रों से सुदूरवर्ती भागों (घने वन-क्षेत्रों, समुद्रों, पर्वतीय क्षेत्रों आदि) में किया जाता है। यहाँ से इन पदार्थों को शोधनशालाओं तथा शोधनशालाओं से उपभोक्ता (बाजार) क्षेत्रों में भेजा जाता है। पूर्व में यह कार्य पूर्णत: जल, सड़क तथा रेल परिवहन द्वारा किया जाता है, जिसमें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था।
इन कठिनाइयों को दूर करने के लिए यह उचित समझा गया कि अन्य देशों की भाँति यह कार्य पाइप लाइनों के माध्यम से किया जाये। इसी कारण आज पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस के क्षेत्रों से शोधनशालाओं (Refineries) तक कच्चा खनिज तेल भेजने और शोधनशाओं से पेट्रोलियम उत्पादों को बड़े-बड़े नगरों, बाजार केन्द्रों अर्थात् खपत केन्द्रों तक भेजने के लिए पाइप लाइनें बिछायी जा रही हैं। ये पाइप लाइनें थल और जल दोनों क्षेत्रों में बिछायी जा सकती हैं। जिन देशों में पेट्रोलियम अथवा प्राकृतिक गैस की भारी माँग हो तथा उसकी आपूर्ति के लिए बड़े भण्डार भी उपलब्ध हों, तो पाइप लाइनों का निर्माण लाभकारी रहता है। पाइप लाइनों को भविष्य में कोयले और लौह-अयस्क के परिवहन के लिए भी बड़े पैमाने पर प्रयोग करने की सम्भावना है।
प्रश्न 2
विश्व के प्रमुख पाइप लाइन परिवहन क्षेत्रों का विवरण दीजिए।
उत्तर
कनाड़ा, संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, चीन, दक्षिण-पश्चिमी एशियां के तेल उत्पादक देश और यूरोप के प्रमुख पेट्रोलियम के प्राकृतिक गैस उपभोक्ता देशों में पाइप लाइनों की सघनता पायी जाती है। विश्व में पाइप लाइन रखने वाले प्रमुख देशों का विवरण अग्रलिखित है –
(1) संयुक्त राज्य अमेरिका – इस देश में विश्व की सबसे लम्बी पाइप लाइनें स्थित हैं जो 4 लाख किमी लम्बी हैं। ये तेल और प्राकृतिक गैस की पाइप लाइनें देश के बड़े-बड़े उत्पादक क्षेत्रों और बड़े-बड़े नगरों के बीच बिछायी गयी हैं।
(2) रूस – आज रूस विश्व का प्रमुख खनिज तेल और प्राकृतिक गैस उत्पादक देश है। इस देश का पूर्व-पश्चिम विस्तार अधिक है और उत्पादक क्षेत्रों का कुछ ही केन्द्रों पर जमाव होने से इस देश में पाइप लाइनों की लम्बाई अधिक है। यहाँ तेल पाइप लाइनों की लम्बाई 75 हजार किमी और गैस पाइप लाइनों की लम्बाई 1.7 लाख किमी है। साइबेरिया के तेल क्षेत्र से यूरोप के समाजवादी देशों को तेल पहुँचाने के लिए 5,327 किमी लम्बी ‘द्रुझबा’ पाइप लाइन बिछायी गयी है। इसके अतिरिक्त अन्य अनेक पाइप लाइनों द्वारा कच्चा तेल व प्राकृतिक गैस, उत्पादक क्षेत्रों में शोधनशालाओं तक तथा शोधनशालाओं से उपभोक्ता केन्द्रों तक पहुँचायी जाती है।
(3) कनाडा – कनाडा को भी पूर्व-पश्चिम विस्तार अधिक है। यहाँ तेल व प्राकृतिक गैस उत्पादक क्षेत्र रॉकी के पूर्व में स्थित हैं, जबकि उपभोक्ता केन्द्र पूर्वी कनाडा में झीलों के पास स्थित हैं। यहाँ 43,436 किमी लम्बी तेल पाइप लाइनें हैं जिनमें एडमण्टन-मॉण्ट्रियल और एडमण्टन बैंकूवर पाइप लाइने महत्त्वपूर्ण हैं। यहाँ गैस की पाइप लाइनों की लम्बाई 2 लाख 31 हजार किमी है। यहाँ ट्रांस-कनाडा गैस पाइप लाइन (एल्बर्टा-मॉण्ट्रियल) 10,632 किमी लम्बी है जो संसार में सबसे लम्बी गैस पाइप लाइन है।
(4) चीन – चीन का भी पूर्व-पश्चिम विस्तार अधिक है और तेल-क्षेत्र पश्चिम में सीक्यांग बेसिन में व उपभोक्ता केन्द्र देश के पूर्वी भाग में पाये जाते हैं। अतः यहाँ 20,000 किमी लम्बी पाइप लाइनें बिछायी गयी हैं। पहली पाइप लाइन डाकिंग तेल क्षेत्र से लूटा पत्तन तथा पीकिंग की तेल शोधनशालाओं तक तथा दूसरी लैंचाउ से ल्हासा (तिब्बत) तक बिछायी गयी है।
प्रश्न 3
व्यापारिक मार्ग के रूप में स्वेज नहर का क्या महत्त्व है?
उत्तर
विस्तृत उत्तरीय प्रश्न संख्या 2 के अन्तर्गत ‘स्वेज नहर का व्यापारिक महत्त्व’ शीर्षक देखें।
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1
कनाडा के प्रमुख रेलमार्ग का नाम बताइए।
उत्तर
कनाडा के प्रमुख रेलमार्ग का नाम कैनेडियन-पैसिफिक रेलमार्ग’ है।
प्रश्न 2
ट्रांस-साइबेरियन रेलमार्ग कहाँ से कहाँ तक है तथा इसकी कुल लम्बाई क्या है?
उत्तर
ट्रांस-साइबेरियन रेलमार्ग लेनिनग्राड से ब्लाडीवॉस्टक तक है तथा यह 8,960 किलोमीटर लम्बा है।
प्रश्न 3
दो महाद्वीपों के बीच स्थित रेलमार्ग का नाम बताइए। (2007)
उत्तर
दो महाद्वीपों एशिया महाद्वीप (में लम्बाई दो-तिहाई) और यूरोप महाद्वीप (में लम्बाई शेष एक-तिहाई) के बीच स्थित रेलमार्ग है- ट्रांस-साइबेरियन रेलमार्ग।
प्रश्न 4
स्वेज नहर का निर्माण कितने समय में पूर्ण हुआ?
उत्तर
स्वेज नहर का निर्माण दस वर्ष में पूर्ण हुआ।
प्रश्न 5
स्वेज नहर का निर्माण किसकी देख-रेख में किया गया?
उत्तर
स्वेज नहर का निर्माण फडनेण्ड-डी-लैसेप्स नामक फ्रांसीसी इन्जीनियर की देख-रेख में किया गया।
प्रश्न 6
स्वेज नहर किन दो सागरों को जोड़ती है? [2013]
उत्तर
स्वेज नहर भूमध्य सागर को लाल सागर से जोड़ती है।
प्रश्न 7
पनामा नहर का निर्माण कब हुआ?
उत्तर
पनामा नहर का निर्माण 1904 ई० से प्रारम्भ होकर 1914 ई० में पूर्ण हुआ।
प्रश्न 8
पनामा नहर से सर्वाधिक लाभ किस देश को हुआ?
उत्तर
पनामा नहर के बन जाने से सर्वाधिक लाभ संयुक्त राज्य अमेरिका को हुआ। इससे संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्वी तथा पश्चिमी तटों के बीच की दूरी में 12,650 किमी की बचत हुई है।
प्रश्न 9
पनामा नहर किन दो महासागरों को जोड़ती है? [2014]
उत्तर
प्रशान्त महासागर एवं अटलाण्टिक महासागर को जोड़ती है।
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1
यातायात के साधनों में सबसे सस्ता है –
(क) सड़क यातायात
(ख) रेल यातायात
(ग) जल यातायात
(घ) वायु यातायात
उत्तर
(ग) जल यातायात।
प्रश्न 2
स्वेज नहर मिलाती है – [2009, 11, 13, 14, 15, 16]
(क) भूमध्य सागर-काला सागर
(ख) भूमध्य सागर-लाल सागर
(ग) भूमध्य सागर-अरब सागर
(घ) काला सागर-लाल सागर
उत्तर
(ख) भूमध्य सागर-लाल सागर।
प्रश्न 3
यूनियन पैसेफिक रेलमार्ग कहाँ स्थित है?
(क) अफ्रीका
(ख) कनाडा
(ग) यू०एस०ए०
(घ) फ्रांस
उत्तर
(ग) यू०एस०ए०
प्रश्न 4
ट्रांस-साइबेरियन रेलमार्ग पर स्थित नहीं है। [2012]
(क) मास्को
(ख) ओमस्क
(ग) नोवोसिब्रिस्क
(घ) रेजिना
उत्तर
(घ) रेजिना।
प्रश्न 5
जर्मनी की जलमार्ग नदियों में कौन सम्मिलित नहीं है?
(क) गेरुन
(ख) राइन
(ग) वेजर
(घ) ओडर
उत्तर
(क) गेरुन।
प्रश्न 6
चीन में रेलमार्ग अनुसरण करते हैं।
(क) अक्षांशों का
(ख) देशान्तरों का
(ग) कर्क रेखा का
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर
(ख) देशान्तरों का।
प्रश्न 7
कोयला नदी किस नदी को कहा जाता है?
(क) राइन
(ख) मरे
(ग) दामोदर
(घ) वोल्गा
उत्तर
(क) राइन।
प्रश्न 8
जर्मनी में उत्तरी सागर व बाल्टिक सागर को जोड़ने वाली नहर है।
(क) गोटा नहर
(ख) कील नहर
(ग) उत्तरी सागर नहर
(घ) न्यू वाटर वे
उत्तर
(ख) कील नहर।
प्रश्न 9
निम्नलिखित में से किस यातायात मार्ग में भारत का विश्व में पाँचवाँ स्थान है?
(क) सड़क मार्ग
(ख) वायु मार्ग
(ग) जलमार्ग
(घ) रेलमार्ग
उत्तर
(ख) वायु मार्ग।
प्रश्न 10
स्वेज नहर से सर्वाधिक लाभान्वित होने वाला देश है। [2010]
(क) ग्रेट ब्रिटेन
(ख) भारत
(ग) ब्राजील
(घ) जर्मनी
उत्तर
(ख) भारत।
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