UP Board Solutions for Class 10 Sanskrit Chapter 1 महात्मनः संस्मरणानि (कथा – नाटक कौमुदी)

UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 10 Sanskrit Chapter 1 महात्मनः संस्मरणानि (कथा – नाटक कौमुदी)

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 10 Sanskrit Here we have given UP Board Solutions for Class 10 Sanskrit Chapter 1 महात्मनः संस्मरणानि (कथा – नाटक कौमुदी)

परिचय

भारत की पावन-भूमि पर समय-समय पर ऐसे महापुरुष जन्म लेते रहे हैं, जिन्होंने अपने संघर्षशील जीवन से न केवल भारत का कल्याण किया, वरन् सम्पूर्ण विश्व को एक नवीन दिशा प्रदान की। परतन्त्रता की स्थिति में भारत को स्वतन्त्र कराने हेतु इस पावन-भूमि पर जन्म लेने वाले–लोकमान्य बालगंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय, चन्द्रशेखर आजाद, भगत सिंह, सुभाषचन्द्र बोस, महात्मा गाँधी, पं० जवाहरलाल नेहरू आदि-स्वतन्त्रता संग्राम सेनानियों एवं बलिदानी वीरों की श्रृंखला बहुत लम्बी है। देश की स्वतन्त्रता के संघर्ष में महात्मा गाँधी का नाम अत्यधिक आदर के साथ लिया जाता है। भारत को स्वतन्त्र कराने का श्रेय इन्हीं गाँधी जी को है। इन्होंने सत्य और अहिंसा के बल पर अंग्रेज शासकों को भारत छोड़ने पर विवश किया।

प्रस्तुत पाठ के संस्मरण मुख्यतया ‘बापू’ नामक पुस्तक पर आधारित हैं। इसमें महात्मा गाँधी के जीवन सम्बन्धी कुछ संस्मरण दिये गये हैं, जिनमें महात्मा गाँधी की सत्यनिष्ठा, अपूर्व दृढ़ता, अतुलित साहस तथा लक्ष्य-पॅप्ति के लिए प्रत्येक अपमान को सहने की क्षमता आदि विशिष्ट गुणों की झाँकी मिलती है।

पाठ-सारांश

जन्म मोहनदास करमचन्द गाँधी का जन्म पोरबन्दर नामक नगर में हुआ था। इनके पिता का नाम करमचन्द गाँधी तथा माता का नाम पुतलीबाई था। मोहनदास पर अपने माता-पिता के सत्यनिष्ठा, निर्भयता आदि गुणों का प्रभाव पड़ा। प्रारम्भ से ही वे एक अध्ययनशील बालक थे।

सत्यवादिता एक बार गाँधी जी ने ‘हरिश्चन्द्र’ नामक नाटक देखा। इस नाटक से उन्होंने हरिश्चन्द्र के समान ही सत्यवादी और सच्चरित्र बनने की प्रेरणा प्राप्त की। एक बार विद्यालय में छात्रों के भाषा-ज्ञान की परीक्षा लेने के लिए ‘गाइल्स’ नाम का इंस्पेक्टर आया। गाँधी जी पाँच शब्दों में से एक केटल’ शब्द शुद्ध

नहीं लिख सके। अध्यापकों के कहने पर भी इन्होंने नकल नहीं की। इससे वे शिक्षकों के कोपभाजन और छात्रों में उपहास के पात्र बने, फिर भी ये धोखा देकर सत्य को नहीं छिपाना चाहते थे। बाद में अपनी सत्यनिष्ठा से ये अपने शिक्षकों और सहपाठियों के प्रिय हो गये। सत्य बोलने वालों के लिए मौन शक्तिशाली अस्त्र होता है। मौन’ ने इन्हें अनेक बार झूठ बोलने से बचाया।

अपमान सहने की क्षमता सन् 1893 ईस्वी में गाँधी जी बम्बई नगर से दक्षिण अफ्रीका के नेटाल नगर में गये। वहाँ इन्होंने भारतीयों की उपेक्षा और तिरस्कार को देखा। शिक्षित भारतीय भी यूरोपीय लोगों से मिल नहीं सकते थे। वहाँ भारतीयों को ‘कुली’ कहा जाता था और गाँधी जी कुलियों के वकील’ नाम से जाने जाते थे।

स्वाभिमानी एक बार गाँधी जी रेल से प्रिटोरिया नगर जाने के लिए प्रथम श्रेणी का टिकट लेकर प्रथम श्रेणी के डिब्बे में यात्रा कर रहे थे। उसी समय उस डिब्बे में कोई यूरोपीय यात्री आया। उसने श्याम वर्ण के गाँधी जी को देखकर पहले तो स्वयं ही उनसे बाहर जाने के लिए कहा। जब गाँधी जी ने ऐसा करने से मना कर दिया तो उसने रेल के अधिकारियों से कहकर उन्हें डिब्बे से बाहर निकलवा दिया। गाँधी जी ने ठण्ड में ठिठुरते हुए पूरी रात प्रतीक्षालय में व्यतीत की। उन्हें दक्षिण अफ्रीका में इसी प्रकार के अनेक कटु अनुभव हुए। उन्होंने वहाँ के भारतीयों को एक सूत्र में बाँधने के लिए उन्हें एकजुट किया। उन्होंने विद्वेष के स्थान पर प्रेम-व्यवहार, हिंसा के स्थान पर आत्म-बलिदान, शारीरिक बल के स्थान पर आत्मबल के व्यवहार का उपदेश दिया। गाँधी जी ने जीवन के प्रायः सभी सूत्रों की परीक्षा दक्षिण अफ्रीका में कर ली थी।

उग्रवाद का विरोध गाँधी जी के समय में पंजाब में उग्रवादियों की जटिल समस्या थी। लोगों के साथ अपमानजनक व्यवहार होता था और उन्हें कोड़ों से पीटा जाता था। गाँधी जी ने उनका डटकर विरोध किया।

विदेशी वस्त्रों की होली विदेशी वस्त्र किस प्रकार भारतीय वस्त्र उद्योग का विनाश कर रहे हैं, इसे दिखाने के लिए गाँधी जी ने बम्बई में स्वदेशी आन्दोलनरूपी अग्नि को प्रज्वलित किया। इसके अन्तर्गत गाँधी जी ने एक बार बम्बई में विदेशी वस्त्रों की होली जलायी। हजारों लोग उसे देखने आये। उन्होंने लोगों को अच्छी तरह समझाया कि विदेशी वस्त्र पहनना पाप है। विदेशी वस्त्रों को जलाकर हमने अपना पाप जला दिया है। गाँधी जी के प्रेरणादायक नेतृत्व में कांग्रेस संस्था ने स्वतन्त्रता का समर्थन किया तथा भारत के इतिहास की धारा को ही मोड़ दिया।

सन् 1914 ई० में गाँधी जी जब दक्षिण अफ्रीका से विदा हुए, तो हजारों भारतीय युवकों ने विदाई में उनका अपूर्व अभिनन्दन किया। ऐसी विदाई इस देश में पहले कभी नहीं हुई थी।

भारत आकर अनेक महीनों तक गाँधी जी ने भारत का भ्रमण किया। इस भ्रमण में पुरोहित, व्यापारी, भिक्षुक आदि सभी प्रकार के लोग सम्मिलित हुए। गाँधी जी गरीबों की कठिनाइयों और कष्टों का अनुभव करने के लिए सदैव तृतीय श्रेणी में यात्रा किया करते थे।

स्वर्गारोहण मातृभूमि की स्वतन्त्रता का प्रेमी यह महात्मा 30 जनवरी, सन् 1948 ई० की सायंकालीन बेला में ‘हे राम’ का उच्चारण करता हुआ स्वर्ग सिधार गया।

चरित्र-चित्रण

गाँधी जी [2006,09, 10, 11, 12, 14]

परिचय ” महात्मा गाँधी का पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गाँधी था। इनका जन्म गुजरात के पोरबन्दर नामक स्थान पर 2 अक्टूबर, सन् 1869 ई० को हुआ था। इनके पिता का नाम करमचन्द तथा माता का नाम पुतलीबाई था। इनकी माता एक धर्मपरायणा स्त्री थीं, जिनका पर्याप्त प्रभाव गाँधी जी के चरित्र पर पड़ा। गाँधी जी के चरित्र की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं

1. सत्यवादी : गाँधी जी ने बचपन में ‘हरिश्चन्द्र’ नाटक देखा था। इस नाटक का इनके कोमल मन पर बड़ा प्रभाव पड़ा, जिसके फलस्वरूप इन्होंने आजीवन सत्य बोलने का दृढ़-संकल्प कर लिया और आजीवन पालन भी किया। विषम परिस्थितियों में भी इन्होंने सत्य का अवलम्ब नहीं छोड़ा।

2. नैतिकतावादी : गाँधी जी पर्याप्त नैतिकतावादी थे। अनैतिक कार्यों में इनकी रुचि कदापि नहीं होती थी। उनके गुण का पता इसी बात से चलता है कि जब विद्यालय में आये इंस्पेक्टर ने कक्षा के बच्चों से ‘केटल’ शब्द लिखने के लिए कहा, तब इन्होंने ‘केटल’ शब्द को अपनी कॉपी पर गलत ही लिखा। अध्यापक के कहने पर भी इन्होंने इस शब्द को नकल करके सही नहीं किया।

3. उपेक्षितों के नेता : महात्मा गाँधी सदैव ही उपेक्षितों के हितों के पक्षधर रहे। अपने इसी आचरण के कारण इन्हें अनेक बार गोरे लोगों द्वारा अपमानित होना पड़ा। दक्षिण अफ्रीका में ये ‘कुलियों के वकील’ कहलाते थे।

4. प्रेम और एकता के अग्रदूत : प्रेम और अहिंसा गाँधी जी के अनुपम अस्त्र थे। इन्होंने इनके द्वारा विखण्डित भारतीयों को एकता के सूत्र में पिरो दिया। यही कारण था कि इनके पीछे भारत के ही करोड़ों नागरिक नहीं, अपितु विश्व के अन्य देशों के भी करोड़ों नागरिक खड़े रहते थे; अर्थात् इनका समर्थन करते थे।

5.उग्रवाद के कट्टर विरोधी : उग्रवाद सदैव ही लोगों के मन में घृणा उत्पन्न करता है। इससे लोगों के घर-के-घर नष्ट हो जाते हैं। गाँधी जी ने जब स्वतन्त्रता-प्राप्ति के लिए कभी उग्रवाद का समर्थन नहीं किया, फिर सामान्य जीवन में वे इसको कैसे स्वीकार कर सकते थे। उनके समय में भी पंजाब में उग्रवादियों की समस्या थी। लोगों के साथ बड़ी क्रूरता का व्यवहार किया जाता था तथा उन्हें कोड़ों से बुरी तरह पीटा जाता था। गाँधी जी ने इसका डटकर विरोध किया।

6. स्वदेशी के पक्षधर : स्वदेशी वस्तुओं को अपनाकर ही हम अपने देश का विकास कर सकते हैं। अपनी इसी विचारधारा के कारण गाँधी जी ने बम्बई में विदेशी वस्त्रों की होली जलायी, जिसमें हजारों लोगों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। उन्होंने भारतीयों को बताया कि विदेशी वस्त्र पहनना पाप है और विदेशी वस्त्रों को जलाकर हमने अपने पाप को जला दिया है।

7. भेदभाव के विरोधी : गाँधी जी व्यक्ति-व्यक्ति में कोई भेदभाव नहीं मानते थे, भले ही वह किसी भी जाति, रंग अथवा लिंग का क्यों न हो। इन्होंने अनेक कष्ट उठाकर इस भेदभाव का कड़ा विरोध किया। दक्षिण अफ्रीका में इन्होंने रंगभेद के विरुद्ध आन्दोलन चलाया और वहाँ से विजयी होकर लौटे।

8. राम के परम भक्त : गाँधी जी राम के परम भक्त थे। सन् 1948 की 30 जनवरी को इन्होंने “हे राम’ कहकर ही अपने प्राण त्यागे थे।

निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि गाँधी जी सत्यवादी, नैतिकतावादी, रंगभेद विरोधी इत्यादि अनेक चारित्रिक गुणों से युक्त, भारतमाता के सच्चे सपूत तथा मानवता के पुजारी थे। उनके स्थान की पूर्ति सर्वथा असम्भव है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
महात्मनः किं नाम आसीत् ? [2011]
उत्तर :
महात्मनः नाम मोहनदासः आसीत्।

प्रश्न 2.
सः कुत्र जन्म लेभे ?
या
महात्मा कुत्र जन्म लेभे ? [2006,09,14]
या
गान्धीमहाशयस्य जन्म कुत्र बभूव (अभवत्)?
उत्तर :
पोरबन्दरनाम्नि नगरे गाँधीमहाशयस्य जन्म बभूव (अभवत्)।

प्रश्न 3.
तस्य (महात्मनः गान्धिनः ) मातुः नाम किम् आसीत् ? [2007, 10, 12, 14]
या
महात्मागान्धिनः मातुर्नाम किम् आसीत्? [2013]
या
मोहनदासः मातुर्नाम किम् आसीत्? [2012]
उत्तर :
तस्य (महात्मनः गान्धिनः) मातुः नाम ‘पुतलीबाई’ आसीत्।

प्रश्न 4.
पुतलीबाई स्वभावेन कीदृशी आसीत् ? [2014]
उत्तर :
पुतलीबाई स्वभावेन मधुरा, धर्मरता, परम पवित्रा च आसीत्।

प्रश्न 5.
केन नाटकेन तस्य(महात्मनः गान्धिनः ) हृदयं परिवर्तितम् जातम् ? [2006, 10]
या
केन नाटकेन महात्मनः गान्धिनः हृदयं परिवर्तितं अभवत् ? [2015]
उत्तर :
हरिश्चन्द्र नाम्ना नाटकेन तस्य (महात्मन: गान्धिन:) हृदयं परिवर्तितम् जातम्।

प्रश्न 6.
विद्यालयनिरीक्षकः कः आसीत् ? [2007,08,09, 10, 11,14]
या
विद्यालयनिरीक्षकस्य किम् नाम आसीत् ? [2015]
उत्तर :
विद्यालयनिरीक्षकः ‘गाइल्स’ नामा आसीत्।

प्रश्न 7.
विद्यालयनिरीक्षकेन किं अकथयत् ?
उत्तर :
विद्यालयनिरीक्षकेन पञ्चशब्दानां वर्णविन्यासं शुद्धं लिखितुम् अकथयत्।

प्रश्न 8.
महात्मागान्धी नेटालनगरे कदा आगच्छत् ?
उत्तर :
महात्मागान्धी नेटालनगरे 1893 तमे ख्रिष्टाब्दे अप्रैल मासे आगच्छत्।

प्रश्न 9.
गान्धिमहोदयः दक्षिण अफ्रीका देशं कदा व्यसृजत्?
उतर :
गान्धिमहोदय: दक्षिण अफ्रीका देशं 1914 तमे ख्रिष्टाब्दे व्यसृजत्।

प्रश्न 10.
गान्धिमहोदयः केन यानेन कुत्र गतः?
या
धूमयानेन गान्धी कुत्र गतः?
उत्तर :
गान्धिमहोदयः धूमयानेन प्रिटोरियानगरं प्रति गतः।

प्रश्न 11.
गान्धिमहोदयः विद्वेषस्य स्थाने कम् उपादिशत्?
उत्तर :
गान्धिमहोदयः विद्वेषस्य स्थाने प्रेमाचारम् उपादिशत्।

प्रश्न 12.
गान्धि महोदयः कतमे ख्रिष्टाब्दे स्वर्गं गतः?
उत्तर :
गान्धि महोदयः 1948 तमे ख्रिष्टाब्दे जनवरी मासस्य त्रिंशे दिनाङ्के सन्ध्यायां समये स्वर्गं गतः।

प्रश्न 13.
महात्मा गान्धी किं वाक्यम् उच्चारयन् स्वर्गं जगाम? [2007]
उत्तर :
महात्मा गान्धी “हे राम’ वाक्यम् उच्चारयन् स्वर्गं जगाम।

प्रश्न 14.
महात्मनः पितुः किं नाम आसीत्? [2012, 13]
या
महात्मागान्धिनः पिता कः आसीत्? [2015]
या
महात्मनः पितुर्नाम किम् आसीत्? उत्तर महात्मनः पितुः नाम ‘करमचन्द गाँधी’ आसीत्।

प्रश्न 15.
महात्मनः पूर्ण नाम किम् आसीत् [2011, 15]
उत्तर :
महात्मनः पूर्ण नाम मोहनदासः कर्मचन्द: गाँधी आसीत्।

प्रश्न 16.
गाइल्सः कः आसीत्? [2011,12]
उत्तर :
गाइल्सः विद्यालयनिरीक्षकः आसीत्।

प्रश्न 17.
महात्मनः गान्धिनः पिता कीदृशः आसीत्? [2008]
उत्तर :
महात्मन: गान्धिनः पिता सद्गुणी आसीत्।

बहुविकल्पीय प्रश्न

अधोलिखित प्रश्नों में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर-रूप में चार विकल्प दिये गये हैं। इनमें से एक विकल्प शुद्ध है। शुद्ध विकल्प का चयन कर अपनी उत्तर-पुस्तिका में लिखिए –
[संकेत – काले अक्षरों में छपे शब्द शुद्ध विकल्प हैं।]

1. ‘महात्मनः संस्मरणानि’ शीर्षक पाठ का नायक कौन है?

(क) जनक
(ख) महात्मा गाँधी
(ग) जीमूतवाहने
(घ) परशुराम

2. ‘महात्मनः संस्मरणानि’ पाठ की कथा का स्रोत क्या है?

(क) ‘राष्ट्रपिता’ नामक पुस्तक
(ख) ‘महात्मा गाँधी’ नामक पुस्तक
(ग) ‘बापू’ नामक पुस्तक
(घ) इनमें से कोई नहीं

3. विद्यालय-निरीक्षक गाइल्स क्यों आया था ?

(क) अध्यापकों की उपस्थिति देखने
(ख) छात्रों की उपस्थिति देखने
(ग) छात्रों का वर्णविन्यास जानने
(घ) छात्रों को पुरस्कार बाँटने

4. गाँधी जी हमेशा क्या बोलते थे ?

(क) राम नाम
(ख) सत्य
(ग) मधुर वचन
(घ) जयहिन्द

5. महात्मा गाँधी को अपने शिक्षकों का कोपभाजन क्यों बनना पड़ा?

(क) विद्यालय निरीक्षक से झूठ बोलने के कारण
(ख) वर्णविन्यास की नकल करने के कारण
(ग) वर्णविन्यास की नकल न करके उसे गलत लिखने के कारण
(घ) शब्दों का अनुचित वर्णविन्यास लिखने के कारण

6. अप्रैल, 1893 ई० में गाँधी जी कहाँ पहुँचे थे ?

(क) प्रिटोरिया
(ख) पोरबन्दर
(ग) नेटालनगर
(घ) बम्बई (अब मुम्बई)

7. गाँधी जी प्रिटोरिया नगर जाते समय कौन-सा टिकट लेकर रेल में बैठे थे ?

(क) सामान्य श्रेणी का
(ख) प्रथम श्रेणी का
(ग) द्वितीय श्रेणी का
(घ) तृतीय श्रेणी को

8. दक्षिण अफ्रीका से महात्मा गाँधी किस सन् में स्वदेश लौटे ?

(क) 1948 ई० में
(ख) 1893 ई० में
(ग) 1914 ई० में
(घ) 1869 ई० में

9. दक्षिण अफ्रीका से लौटकर महात्मा गाँधी कई महीनों तक क्या करते रहे ?

(क) भारत-भ्रमण
(ख) असहयोग आन्दोलन
(ग) स्वदेशी आन्दोलन
(घ) अहिंसा का प्रचार

10. “पञ्चनदप्रान्ते उग्रवादिनां समस्यासीत्।” वाक्य में ‘पञ्चनद’ प्रान्त किसे कहा गया है?

(क) उत्तर प्रदेश को
(ख) बिहार को
(ग) बंगाल को
(घ) पंजाब को।

11. “अद्यतन इवे गान्धिकालेऽपि …………………………. “प्रान्ते उग्रवादिनां समस्यासीत्।” में वाक्य-पूर्ति होगी

(क) ‘महाराष्ट्र’ से
(ख)‘पञ्चनद’ से।
(ग) “कश्मीर’ से।
(घ) असम से

12. ………………………. “संस्था प्रत्येकजातेः पुरुषवर्गं नारीनिचयं चाकृष्टवती।” में रिक्त स्थान में आएगा –

(क) राष्ट्रीय क्रान्ति
(ख) राष्ट्रीय महासभा
(ग) कांग्रेस
(घ) स्वराज्य

13. मोहनदासः कस्य शब्दस्य वर्णविन्यासं कर्तुं नाशक्नोत् ?

(क) टैकल’ शब्दस्य
(ख) टेबल’ शब्दस्य।
(ग) “गाइल्स’ शब्दस्य।
(घ) ‘केटल’ शब्दस्य

14. “नाटकेनानेन अयं हरिश्चन्द्रः इव सत्यसन्धः “च भवितुमांचकाङ्क्ष।” में रिक्त स्थान में आएगा –

(क) दानवीरः
(ख) सच्चरित्रः
(ग) अहिंसकः
(घ) वीरः

15. महात्मा गान्धी ……………………….. नगरे जन्म लेभे। [2010, 15]

(क) पुणे
(ख) वर्धा
(ग) बम्बई (अब मुम्बई)
(घ) पोरबन्दर

16. मोहनदासः ……………………… सत्यप्रियः निर्भयोजातः। [2006]

(क) मातेव
(ख) भ्रातेव।
(ग) पितेव
(घ) गुरुजनेव

17. पुतली गान्धिन …………………… आसीत्। [2007]

(क) पत्नी
(ख) माता
(ग) पुत्री
(घ) शिष्या

18. महात्मनः पितुर्नाम ………………… आसीत्। [2006,12,13]

(क) करमचन्दः
(ख) धरमचन्द्रः
(ग) कृष्णचन्दः
(घ) रामचन्द्रः

19. विद्यालयनिरीक्षकः …………………….. आसीत्। [2010,11]

(क) स्टालिनः
(ख) गाइल्सः
(ग) पीटर:
(घ) गजेन्द्रः

Hope given UP Board Solutions for Class 10 Sanskrit Chapter 1 are helpful to complete your homework.
If you have any doubts, please comment below. UP Board Solutions try to provide online tutoring for you

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *